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भ्रष्टाचार को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल नहीं: राजनाथ

कालाधन को वापस लाने के लिए एसआईटी का गठन, जो भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में उनकी मंशा को दर्शाता है

Bhasha

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सिर्फ प्रक्रियागत सुधार काफी नहीं है, बल्कि इस समस्या को खत्म करने के लिए लोगों को अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा.

‘ऑन द ट्रेल ऑफ द ब्लैक’ नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. देश से इसे उखाड़ फेंकने के लिए प्रधानमंत्री पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.


सिंह ने कहा, ‘आपसी बातचीत में प्रधानमंत्री हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि जब तक भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जाता तब तक हम कैसे गरीबी और अन्य मुद्दों से लड़ सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि इस सरकार की पहली मंत्रिमंडलीय बैठक में प्रधानमंत्री का फैसला था - कालाधन को वापस लाने के लिए एसआईटी का गठन, जो भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में उनकी मंशा को दर्शाता है.

जब तक भ्रष्टाचार है, विकास नहीं हो सकता 

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘यह सच है कि जब तक भ्रष्टाचार मौजूद है, तब तक विकास का जो लक्ष्य हमने तय किया है उसे हासिल कर पाना संभव नहीं है. हमें इस हकीकत को स्वीकार करने की आवश्यकता है कि जब आय का अंतर बढ़ता है तो सामाजिक अशांति बढ़ जाती है, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है.’

मोदी सरकार बेनामी संपत्ति अधिनियम के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और केंद्र ने डीबीटी शुरू कर 65,000 करोड़ रुपए बचाए हैं. ई-टेंडरिंग और ई-खरीद को भी लागू किया गया.

इस अवसर पर मौजूद नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत एवं अन्य से उन्होंने अनुरोध किया कि वे सभी लोगों की आदतों में बदलाव लाने के लिए काम करें.

नैतिक शिक्षा पर देना होगा जोर 

सिंह ने कहा कि कुछ संस्थान नैतिक शिक्षा का अध्यापन कर रहे हैं. बहरहाल उन्होंने यह भी माना कि यह व्यक्ति के चरित्र एवं नैतिकता में अधिक बदलाव नहीं ला पाया. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की कोई ‘निश्चित परिभाषा’ नहीं हो सकती है.

अपने विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) किशोर देसाई के साथ पुस्तक का संपादन करने वाले प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय ने पैनल चर्चा का संचालन किया.