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कांग्रेस वालों, 'बाल नरेंद्र' ने एक और बच्चा उठा लिया है, अब तो जागो!

आधार, जीएसटी और अब बुलेट ट्रेन...एक एक करके नरेंद्र मोदी कांग्रेस की हर योजना को अपनी उपलब्धियों के बहीखाते में जोड़ते जा रहे हैं

Shailesh Chaturvedi

एक स्टैंड-अप आर्टिस्ट हैं वरुण ग्रोवर. कॉमेडी ही उनकी पहचान नहीं है. लेकिन अभी बात उनके स्टैंड-अप एक्ट की है. उन्होंने नरेंद्र मोदी पर आई किताब बाल नरेंद्र पर एक एक्ट किया था. उस किताब में जिक्र था कि कैसे बाल नरेंद्र यानी बच्चे नरेंद्र मोदी नदी में जाते हैं और मगरमच्छ के बच्चे को ले आते हैं. वरुण ग्रोवर ने एक्ट में तंज कसा था कि मगरमच्छ थे या कांग्रेस? एक आदमी आपका बच्चा ले गया और आप मजे से पड़े हुए हैं!

कांग्रेस तब भी मगरमच्छ की तरह अपने बच्चे को जाती देखती रही, जब आधार की बात आई. वे कहते रहे कि आधार तो हमने शुरू किया था. श्रेय मोदी सरकार ले गई. मनरेगा पर जमकर सुनाने के बाद भी मोदी ने इस योजना को बरकरार रखा और अब उसमें हुई बेहतर बातों का श्रेय ले रहे हैं. ये वाला ‘बच्चा’ भी बाल नरेंद्र ले गए. अब बुलेट ट्रेन की बारी है.


बुलेट ट्रेन की पूरी परिकल्पना मोदी के इर्द-गिर्द है. अगर बुलेट ट्रेन शुरू होती है, तो शायद ही मोदी के अलावा किसी को श्रेय मिलेगा. कांग्रेस तो बुलेट ट्रेन की आलोचनाओं में यह तक याद नहीं रख पा रही कि शुरुआत उन्होंने ही की थी. कांग्रेस चाहे, तो कुछ साल पहले के डॉक्युमेंट निकालकर देख सकती है. 2009 की बात है. उस वक्त ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं. 82 पेज का विजन डॉक्युमेंट था. इसके पेज नंबर चार पर ममता बनर्जी की तस्वीर है.

विजन डॉक्युमेंट के पेज नंबर दस पर जिक्र है कि छह कॉरिडोर को हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के अध्ययन के लिए चुना गया है. इनमें पुणे-मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर शामिल था. यह विजय 2020 डॉक्युमेंट था, जिसमें साफ जिक्र था कि बुलेट ट्रेन के बराबर यानी 250 से 350 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की संभावनाओं पर अध्ययन होगा. इसे 2020 तक लाने की योजना थी. हम सब जानते हैं कि 2009 में किसकी सरकार थी. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे.

2012 में भी यूपीए की सरकार थी. उस वक्त रेलवे की एक्सपर्ट ग्रुप की रिपोर्ट आई थी. इसमें भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने की योजना पर चर्चा थी. 25 पेज की रिपोर्ट में पेज नंबर आठ का पॉइंट नंबर आठ देखा जा सकता है. इसमें अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन की योजना का जिक्र है. इसकी रफ्तार का भी जिक्र है, जो 350 किमी प्रति घंटा होने की बात की गई है. इसके अलावा छह और भी कॉरिडोर को चिन्हित करने की बात है, जहां हाई स्पीड ट्रेन चलाने की योजना का जिक्र है.

उसके बाद आती है बारी 2013 की. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जापान गए थे. वहां प्रधानमंत्री शिंजो आबे थे. जॉइंट स्टेटमेंट जारी हुआ था, जो विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है. कुल 34 पॉइंट थे. इसमें पॉइंट नंबर 15 और 16 को देखना जरूरी है.

इसमें जिक्र है कि जापान भारत में हाई स्पीड ट्रेन को लेकर मदद के लिए तैयार है. इसमें दिल्ली मुंबई कॉरिडोर का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि सेमी हाई स्पीड ट्रेन का रोड मैप तैयार होगा.

लेकिन अब तो खुद जापानी पीएम तक को ये बातें नहीं याद रहीं. गुरुवार को हुए बुलेट ट्रेन के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान जापानी पीएम ये बात भूल गए कि 2013 में भी कोई समझौता हुआ था. उन्होंने कहा कि इस समझौते की शुरुआत महज 2 सालों ही हुआ था. यानी बुलेट ट्रेन के शोर में जापानी पीएम का वास्तविक ज्ञान थोड़ा धुंधला पड़ गया.

चलिए, इससे आगे बढ़ते हैं. अक्टूबर 2013 में भारत और जापान के बीच एक एमओयू साइन हुआ था. इसमें भी हाई स्पीड रेलवे सिस्टम की संभावना के अध्ययन की ही बात थी. यानी 2009 से लेकर 2014 तक भारत और जापान के बीच काफी कुछ हुआ था. लेकिन वो दौर था, जब प्रधानमंत्री की यात्रा कोई इवेंट नहीं होती थी, जो मोदी के आने के बाद हो गई है.

शायद यही वजह है कि कांग्रेस इस वक्त बात कर रही है कि कैसे मोदी की प्राथमिकताएं गलत हैं. वो बता रहे हैं कि मोदी ने शिंजो आबे को दिल्ली क्यों नहीं बुलाया. वे बता रहे हैं कि जब दूसरी बात होनी चाहिए, तब बुलेट ट्रेन की बात की जा रही है. आनंद शर्मा ने अपने बयान में इतना जरूर जिक्र किया है कि तबके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जापान के साथ बहुत से अहम समझौते किए. लेकिन उसमें ये जिक्र नहीं कि बुलेट ट्रेन को लेकर क्या-क्या काम किया गया था.

कांग्रेस या विपक्षी पार्टियों की दिक्कत यही है कि मोदी सरकार के आने के बाद उनका फोकस लगातार नेगेटिव बातों पर है. मोहन भागवत के कार्यक्रम को रोकने या नरेंद्र मोदी के भाषण को बैन करने में ममता बनर्जी इतनी व्यस्त हैं कि उन्हें याद भी नहीं रहा होगा कि रेल मंत्री रहते हुए बुलेट ट्रेन पर भी बात की थी. इसी तरह कांग्रेस भी असहिष्णुता लेकर तमाम वो मुद्दे उठा रही है, जो सिर्फ और सिर्फ नेगेटिविटी दिखाती है. वे अब भी अपनी उन बातों को लोगों तक नहीं पहुंचा पाए हैं, जो पॉजिटिव हैं. इन्हीं सारी बातों का श्रेय एक के बाद एक मोदी ले जा रहे हैं.

कुल मिलाकर अगर वरुण ग्रोवर की भाषा में कांग्रेस को मगरमच्छ जैसा मान लिया जाए, तो उसके एक और बच्चे को बाल नरेंद्र ने उठा लिया है. वो भी इस तरह कि अब अगर कोई कहे, तो भी मानना आसान नहीं होगा कि बुलेट ट्रेन को लेकर मोदी सरकार से पहले भी काम किया गया है. इस बार भी ‘मगरमच्छ अपने बच्चे को उठाकर ले जाते बाल नरेंद्र’ को देख भर रहा है.