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नोट बंदी पर सियासत, वोट बंदी की चिंता !

पीएम ने जब नोटों को बंद करने का ऐलान किया तो सियासी गलियारे में भूचाल आ गया.

Amitesh

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब 500 और 1000 रूपये के पुराने नोटों को बंद करने का ऐलान किया तो सियासी गलियारे में भूचाल आ गया. विपक्षी दलों की तरफ से तो प्रतिक्रिया आना लाजिमी था. लेकिन विपक्ष की आलोचना भी अलग-अलग रूप में आई. किसी ने इसे गरीब विरोधी बताया तो किसी ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री पर वार करना शुरू कर दिया.

बड़ा वार हुआ मायावती और अरविंद केजरीवाल की तरफ से. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा ‘ढाई साल में अपना बंदोबस्त करने के बाद बीजेपी ने जनता में त्राहि-त्राहि मचाने वाला कदम उठाया है. अपना आर्थिक हित सुरक्षित करने के बाद बीजेपी ने यह फैसला लिया है, जिससे 100 साल तक पार्टी को आर्थिक मदद मिलती रहे.’


कालाधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली बीजेपी के ऊपर मायावती ने बड़ा सवाल  उठाया है. इस फैसले को गरीब विरोधी बताते हुए मायावती ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला भी बोला.

दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कालेधन के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ हमला बोला. केजरीवाल ने कहा, ‘इनके दोस्तों ने अपनी सेटिंग पहले ही कर ली है. कालाधन बाहर भेज दिया, जमीन खरीद ली, सोना खरीद लिया. चुनाव के लिए सौ-सौ का नोट रख लिया.’

मायावती और केजरीवाल की बौखलाहट ज्यादा दिख रही है. दोनों ने सीधे-सीधे हमला बोला है. दोनों के हमले का अंदाज लगभग एक सा है. मायावती भी कह रही हैं कि बीजेपी ने अपना बंदोबस्त कर लिया है, केजरीवाल भी कह रहे हैं कि बीजेपी ने अपना जुगाड़ कर लिया है.

सवाल यही है क्या बाकी लोगों को बंदोबस्त का मौका ही नहीं मिला ? यूपी से लेकर पंजाब तक विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी में मायावती का स्टेक दांव पर है तो  पंजाब में केजरीवाल कोई बड़ा उलटफेर करना चाहते हैं.

नोटबंदी पर सियासत के इस खेल में चुनाव का जिक्र बीच में होने से एक बार फिर से चुनाव में धन के इस्तेमाल की बात पर बहस छिड़ गई है.

बीजेपी के थिंकटैंक रह चुके के एन गोविंदाचार्य ने फर्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा कि इससे आंशिक सुधार जरूर होगा और चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल पर कुछ हद तक रोक लग पाएगी. बकौल गोविंदाचार्य इससे कुछ हद तक ही चुनाव सुधार हो पाएगा. अभी चुनाव सुधार की दिशा में तो कई और बड़े कदम उठाने होंगे. लेकिन 2000 रूपये के नोट शुरु करने के सरकार के फैसले पर उन्होंने सवाल भी खड़ा किया.

लेकिन यह हमला दूसरे विपक्षी दलों की तरफ से भी हो रहा है. कांग्रेस और एसपी ने इस फैसले को गरीब विरोधी बताया है.

सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुलायम सिंह यादव ने भी मोर्चा खोला है. मुलायम ने इसे गरीबों को  परेशान करने वाला फैसला बताते हुए इस पर एक हफ्ते तक रोक लगाने की मांग की है.

एसपी सुप्रीमो ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से गरीब परेशान हो रहे हैं. खासतौर से जिनके घरों में शादियां हैं. उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

मुलायम सिंह यादव ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि बिना किसी रोक-टोक के महिलाओं को 5 लाख रुपये बैंक में जमा करने की अनुमति दी जाए.

दरअसल कांग्रेस, एसपी, बीएसपी समेत बाकी पार्टियां आम लोगों को होनेवाली तात्कालिक परेशानियों को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरना चाहती हैं. इनको लगता है कि चुनाव के दौरान इसे मुद्दा बनाकर इसका सियासी फायदा उठाया जा सकता है.

जबकि बीजेपी को लगता है कि कालेधन के खिलाफ इस बड़े प्रहार का फायदा उसे चुनावों में मिलेगा. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इसे कालेधन के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बता चुके हैं.

बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी 500 और 1000 रूपये के नोट को बंद कर कालेधन पर रोक के फैसले को अगले चुनावों में उठाएगी. लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, विपक्ष के आरोपों की धार कुंद करने की. फिलहाल एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर संग्राम जारी है.