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चिदंबरम की भूल पर भारी पड़ेगा कमल का फूल? क्या आजादी बनेगा मुद्दा?

पटेल की कर्मभूमि से कश्मीर पर सवाल उठाकर चिदंबरम ने कांग्रेस के अतीत को चुनावी मुद्दा बना दिया

Kinshuk Praval

कश्मीर में स्वायत्तता पर बयान देने वाले पी. चिदंबरम की वजह से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है. वक्त की नज़ाकत को देखते हुए कांग्रेस ने चिदंबरम के बयान से किनारा कर लिया है. इसकी बड़ी वजह दो राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में ऐन चुनाव के मौके पर पी. चिदंबरम ने बीजेपी को वो मुद्दा दे दिया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं होगी और बीजेपी को शिद्दत से तलाश भी थी.

राजकोट में चिदंबरम ने कहा कि कश्मीर में जब लोग आजादी की बात करते हैं तो उनकी चाहत स्वायत्तता की होती है और कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 का अक्षरश: सम्मान करने की मांग की जाती है. जिसका मतलब है कि लोग ज्यादा स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं.


ये अजीब संयोग भी है कि चिदंबरम ने कश्मीर पर सवाल गुजरात की धरती से उठाया. जबकि गुजरात के सरदार वल्लभ भाई पटेल को देश की 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के मिशन को पूरा करने लिए 'लौहपुरुष' के तौर याद किया जाता है. अब इस बार गुजरात में चिदंबरम का बयान बीजेपी के लिए मुंह मांगी मुराद से कम नहीं है.

ये कुछ वैसा ही बयान है जैसा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुजरात के नवसारी की रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘मौत का सौदागर’ शब्द का इस्तेमाल किया था. उसके बाद मोदी ने सोनिया के ही बयान के बूते पूरा चुनाव ही पलट कर रख दिया था. सोनिया के बयान पर तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा था कि सोनिया  गुजरात को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर रही हैं.

पहले भी राहुल ने सर्जिकल स्ट्राइक्स को लेकर केंद्र को घेरा

इस बार फिर पीएम मोदी के हाथ में चिदंबरम के बयान से बड़ा मुद्दा आ गया. चिदंबरम पर पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस कश्मीर के मुद्दे पर आज़ादी की मांग कर रहे अलगाववादियों की भाषा बोल रही है. पीएम मोदी ने चिदंबरम के बयान को सेना के जवानों की शहादत से जोड़ते हुए बहादुर जवानों का अपमान बताया. उन्होंने कहा कि कल तक जो सत्ता में थे उन्होंने आज कश्मीर के मामले में यू-टर्न ले लिया और आजादी की बात कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि कांग्रेस सैनिकों की शहादत और सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में क्या सोचती है.

कर्नाटक में एक रैली में बोलते हुए पीएम ने कहा कि उनकी सरकार देश की एकता और अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा और न कभी करने देगी. ज़ाहिर तौर पर चिदंबरम का बयान गुजरात और हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीयता का बड़ा मुद्दा बीजेपी को दे गया.

यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त भी कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने ऐसी ही गलती की थी. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जवानों के ‘खून की दलाली’ का आरोप लगाया था.

राहुल का यही बयान पूरे यूपी के चुनावी रैली में बीजेपी को सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का मौका दे गया था.

कांग्रेस ये भूल रही है कि साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मियां मुशर्रफ’ के नाम से ही पूरा चुनाव जीत लिया था. मोदी चुनावों में प्रतीक की राजनीति के बेहतर समझते हैं. लेकिन यहां सवाल सिर्फ प्रतीक की राजनीति का नहीं बल्कि गुजरात और देश की अस्मिता का भी है. तभी पीएम मोदी को गुजरात और राष्ट्रीय अस्मिता को लेकर कांग्रेस पर करारा हमला करने का मौका मिल गया. उन्होंने देश को एकजुट रखने में सरदार पटेल के प्रयासों और कश्मीर के लिए हजारों जवानों के बलिदान का भी जिक्र किया. मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जवानों की कुर्बानी पर राजनीति करने वाले ऐसे लोगों से देश का भला नहीं होगा.

गुजरात में बीजेपी के लिए मुद्दों और प्रतीक की कमी नहीं है. सरदार पटेल की 182 फीट ऊंची भव्य मूर्ति गुजरात के गौरव को बढ़ाने के लिए तैयार है. वहीं चिदंबरम कश्मीर के मुद्दे पर अपनी राय देकर पूरी कांग्रेस को अलगाववादियों की कतार में खड़ा करने का काम कर गए. जबकि सरदार पटेल और कश्मीर इस वक्त गुजरात के चुनाव प्रचार में जोरों से गूंज रहे हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में गुजरात दौरे के समय कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कश्मीर समस्या के लिए खुद पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू जिम्मेदार हैं जिनकी वजह से सरदार पटेल कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय नहीं करवा सकते थे. उन्होंने कहा था कि ‘अगर पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू ने सरदार पटेल को रोका नहीं होता तो आज कश्मीर समस्या नहीं होती’.

बीजेपी को मिला राजनीतिक हथियार

चिदंबरम के बयान से पल्ला झाड़ते हुए कांग्रेस ने इसे उनकी निजी राय बता दिया है. यहां तक कि कांग्रेस को कहना पड़ गया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा ये निर्विवाद रूप से बना रहेगा.

लेकिन बयान से पल्ला झाड़ने से हासिल कुछ नहीं होगा. राजनीति के तरकश से एक बार बयानों का तीर जो निकल गया तो फिर वो वापस नहीं लौट सकता. जहां एक तरफ राहुल गांधी गुजरात के तीन युवा तुर्क हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश के साथ सियासी तालमेल बिठाने में जुटे हुए हैं वहीं उनके एक वरिष्ठ नेता अपने बयान से बवाल खड़ा कर रहे हैं.

कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने का बीजेपी को मौका दे दिया. कांग्रेस ये बखूबी जानती है कि जब सिर्फ ‘मियां मुशर्रफ’ का नाम ही मोदी को गुजरात में चुनाव जिता सकता है तो ऐसे में कश्मीर की आज़ादी की मांग का बयान उसके लिए कितना घातक साबित हो सकता है. अब कांग्रेस कितना भी चिदंबरम के बयान का पटाक्षेप करने की कोशिश करे लेकिन बीजेपी को पूरे चुनाव के लिए कश्मीर की संजीवनी मिल ही गई है. पटेल की कर्मभूमि से कश्मीर पर सवाल उठाकर चिदंबरम ने कांग्रेस के अतीत को चुनावी मुद्दा बना दिया है.

बीजेपी अब पूरी तरह से आक्रमक हो गई है. उसने चिंदबरम की टिप्पणी को हैरान करने वाला बताते हुए आरोप लगाया कि कि कांग्रेस के नेता ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे नारा लगाने वालों का समर्थन करते हैं और ये बयान भारत के राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाता है. जेएनयू में भी कश्मीर की आज़ादी को लेकर नारे लगे थे. अब कश्मीर की स्वायत्तता बनाम आज़ादी की बहस गुजरात के चुनावी घमासान में खुलकर दिखाई देगी.