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'आप' की रैली में विपक्षी दलों ने भरी हुंकार, कहा-उखाड़ फेकेंगे 'तानाशाह मोदी सरकार'

विपक्ष ने एक सुर में बीजेपी को ‘लोकतंत्र के लिए खतरा’ बताते हुए आगामी चुनाव में उसे हराने का संकल्प जताया

Bhasha

केंद्र सरकार के ‘तानाशाही’ रवैए के खिलाफ बुधवार को आम आदमी पार्टी की रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित विपक्ष के कई नेता शामिल हुए. विपक्ष ने एक सुर में बीजेपी को ‘लोकतंत्र के लिए खतरा’ बताते हुए आगामी चुनाव में उसे हराने का संकल्प जताया. ‘आप’ की इस रैली के पहले 19 जनवरी को कोलकाता में विपक्षी नेता एकजुट हुए थे. कोलकाता की रैली का आयोजन ममता बनर्जी ने किया था.

रैली को संबोधित करते हुए सीपीआई नेता डी. राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में संविधान खतरे में है. मोदी के शासन में संसद का मान घटा है और उसकी भूमिका को भी नजरअंदाज किया गया. राजा ने कहा कि बीजेपी का सत्ता में होना संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा है. उन्हें परास्त करना होगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य नेता भी रैली में मौजूद थे.


ममता के आते ही मंच से उतर गए वामपंथी नेता

आयोजन स्थल पर बी.आर आंबेडकर के पोस्टर भी लगे हुए थे. इसमें नारा लिखा था ‘तानाशाही हटाओ लोकतंत्र बचाओ.’ सीपीआई नेता सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि बीजेपी भाई-भाई को लड़ाकर दु:शासन की राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि बेहतर भारत के लिए इस सरकार को बदलने की जरूरत है. देश को बचाने के लिए ‘चौकीदार’ को हटाना होगा.

येचुरी ने कहा, ‘बीजेपी कौरव सेना की तरह है लेकिन पांडव (विपक्ष) उन्हें परास्त करेंगे और देश को बचाऐंगे.’ सबसे दिलचस्प यह रहा कि ममता बनर्जी के पहुंचने के कुछ मिनट पहले ही दोनों वाम नेता मंच से उतर गए. समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, एनसीपी के शरद पवार और एलजेडी प्रमुख शरद यादव सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता भी रैली में उपस्थित थे.

अगर योजनाएं थोपी तो नॉर्थ ईस्ट से बीजेपी को उखाड़ फेकेंगे

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने अरविंद केजरीवाल की रैली को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि विविधता को मानने की बजाए संकुचित, अनुदार विचार को थोपा जा रहा है. उन्होंने कहा कि निरंकुशता से लड़ने और लोकतंत्र को बचाने का यह बिल्कुल सही समय है. लोग मोदी सरकार से नाराज हैं.

गेगांग अपांग ने कहा कि केंद्र सरकार अरुणाचल प्रदेश में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को भी नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार 'लुक ईस्ट' नीति की बात कहती है लेकिन यह पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि वह क्रोध के साथ दिल्ली आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘मिजोरम ने कहा है कि अगर यह सरकार वापस सत्ता में आई तो वह अलग देश होगा. अरुणाचल की भी यही भावना है. भारत अखंड देश है और किसी भी सरकार ने पूर्वोत्तर में नागरिकता विधेयक को थोपने की कोशिश की तो लोग उसे उखाड़ फेकेंगे.’

यूपी में मोदी को ढूंढनी पड़ेगी दूसरी सीट

एसपी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि आगामी चुनाव में उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और बीजेपी राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी. उन्होंने कहा कि एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन उत्तरप्रदेश में ऐसी स्थिति बनाएगा कि मोदी को वाराणसी के अलावा दूसरी सीट भी तलाश करनी होगी.

डीएमके की राज्यसभा सदस्य कनिमोई ने कहा कि वह पार्टी प्रमुख स्टालिन की तरफ से विपक्षी नेताओं को समर्थन देने के लिए आई हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार के जाने से ही अर्थव्यवस्था, किसानों, वंचित लोगों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा हो पाएगी.