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धर्म सभा की कामयाबी ही नहीं, अयोध्या में शांति भी संघ परिवार की बड़ी चुनौती

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की संघ परिवार की योजना है

Ranjib

सियासी तीर भी निशाने पर लगे और दिल्ली व लखनऊ की सरकारों के लिए सवाल भी खड़े न हो सकें- विश्व हिंदू परिषद की ओर से रविवार को अयोध्या में प्रस्तावित धर्म सभा के मद्देनजर पूरे संघ परिवार के लिए यह दोहरी चुनौती है. धर्म सभा में बड़ा जुटान न हो सका तो सवाल उठेंगे और जुटान बड़ा हुआ तो उसे नियंत्रण में रखना जरूरी होगा. अन्यथा मोदी और योगी सरकार पर सवाल उठेंगे.

उत्तर प्रदेश में सवाल खुद सरकार की सहयोगी पार्टी ने ही उठा दिए हैं. योगी सरकार में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सवाल उठाया है कि जब अयोध्या में धारा 144 लागू है तो इतना बड़ा आयोजन कैसे किया जा रहा है. उन्होंने एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के उस बयान का भी समर्थन किया है कि अयोध्या में सेना को उतारा जाना चाहिए ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे.


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2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की संघ परिवार की योजना है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कह चुका है कि इसके लिए ‘1992 जैसा माहौल’ बनाया जाएगा. अयोध्या में VHP की धर्म सभा की तैयारियों की संघ लगातार निगरानी कर रहा है. भैयाजी जोशी अयोध्या में कह चुके हैं कि तिरपाल में रामलला का दर्शन आखिरी बार कर रहे हैं. विहिप की ओर से कहा जा रहा है कि यह मंदिर निर्माण की मांग के साथ यह आखिरी धर्म सभा है. इसके बाद मंदिर निर्माण ही होगा.

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तब कानून भी टूटा था और विवादित ढांचा भी

‘92 जैसा माहौल’, ‘आखिरी बार तिरपाल में रामलला के दर्शन’ और ‘आखिरी बार धर्म सभा’ होने जैसे बयानों से करीब छब्बीस साल बाद फिर एक बार अयोध्या के माहौल में खासा तनाव घुला है. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवा के मौके पर भी यूपी मे बीजेपी की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री जबकि केंद्र में नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार. तब भी कहा गया था कि कानून नहीं टूटने दिया जाएगा लेकिन तब कानून भी टूटा था और विवादित ढांचा भी.

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यही वजह है कि धर्म सभा के आयोजन को लेकर तनाव और आशंकाओं का माहौल है. धारा 144 लगाने के मद्देनजर इतना बड़ा जुटान न होने देने के बयानों के बजाय प्रशासन यह कह रहा है कि सुरक्षा चाक-चौबंद रहेगी और किसी को डरने की जरूरत नहीं. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पुलिस-प्रशासनिक अफसरों की बैठक में कह चुके हैं कि किसी को विवादित स्थल तक पहुंचने का मौका न मिले. अयोध्या निवासी और राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी इसपर सवाल भी उठा चुके हैं. हालांकि उन्होंने धर्मसभा के मद्देनजर किये गए सुरक्षा प्रबंधों पर संतोष जाहिर किया है लेकिन निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद इतनी बड़ी भीड़ जमा करने की मंशा पर सवाल भी उठाए हैं.

धर्म सभा की कामयाबी और इससे माहौल बनाना विहिप के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अयोध्या पहुंच कर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे संघ परिवार को यह चुनौती दे चुके हैं कि मंदिर निर्माण की तारीख बताए. माना जा रहा है कि धर्म सभा में केंद्र सरकार को अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण की समयसीमा तय की जाएगी. बहरहाल ‘92 जैसा माहौल’ कैसा और कितना बनेगा यह रविवार के जमावड़े और उसके तेवरों से पता चलेगा लेकिन कानून बने रहने के मुद्दे पर 92 न दोहराया जाए यह चुनौती भी कम नहीं.