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विपक्ष का बंद बेअसर

विपक्ष प्रधानमंत्री से उनके बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़ा हुआ है.

Amitesh

दो दिन के अवकाश के बाद संसद की कार्यवही जब फिर शुरू हुई तो संसद के भीतर हंगामें में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला. हंगामा जारी रहा.

विपक्ष प्रधानमंत्री से उनके बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़ा हुआ है. विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री सदन में लगातार मौजूद रहें जब तक नोटबंदी पर चर्चा हो.


लेकिन, मोदी के मन में कुछ और ही चल रहा है. लगातार उनकी तरफ से सार्वजनिक मंच से ऐसा बयान दिया जा रहा है जिससे वो हर हाल में नोटबंदी पर विरोध कर रहे लोगों को भ्रष्टाचार के समर्थक बताना चाहते हैं. यही बात विपक्षी दलों को सताए जा रही है.

विपक्षी दलों की तरफ से इसी के बाद रणनीति बदली गई है. इस उम्मीद में कि जनता के दर्द को उठाकर जनता की तरफ से ही मोदी पर वार किया जाए. लेकिन, यहां भी मोदी को घेरने की विपक्षी चाल फेल होती दिख रही है.

विपक्षी दलों की तरफ से सरकार को घेरने के लिए सोमवार को जनआक्रोश दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.

विपक्षी दलों की कोशिश थी कि देश में जनता परेशान है और इसी परेशानी को लेकर जनता का आक्रोश उनके नोटबंदी के खिलाफ आंदोलन को नई ताकत देगा.

तस्वीर: PTI

लेकिन, शायद विपक्षी दल जनता के मूड को ठीक से भांप नहीं पाए. जनता परेशान जरूर है लेकिन, इस कदर नहीं कि सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ आंदोलन में शामिल हो जाए.

वामपंथी दलों की तरफ से भारत बंद का आह्वान किया गया. विपक्षी दलों ने संसद के भीतर एकजुटता दिखाने के बाद अब संसद के बाहर भी सड़कों पर एकजुटता दिखाने की कोशिश की, लेकिन यहां विपक्षी एकता तार-तार हो गई.

बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों की तरफ से किए गए इस आंदोलन से अपने-आप को पूरी तरह से अलग कर लिया. नीतीश ने पहले भी विपक्षी दलों से अलग हटकर नोटबंदी के समर्थन में मोदी के सख्त कदम का खुलकर समर्थन किया था.

ऐसे में जेडीयू नेता शरद यादव की संसद में विपक्षी दलों को लामबंद करने की कोशिश बेमानी हो जाती है.

विपक्ष की तरफ से बंद में खास तौर से कांग्रेस, टीएमएसी और वामपंथी दलों की ही भागीदारी ज्यादा दिख रही है. वामपंथी दलों के प्रभाव वाले बंगाल और केरल में बंद का कुछ जगहों पर असर दिख रहा है. बंगाल में ममता बनर्जी के नोटबंदी के खिलाफ समर्थन से बंद का असर वहां दिख रहा है.

लेकिन, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई दूसरे बड़े राज्यों में भारत बंद का असर नहीं दिख रहा है.

नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष की तरफ से संसद में प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश के तहत कांग्रेस के साथ टीएमसी, वामपंथी दल, एसपी, बीएसपी समेत सभी एक साथ दिख रहे थे. लेकिन, तमाम विरोधों के बावजूद न मायावती न मुलायम ने सड़क पर उतर कर विपक्ष के विरोध प्रदर्शन में साथ दिया.

अब सरकार की कोशिश है कि संसद के भीतर इस मुद्दे पर चर्चा हो. इसके लिए सरकार की रणनीति है कि जेडीयू, बीजेडी और दूसरे विपक्षी दलों को चर्चा के लिए तैयार किया जाए . इससे पूरे हंगामे में कांग्रेस, ममता और वाम दल अलग-थलग पड़ सकते हैं.