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चौतरफा होगा पीएम के फैसले का असर

पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के निर्णय के कई आयाम है.

Arun Tiwari

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा देश के हालिया इतिहास में कालेधन पर उठाया गया यह सबसे बड़ा कदम है.

एक अनुमान के मुताबिक रियल स्टेट में 40 से 50 प्रतिशत तक ट्रांजेक्शन ब्लैक मनी से हो रहा है. बाजार में मौजूद नकदी का करीब 86 पर्सेंट रकम 500 और 1000 रुपए के नोट में है.


इसके अलावा पाकिस्तान से आने वाली जाली करेंसी पर भी यह बड़ा प्रहार है. ध्यान देने वाली बात है कि बुधवार को पीएम तीनों सेनाओं के हेड से मिले.

इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक हाल में देश में जितनी अतिवादी घटनाएं हुईं हैं उनमें जाली नोट का इस्तेमाल हुआ है. इस कदम से सरहद पार से आने वाले नकली नोट भी बेमानी हो जाएंगे.

हालांकि सरकार के इस निर्णय से बाजार में शुरुआती अफरा-तफरी मच गई है. गुरुवार की सुबह शेयर बाजार 1500 अंक टूटकर खुला. शॉर्ट टर्म में गोल्ड की डिमांड बढ़ सकती है.

काफी हद तक आम नागरिक भी इससे प्रभावित होगा क्योंकि एक दिन बैंक और दो दिन एटीएम बंद रहेंगे.

लेकिन हमें इसे नकारात्मक तौर पर नहीं देखना चाहिए क्योंकि काले धन के खिलाफ आप जब भी कोई स्टेप लेंगे तो वह ऐसे ही लिया जा सकता है. इसके लिए बहुत सारे लोगों को भरोसे में नहीं लिया जा सकता.

इसका असर आने वाले विधान सभा चुनावों में भी देखने को मिलेगा. कहा जाता है चुनाव लोकतंत्र का त्योहार हैं.

इनमें भी काले धन का इस्तेमाल होता है. इस निर्णय से कैश में पड़े भारी मात्रा में पैसों पर असर पड़ेगा. इससे विधानसभा के ये चुनाव फीके हो सकते हैं. आप देखेंगे के इसका असर सभी पार्टियों पर पड़ेगा.

ये भी मामला सामने आया है कि कुछ राजनीतिक पार्टियों ने कहा है कि उन्हें इस कदम के पहले भरोसे में लिया जाना चाहिए था.

उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि ऐसा नहीं किया जा सकता है. अगर आप पूरे देश को बताकर यह निर्णय लेंगे तो कालेधन पर रोक लगा पाना लगभग नामुमकिन है.

इस कदम के परिप्रेक्ष्य में लोगों की तीखी प्रतिक्रिया भी आ रही है. पहले वो लोग हैं जिनको वास्तविकता में समस्या है.

जैसे बैंक और एटीएम बंद हैं. कई लोग ऐसे होंगे जिन्होंने कुछ प्लान नहीं किया होगा. कई लोग ऐसे भी होंगे जिनके पास सब्जी खरीदने के पैसे तक नहीं होंगे. ऐसे लोगों की समस्या सही है.

उनका रिएक्शन वाजिब हैं. इसकी बहुत अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए कि इस पर आम जनता का रिएक्शन बहुत अच्छा आएगा.

एक सवाल यह भी उठ रहे है कि हजार की नोट एटीएम से निकलने पर कई बार खुदरे पैसों की मुश्किल होती है तो दो हजार के नोट तो और परेशानी का सबब बन जाएंगे.

इसमें थोड़ा टोकेनिजम भी हो सकता है. क्योंकि जब आप पांच सौ से नए नोट ला ही रहे हैं तो हजार के भी ला सकते थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

एक समस्या यह तो है ही कि हम जितने बड़े नोट लेकर आएंगे वो आगे समस्याएं भी पैदा करते हैं. इसका कोई बहुत लाभ है, यह कहना मुश्किल है.

( आर्थिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन से बातचीत पर आधारित )