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संसद के मॉनसून सत्र में बीजेपी की बल्ले-बल्ले

62 सालों में पहली बार कांग्रेस अब राज्यसभा के भीतर नंबर दो पार्टी की हैसियत में आ गई है

Amitesh

संसद का मॉनसून सत्र बीजेपी के लिहाज से हैप्पी इंडिंग वाला रहा. सत्र के आखिरी दिन बीजेपी के नेता रहे वेंकैया नायडू ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली और फिर राज्यसभा के सभापति के तौर पर भी अपना काम संभाल लिया.

बीजेपी और संघ की पृष्ठभूमि का व्यक्ति इस बार उपराष्ट्रपति के पद पर पहुंचा है. इससे पहले बीजेपी और संघ पृष्ठभूमि के भैरो सिंह शेखावत भी उपराष्ट्रपति रह चुके हैं. अभी वेंकैया नायडू से पहले दस सालों से यानी लगातार दो बार हामिद अंसारी इस पद पर बने रहे.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि नए उपराष्ट्रपति आजाद भारत में पैदा हुए हैं. राज्यसभा के भीतर अपना पद भार संभालते वक्त सदन के सदस्यों ने वेंकैया का जोरदार स्वागत किया.

लेकिन, मॉनसून सत्र के भीतर ही बीजेपी को एक और बड़ी कामयाबी मिली थी. राष्ट्रपति पद पर बीजेपी के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद पहुंच गए. बीजेपी के पूर्व सांसद रहे रामनाथ कोविंद पहले पार्टी के भीतर अलग-अलग पदों पर काम भी कर चुके हैं.

राष्ट्रपति बनने के पहले वो बिहार के राज्यपाल थे. लगभग दो साल तक बिहार के राज्यपाल के पद पर बने रहने के बाद अब वो देश के राष्ट्रपति बन गए हैं.

ये पहला मौका है जब बीजेपी से सीधे-सीधे जुड़ा व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचा है. ये सबकुछ संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ही हुआ है. लिहाजा मॉनसून की फुहारों के बीच बीजेपी इस वक्त काफी प्रफुल्लित हो रही है. बीजेपी के लिए खुश होने के कई और कारण भी हैं.

अब राज्यसभा में भी बीजेपी नंबर 1

बीजेपी अबतक राज्यसभा के भीतर अपनी कम संख्या होने के चलते परेशान होती रही है. लोकसभा में प्रचंड बहुमत के बावजूद बीजेपी को राज्यसभा में उसकी कम ताकत कई बार परेशान कर देती है.

कई महत्वपूर्ण बिल पर भी सरकार को विपक्ष को साध कर चलना पड़ता है या फिर विपक्ष के अडंगे से कदम वापस भी खींचना पड़ जाता है. लेकिन, बीजेपी अब धीरे-धीरे राज्यसभा के भीतर भी अपनी ताकत बढ़ाने में लगी है.

मॉनसून सत्र के दौरान ही हुए राज्यसभा चुनाव के बाद बीजेपी के सदस्यों की संख्या बढ़कर अब 58 हो गई है, जबकि, दूसरी तरफ, कांग्रेस के सांसदों की संख्या घटकर 57 रह गई है. अब बीजेपी राज्यसभा के भीतर भी नंबर वन पार्टी हो गई है.

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हालाकि, बीजेपी अभी भी बहुमत से दूर है. बीजेपी अपने सहयोगी दलों के अलावा एआईएडीएमके और बीजेडी जैसे गैर-कांग्रेसी दलों का साथ लेकर राज्यसभा के भीतर जरूरी विधायी काम निपटा लेती है.

लेकिन, बीजेपी का राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरना बड़ी बात है. 62 सालों में पहली बार कांग्रेस अब राज्यसभा के भीतर नंबर दो पार्टी की हैसियत में आ गई है. कांग्रेस के लिए यह वक्त आत्मचिंतन और आत्ममंथन का है. लेकिन, संसद के मॉनसून सत्र के दौरान इस घटनाक्रम को बीजेपी अपनी राजनीतिक हैसियत के लिहाज से एक बड़े पड़ाव के तौर पर देख रही है.

बीजेपी के लिए मुस्कुराने की वजह

बीजेपी खुश है और खुश होने के कारण भी हैं क्योंकि पहली बार बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह सदन के भीतर पहुंचे हैं. अभी हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में अमित शाह गुजरात से राज्यसभा चुनाव जीतकर सदन के भीतर पहुंचे हैं.

आज बीजेपी की पसंद का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा का स्पीकर भी है. लिहाजा मॉनसून सत्र के खत्म होने के बाद पार्टी के पास मुस्कुराने की तमाम वजहें हैं.

हालांकि, मॉनसून सत्र के दौरान एक-दो ऐसे मौके आए जब बीजेपी को सदन के भीतर और बाहर फजीहत झेलनी पड़ी. राजयसभा के भीतर पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देते वक्त जब चर्चा हो रही थी तो बीजेपी और एनडीए के 30 सांसद सदन से गायब थे.

विपक्ष ने इसका फायदा उठाकर अपना संशोधन भी पास करा लिया. इसके बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री तक ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जताई थी.

लेकिन, बीजेपी को गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव में पटखनी खानी पड़ी. जब तमाम कवायद के बावजूद कांग्रेस के रणनीतिकार अहमद पटेल राज्यसभा जाने में सफल हो गए.

कांग्रेस की हुई फजीहत 

लेकिन, कांग्रेस की एक गलती ने इस सत्र के दौरान उसकी फजीहत करा दी. कांग्रेस के रिसर्च विभाग का एक सीक्रेट डॉक्यूमेंट लीक हो गया था जिसमें कांग्रेस के संसद ठप करने के प्लान का खुलासा हो गया.

कांग्रेस के इस सीक्रेट डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि गोरक्षा और मॉब लिंचिंग के मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर संसद को ठप करना है. इसके अलावा किसानों के मुद्दे पर भी सरकार को दोनों सदनों में घेरकर संसद के काम को ठप करना है. इस पर सियासी बवाल भी बढ़ा और बीजेपी को कांग्रेस को घेरने का मौका भी मिल गया. बीजेपी ने  इस मौके को बखूबी भुनाया भी.

हालांकि, सदन के बाहर भी बीजेपी के लिहाज से मौका अनुकूल ही रहा है. मॉनसून सत्र के दौरान ही बीजेपी को बिहार में बड़ी सफलता मिली जब चार साल बाद नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ हो गए. अब 18 राज्यों में बीजेपी की खुद की या सहयोगी दलों के साथ सरकार है.

बीजेपी उसी राह पर आगे बढ़ने की कोशिश में है, जहां संसद से सड़क तक हर जगह उसका जलवा हो. हर जगह बहुमत हो. उस लिहाज से फिलहाल मॉनसून सत्र तो उसके लिए जश्न मनाने वाला रहा है.