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कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में छाया रहेगा NRC का मुद्दा

आगामी 4 अगस्त को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में एनआरसी के मुद्दे की व्यापकता पर चर्चा हो सकती है.

Debobrat Ghose

अब जबकि लोकसभा चुनावों में एक साल से भी कम का समय बचा है नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेन्स ( एनआरसी ) एक ऐसा मुद्दा बनकर उभरा है जिसपर विपक्ष बीजेपी से सीधी भिड़ंत करने के मूड में है. अब ये कितना सफल होगा, ये तो समय ही बताएगा.

आगामी 4 अगस्त को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे की व्यापकता पर चर्चा हो सकती है. संभव है कि एनआरसी ही सीडब्ल्यूसी की मीटिंग के केंद्र में रहेगा.


एक कांग्रेस नेता ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया ‘ एनआरसी सीडब्ल्यूसी की मीटिंग का मुख्य एजेंडा बनने जा रहा है क्योंकि इस समय देश में यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. जिस तरीके से केंद्र सरकार ने असम में ये प्रक्रिया शुरू की है इससे बड़ी संख्या में वो लोग भी प्रभावित हुए हैं जो उसी राज्य के रहने वाले हैं न कि कहीं बाहर के. हमें बताया गया है कि इसमें वहां के मूल निवासी भी प्रभावित हुए हैं जिनमें बड़ी संख्या में चाय बागान के मजदूर भी शामिल हैं.’

बीती 17 जुलाई को राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी में बदलाव के बाद पहली बैठक 22 जुलाई को हुई थी. आगामी 4 अगस्त के लिए कई मुद्दों के बीच एनआरसी की महती भूमिका रहेगी. 2019 के चुनाव में विपक्ष की तरफ से समर्थन जुटाने के लिए भी एनआरसी का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण रह सकता है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने कहा, ‘ एनआरसी असमिया लोगों की भावनाओं का ख्याल रखने के लिए बनाया गया था न कि समाज को विभाजित करने के लिए जो बीजेपी सरकार कर रही है.’

कांग्रेस इस मुद्दे को गर्माने में कोई प्रयास बाकी नहीं रखेगी. सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में यह तय किया जाएगा कि इस मुद्दे को आगे कैसे लेकर जाएं. दूसरी कौन सी पार्टियां इसमें सहयोग दे सकती हैं? और क्या तरीका अपनाया जाए? मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह विरोध दर्ज कराने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी.

ये और महत्वपूर्ण इसलिए हो गया है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी ने भी बुधवार को इस मुद्दे पर यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है. ममता बनर्जी ने इस दौरान 2019 के लिए विपक्षी एकता की संभावनाएं भी तलाशी हैं. गौरतलब है कि करीब एक सप्ताह पहले कांग्रेस की तरफ से यह बयान भी आया था कि हम पीएम पद के लिए पार्टी से बाहर किसी ऐसा नेता को भी समर्थन कर सकते हैं जिसका संघ या बीजेपी से कोई नाता न हो. इसमें कांग्रेस की तरफ से ममता बनर्जी और मायावती का नाम सामने आया था. जबकि इसके पहले कांग्रेस ने राहुल गांधी को 2019 लोकसभा चुनाव के लिए पीएम कैंडिडेट बनाने की बात कही थी.

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और सांसद आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा था, ‘ एनआरसी का प्रभाव बांग्लादेश के साथ हमारे रिश्तों पर पड़ेगा और साथ ही यह एक मानवीय त्रासदी की तरफ भी अग्रसर होगा. ये ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर राजनीति की जानी चाहिए. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पूरी स्थिति बताने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों की एक बैठक बुलानी चाहिए. और इस संदर्भ में जो भी कदम उठाए जा रहे हैं उसके बारे में जानकारी देनी चाहिए. इसकी वजह से किसी व्यक्ति को अपने परिवार से अलग न होना पड़े. और न ही लोगों को किसी कैंप में जाना पड़े. ’

CWC की मीटिंग में दूसरे मुद्दे

एनआरसी के अलावा इस मीटिंग में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा की जाएगी. इसके अलावा लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं, अर्थव्यवस्था और महंगाई पर भी चर्चा होगी.

राहुल गांधी ने बीती 31 जुलाई को अपने आवास पर मध्य प्रदेश के टॉप लीडर्स की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी जिनमें कलमलाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह शामिल थे. इस मीटिंग में चुनावी रणनीति का पूरा खाका भी तैयार किया गया था. राहुल चुनाव प्रचार के अभियान की शुरुआत खांडवा में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में दर्शन के बाद शुरू करेंगे.

वहीं CWC की मीटिंग के बारे में एक कांग्रेसी नेता ने बताया- मीटिंग लोगों को जोड़ने के मुद्दे पर ही होगी क्योंकि इस मुद्दे में पार्टी का बेहद भरोसा है. दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दों में दलित, आदिवासी, और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान पर भी चर्चा होगी. पार्टी को ग्रास रूट स्तर पर मजबूत करने के विषय पर चर्चा होगी और नीतियों को लोगों तक पहुंचाने के मुद्दे पर भी बात होगी.