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पन्नीरसेल्वम का विद्रोह सभी बगावतों की 'अम्मा' है

शशिकला और पन्नीरसेल्वम की यह लड़ाई बहुत पर्सनल भी है.

T S Sudhir

"तमिझन ना कोक्का आ (आपको क्या लगता है कि कोई तमिल आदमी बिना काम का है)," ये आवाज ओ पन्नीरसेल्वम के एक समर्थक की थी.

चेन्नई के ग्रीनवेज रोड स्थित पन्नीरसेल्वम के घर पर बड़ी संख्या में पहुंचे समर्थक उन्हें आखिरकार 'हिम्मत दिखाने' की बधाई दे रहे थे. पन्नीरसेल्वम ने जिस तरह से शशिकला कैंप पर हमला बोला, उसको लेकर लोगों के मन में प्रशंसा का भाव था. अम्मा की समाधि पर किया गया 40 मिनट का उनका ध्यान तूफान के पहले शांति का था.


एक और समर्थक ने आवाज लगाई, 'जो भी मरीना से शुरू होगा, सफल जरूर होगा.' इशारा पिछले महीने चेन्नई के मरीना बीच पर हुए जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन की ओर था. समर्थकों के मुताबिक पन्नीरसेल्वम ने सीधा मोर्चा खोलकर अपनी दिलेरी का परिचय दिया है. उम्मीद के मुताबिक, उन्हें इसका 'इनाम' भी जल्द मिल गया- उन्हें पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया.

एमजीआर के देहांत के बाद 1987 में एआईएडीएमके में जो हुआ था, वैसा ही इतिहास दोहराया जा रहा है. मायलापुर की पूर्व विधायक राज्यलक्ष्मी ने तो यह भी कह दिया कि पार्टी टूट गई है और बस इस बात की देरी है कि विधायक पोस गार्डन (जयललिता का घर, जहां शशिकला रहती हैं) का साथ छोड़ने लगें. ऐसा करने वाले पहले बड़े नेता राज्यसभा सांसद डॉ वी मैत्रेयन हैं जिन्होंने पन्नीरसेल्वम के घर जाकर उनको समर्थन दिया है.

पन्नीरसेल्वम के इस कदम ने शशिकला को झटका दिया, यह इसी बात से साबित होता है कि वह मीडिया से बात करने के लिए वेद निलयम से बाहर आईं. उन्होंने ओपीएस के लिए समर्थन और जश्न के दृश्य देखे होंगे और वह दुनिया को दिखाना चाहती थीं कि असल ताकत- विधायक- उनके साथ हैं. यह मीडिया से दूर रहने वाली पार्टी के लिए बड़ा बदलाव है.

पन्नीरसेल्वम कम बोलते हैं और उन्होंने अपने पत्ते जल्द नहीं खोले. प्राइम टाइम पर उनका उठाया कदम एक मास्टरस्ट्रोक था. अभी देखें तो शशिकला के पास अधिकतर विधायकों का समर्थन है लेकिन यह गिनती बदल सकती है. सबसे अहम पन्नीरसेल्वम के विद्रोह पर कार्यकर्ताओं का रिएक्शन होगा. यह विधायकों पर दोबारा सोचने का दबाव बनाएगा. जाति समीकरणों के दम पर राजनीति करने वालों को देखना भी रोचक होगा क्योंकि दोनों शशिकला और पन्नीरसेल्वम ताकतवर थेवर समाज से आते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, पन्नीरसेल्वम ने अभी विधायकों से संपर्क नहीं किया है. वह अपनी बगावत की खबर बाहर नहीं आने देना चाहते थे.

बीजेपी और डीएमके इस घटनाक्रम से खुश ही होंगे क्योंकि दोनों पार्टियों को शशिकला के सीएम बनने से दिक्कत है. दोनों पार्टियों पर पन्नीरसेल्वम को समर्थन देने का आरोप भी लगा है.

यहां से आगे क्या होता है यह अहम होगा. गवर्नर वीएस राव शशिकला के दावे को सीधे स्वीकार नहीं करेंगे. अगर वह शशिकला को सरकार बनाने के लिए बुलाते भी हैं तो उन्हें वह सदन में ताकत साबित करने के लिए कह सकते हैं. पन्नीरसेल्वम भी राज्यपाल से मिलेंगे और उनसे कहेंगे कि उनसे दबाव में इस्तीफा दिलाया गया. हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार किया जा चुका है. ऐसे में राव और पन्नीरसेल्वम क्या रास्ता निकालते हैं, यह देखना होगा.

टीम शशिकला की उम्मीद होगी कि वह राव के सामने विधायकों की परेड करा सके और उनपर दबाव बना सके. वैसे राव पहले से ही शशिकला को सीएन बनाए जाने को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में फैसला हफ्ते भर में आना है. ऐसे में संभव है कि राव यथास्थिति बनाए रखें.

हालांकि इसमें भी एक समस्या है. केयरटेकर सीएम के पास कोई पार्टी नहीं है- ऐसा ही कुछ यूपी में हुआ था जब मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को पार्टी से निकाल दिया था.

तमिलनाडु राजनीतिक दुविधा में है और राज्यपाल के चेन्नई से बाहर होने से यह संकट गहरा ही रहा है. उन्हें यहां होना चाहिए ताकि राजनीतिक अस्थिरता की यह स्थिति कहीं कानून और व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित न करे.

शशिकला और पन्नीरसेल्वम की यह लड़ाई बहुत पर्सनल भी है.

पन्नीरसेल्वम ने शशिकला के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने साइक्लोन वरदा के दौरान जो अच्छा काम किया था, वह शशिकला को पसंद नहीं आया. एआईएडीएमके पन्नीरसेल्वम को 'विश्वासघाती' के तौर पर दिखा रही है, हालांकि वह पन्नीरसेल्वम के साथ हुए व्यवहार को भूल जा रही है. शशिकला ने एक से अधिक बार उन्हें नजरअंदाज कर उन्हें वह इज्जत नहीं दी एक सीएम को मिलनी चाहिए थी.

इतना तो तय है कि पन्नीरसेल्वम का विद्रोह सभी बगावतों की 'अम्मा' है.