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आज भी नरेंद्र मोदी बने लाल कृष्ण आडवाणी के सारथी

इतिहास को बदला नहीं जा सकता है. हम अगर आडवाणी का राजनीतिक इतिहास देखेंगे तो निश्चित तौर पर हमें सीख मिलेगी.

Amit Singh

कभी आडवाणी की ऐतिहासिक रथयात्रा के सारथी रह चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं देते हुए उनकी लंबी उम्र की कामना की. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया,'हमारे मार्गदर्शक और प्रेरक, सम्मानीय लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं.'

इस ट्वीट के बाद लालकृष्ण आडवाणी ट्वीटर पर ट्रेंड करने लगे. यानी सत्तारूढ़ भाजपा के राजनीतिक इतिहास के अहम अध्याय आडवाणी को सोशल मीडिया पर छाने के लिए सारथी मोदी की जरूरत पड़ी.


वैसे यह समय की विडंबना है कि जिस भाजपा की राजनीति को अपने कंधों का सहारा देकर बुलंदियों पर आडवाणी ने पहुंचाया था, आज उन्हें गूगल ट्रेंड में आने के लिए दूसरों के कंधों की जरूरत पड़ रही है.

इतिहास को बदला नहीं जा सकता है. हम अगर आडवाणी का राजनीतिक इतिहास देखेंगे तो निश्चित तौर पर हमें सीख मिलेगी. आडवाणी ने करीब तीन दशक पहले भारत के राजनीतिक पटल पर बड़ा बदलाव कर दिया था.

आडवाणी की सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की यात्रा ने देश के मानस को बदल दिया. इस यात्रा का असर यह रहा कि आडवाणी ने एक दशक के भीतर ही उन्होंने 1984 में लोक सभा में 2 सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बना दिया.

गौरतलब है कि उन्होंने 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी. वे पहली बार 1986 में भाजपा के अध्यक्ष चुने गए. 1989 में भाजपा उनके नेतृत्व में 86 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी संसदीय पार्टी बनकर उभरी.

1999 में जब केंद्र में भाजपानीति गठबंधन की सरकार बनी तो उन्हें गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री बनाया गया. 2004 में जब भाजपा सत्ता से बाहर हो गई तो नेता विपक्ष बने.

हालांकि जानकारों का कहना है कि इसी के साथ आडवाणी की पकड़ भारतीय राजनीति पर कमजोर होती चली गई. 1990 में अपने नारों, अपने भाषणों से जनता में लोकप्रिय आडवाणी की लोकप्रियता नारों से अलोकप्रिय होते गए.

वर्ष 2006 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान आडवाणी ने मोहम्मद अली जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष करार किया. इस पर खासा विवाद खड़ा हो गया. जानकारों का कहना है कि आडवाणी को इसकी राजनीतिक कीमत भी चुकानी पड़ी थी.

2008 में उन्होंने 'माय कंट्री, माय लाइफ' नाम से अपनी आत्मकथा लिखी. भाजपा ने 2009 में आम चुनाव उनके नेजृत्व में लड़ा लेकिन उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

आठ नवंबर 1927 को कराची शहर (अब पाकिस्तान) में जन्में आडवाणी ने अपनी पढ़ाई-लिखाई सेंट पैट्रिक स्कूल में की. 1942 में वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. 1944 में वो कराची के मॉडल हाई स्कूल में टीचर हो गए.

भारत के विभाजन के बाद में दिल्ली आ गए. बाद में उन्होंने राजस्थान में प्रचारक के तौर पर काम किया. 1970 में उन्हें पहली बार राज्य सभा सदस्य बने. 1977 की जनता पार्टी सरकार में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने.

2014 में छठवीं बार लोक सभा के लिए चुने गए. वे फिल्मों और किताबों के शौकीन हैं. अक्सर उन्हें किताबों के साथ देखा जाता है. वे ब्लॉग लिखने के शौकीन है. समय-समय पर उनके ब्लॉग चर्चा में आते रहते हैं. आडवाणी क्रिकेट के भी काफी शौकीन हैं.

एक अच्छे सांसद के रूप में भी आडवाणी को पुरस्कृत किया गया है. आडवाणी ने 25 फरवरी 1965 को कमला से शादी की थी. उनके दो बच्चे बेटा जयंत और बेटी प्रतिभा है.