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अब असम के बाद बंगाल की बारी ! पश्चिम बंगाल में एनआरसी पर आरएसएस का अभियान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पश्च‍िम बंगाल में एनआरसी लाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. आरएसएस का कहना है कि पश्चिम बंगाल में बांग्ला भाषी हिंदुओं की रक्षा के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप काफी जरूरी हो गया है.

Amitesh

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पश्च‍िम बंगाल में एनआरसी लाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. आरएसएस का कहना है कि पश्चिम बंगाल में बांग्ला भाषी हिंदुओं की रक्षा के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप काफी जरूरी हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस पश्चिम बंगाल में एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अभियान शुरू कर रहा है.

आरएसएस का मानना है, ‘बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिए पश्चिम बंगाल में शरण लेते हैं और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं. यह न केवल बंगाली हिंदुओं के लिए खतरा है, बल्कि पूरे समाज के लिए भी एक बहुत बड़ा नुकसान है.’


संघ की यह कोशिश उस वक्त सामने आई है जब 17 से 19 सितंबर तक दिल्ली में संघ के कार्यक्रम में बोलते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी एनआरसी और घुसपैठिए की समस्या को लेकर बयान दिया था. इस कार्यक्रम के दौरान संघ की राय साफ थी कि राजनीति में भले ही संघ दखल नहीं दे, लेकिन, राष्ट्र नीति के सवाल पर संघ चुप नहीं बैठ सकता.

अब संघ की तरफ से इस मुद्दे को और बेहतर ढंग से उठाने की तैयारी हो रही है. संघ चाहता है कि असम के बाद एनआरसी को पूरे देश में लाया जाए. खास तौर से पश्चिम बंगाल में तो तुरंत इसकी कवायद की जाए. संघ और बीजेपी का मानना है कि बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठियों की वजह से पश्चिम बंगाल में भी डेमोग्राफी पर बुरा असर हुआ है. लिहाजा अब असम के बाद पश्चिम बंगाल में भी इसको लेकर संघ सक्रिय हो गया है.

बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के इलाके में संघ सक्रिय

प्रतीकात्मक तस्वीर

सूत्रों के मुताबिक संघ के प्रचारकों ने बंगाल के सीमावर्ती जिलों में एनआरसी के समर्थन में जनसमर्थन भी जुटाना शुरू कर दिया है. नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत को देखते हुए आरएसएस का कहना है, 'यह उन बंगाली हिंदुओं के लिए जरूरी है, जो बांग्लादेश में जारी अत्याचार की वजह से भारत आने को मजबूर हुए हैं.

संघ का मानना है, ‘बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या का अनुपात 22 फीसदी से घटकर 8 फीसदी तक आ गया है. यदि हम बांग्लादेशी हिंदुओं को शरण नहीं देंगे,  तो वह एक बार फिर जेहादी तत्वों द्वारा मार दिए जाएंगे.’

दरअसल एनआरसी के मुद्दे पर संघ परिवार और बीजेपी की राय रही है कि बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठिए की पहचान कर उन्हें देश से बाहर किया जाए. लेकिन, उससे पहले उनकी पहचान कर देश के भीतर मताधिकार से वंचित किया जाए. मतलब साफ है, घुसपैठिए जो कि बांग्लादेश से आकर असम, पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों की डेमोग्रेफी को बदल रहे हैं उन्हें मत देने के अधिकार से वंचित कर उन्हें एक आम नागरिक को मिलने वाली सारी सुविधाओं से वंचित किया जाए.

लेकिन, ऐसा करते वक्त संघ परिवार और बीजेपी की तरफ से बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे पडोसी मुल्कों से आए उन शरणार्थियों को छूट देने की बात कही जाती है जो उन देशों में अल्पसंख्यक हैं. मसलन, हिंदू, सिख, जैन जैसे शरणार्थियों को भारत में रहने और उन्हें भारत की नागरिकता देने की भी बात कही जाती रही है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली की बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बाकायदा इस प्रस्ताव का जिक्र भी किया है.

पश्चिम बंगाल में संघ की तरफ से चलाए जा रहे अभियान में भी यही बात कही जा रही है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों के साथ हो रही ज्यादती और उनके पश्चिम बंगाल में संरक्षण देने की बात कर संघ ने इस अभियान की शुरुआत की है.

बीजेपी ने संघ के इस कदम का किया स्वागत

दिलीप घोष

पश्चिम बंगाल बीजेपी की तरफ से इस कदम का स्वागत किया जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने जोर देकर कहा है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बाहर कर देना चाहिए. दिलीप घोष ने कहा, 'हमें पता है कि बंगाल में एक करोड़ से ज्यादा अवैध लोग रहते हैं.’

उन्होंने बताया कि असम में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार एनआरसी लागू किया जा रहा है और अब बंगाल में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर भेजने की बात की है.

चुनाव से पहले गरमाएगी सियासत

एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी को असम में काफी समर्थन मिल रहा है. इस वक्त असम समेत पूरे नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी के पक्ष में माहौल दिख रहा है. इस मुद्दे पर कांग्रेस बैकफुट पर दिखी. जबतक, कांग्रेस इस मामले में संभल पाती तबतक काफी देर हो चुकी थी. असम में कांग्रेस के खिलाफ और बीजेपी के पक्ष में माहौल बन गया.

अब बीजेपी को लगता है कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली और मुंबई समेत दूसरे राज्यों और शहरों में इस मुद्दे को उठाया जा सकता है. चुनाव से पहले इस मुद्दे पर बीजेपी को सीधा फायदा मिलता दिख रहा है जो कि संघ परिवार और बीजेपी के एजेंडे में पहले से है.

वहीं दूसरी तरफ,  तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी और संघ की मांग को गलत बता दिया है. टीएमसी सांसदों ने कहा है, ‘असम में वो जो कर रहे हैं, उसे बंगाल में भी शुरू किया जा चुका है लेकिन इसमें वह लोग सफल नहीं होंगे. यह अवैध है और भारत के संविधान के खिलाफ है.’

टीएमसी ने कहा है कि हम हिंदू और मुसलमान दोनों का सम्मान करते हैं. सेकुलर हिंदू ऐसे कदमों का समर्थन नहीं करेंगे.

दरअसल, 2019 में बीजेपी की नजर पश्चिम बंगाल पर है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 22 से ज्यादा लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा और वहां जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैयार कर संगठन को मजबूत करने की कोशिश जारी है.

बीजपी की तरफ से लगातार पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया जा रहा है. ममता बनर्जी का एनआरसी पर रुख भी बीजेपी के रुख से बेहद उलट है. ऐसे में एक बार फिर संघ परिवार और बीजेपी की तरफ से एनआरसी के मुद्दे को उठाकर अवैध घुसपैठिए के मसले पर ममता सरकार से आर-पार की तैयारी की जा रही है. इस मुद्दे पर घमासान ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद कर सकता है.