view all

नोटबंदी: मोदी का मास्टरप्लान काम आ रहा है?

मोदी ने विपक्ष को उन्हीं के बनाए जाल में घेरने की चाल चल दी है

Amitesh

सियासत के माहिर खिलाड़ी मोदी अपने विरोधियों को पटखनी देने की ताक में हर वक्त लगे रहते हैं. मोदी कभी सधी चाल से तो कभी अपने मास्टरस्ट्रोक से विपक्ष के घेरे को तोड़ने की कला रखते हैं.

इस बार जब कालेधन के खिलाफ मोदी के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े हो रहे हैं तब मोदी ने विपक्ष के जवाब को सीधे-सीधे सदन में देने के बजाए नई तरकीब निकाल ली.


मोदी ने विपक्ष को उन्हीं के बनाए जाल में घेरने की चाल चल दी है. नमो ऐप से उन्होंने जनता से सीधे सुझाव मांगा. जनता की नब्ज टटोलने में माहिर मोदी को इस बात का भरोसा है कि जनता उनके साथ है.

प्रधानमंत्री की तरफ से इस बाबत ट्वीट कर जानकारी भी दी गई है. बुधवार दोपहर 3.30 बजे के आंकड़े के मुताबिक, सिर्फ 15 घंटे में लगभग 5 लाख लोगों ने नरेंद्र मोदी ऐप पर अपना जवाब दिया.

इसमें 98 फीसदी लोगों ने माना है कि देश में कालाधन है. 90 फीसदी लोगों ने नमो ऐप पर फोर-स्टार रेटिंग दी है, जिसमें 73 फीसदी तो इस कदम को फाइव स्टार रेटिंग वाला मानते हैं. मतलब 90 फीसदी लोग सरकार के नोटबंद के कदम को बेहतर बता रहे हैं.

मोदी लोगों के इसी समर्थन के दम पर विपक्ष के हमले की धार को कुंद करना चाहते हैं. लोगों को परेशानी हो रही है. फिर भी शिकायत के बावजूद कालेधन के खिलाफ लड़ाई में सरकार के कदम से कदमताल कर रहे हैं.

लोगों का यही कदमताल मोदी को वह ताकत दे रहा है, जिसके दम पर वो सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपनों का सौदागर बने रहना चाहते हैं.

संसद में विपक्ष जवाब मांग रहा है. प्रधानमंत्री पर सीधे वार है, ऐतिहासिक कदम अगर प्रधानमंत्री का है तो विपक्ष को जवाब तो उन्हीं से चाहिए.

लेकिन, इन सबके बीच मोदी की कोशिश है सीधे विपक्ष के हमले से निपटने के बजाए जनता की तरफ से ही जवाब देने की. मोदी के इस मास्टरप्लान का असर भी दिखने लगा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने नमो ऐप के जरिए जनता से सवाल का जवाब मांगा. मोदी ने दस सवाल पूछकर जनता से नोटबंदी पर जवाब मांगा है या फिर यूं कहें कि मोदी ने नोटबंदी पर नमो ऐप के जरिए ही रेफरेंडम कराने का फैसला कर लिया.

नमो ऐप पर जनता मोदी के साथ है. लेकिन, विरोधी इस पर सवाल खड़े करेंगे ही. उनका सवाल जायज भी है, प्रधानमंत्री दूसरे मंचों से नोटबंदी पर भावुक होने के बजाए संसद में क्यों नहीं बोल रहे हैं जब संसद की कार्यवाही चल रही है.

शायद मोदी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.