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साझी विरासत बचाओ सम्मेलन: गैर-बीजेपी दलों ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

सम्मेलन के जरिए विपक्षी दलों द्वारा बीजेपी को राजनीतिक तौर पर संदेश देने की कोशिश की है

Bhasha

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बागी नेता शरद यादव की अगुवाई में बुधवार को इंदौर में 'साझी विरासत बचाओ सम्मेलन' के दूसरे संस्करण का आयोजन किया गया. सम्मेलन में आठ गैर-बीजेपी दलों ने हिस्सा लेते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला. इन दलों ने आरोप लगाया कि देश में संविधान के तहत मिले बुनियादी अधिकारों और 'विविधता में एकता' की राष्ट्रीय भावना पर खतरा मंडरा रहा है.

इस सम्मेलन के जरिए विपक्षी दलों की ओर से बीजेपी को राजनीतिक तौर पर संदेश देने की कोशिश की गई.


शरद यादव ने बीजेपा पर निशाना साधते हुए कहा, 'इस बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश को टुकड़ों में बांटने की कोशिश की जा रही. हजारों साल की साझा विरासत खतरे में है.' उन्होंने हाल के दिनों में गोमांस ले जाने के संदेह में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की हत्या और सहारनपुर में जातिगत हिंसा के दौरान दलितों पर अत्याचार के मामलों का जिक्र करते हुए कहा, 'सरकार का फर्ज है कि वह कमजोर तबकों की रक्षा करे और इन वर्गों पर जुल्म ढाने वालों को कानूनी प्रक्रिया के जरिए सख्त सजा दिलाए.'

उन्होंने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान का स्वागत करता हूं कि देश में आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. लेकिन इसके बाद भी आस्था के नाम पर हिंसा होती है, तो मुझे बड़ी तकलीफ होती है.'

सम्मेलन के बाद मीडिया ने जब यादव से पूछा कि क्या गैर बीजेपी दलों को लामबंद कर 2019 के आम चुनावों में मोदी सरकार के मुकाबले की जमीन तैयार की जा रही है, तो उन्होंने कहा, 'ये आयोजन किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि देश की आम जनता और संविधान के हक में हैं.'

हालांकि उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि साझी विरासत बचाओ सम्मेलनों में शामिल होने वाले गैर बीजेपी दल क्या आने वाले आम चुनावों में बीजेपी के खिलाफ कोई साझा मोर्चा बना सकते हैं.

सम्मेलन को कांग्रेस से आनंद शर्मा और दिग्विजय सिंह, एनसीपी से तारिक अनवर, सीपीआई से डी. राजा, सीपीएम से सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी से धर्मेंद्र यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस से अजय सधोत्रा, जेडी यू के ही अन्य बागी नेता अली अनवर और आरएलडी से जयंत चौधरी ने भी संबोधित किया. इन नेताओं ने बीजेपी और आरएसएस पर अपने सियासी फायदे के लिए देश के सांप्रदायिक माहौल को खराब करने का आरोप लगाया.

विपक्षी दलों के नेताओं ने जून में मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच लोगों की मौत और सरदार सरोवर बांध परियोजना के कारण सूबे में हजारों परिवारों के विस्थापन के मुद्दे पर भी बीजेपी सरकार को घेरा.