अभी लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू भी नहीं हुई है, विपक्ष हार मान बैठा है. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के डिप्टी सीएम ने स्वीकार किया है कि अागामी लोकसभा चुनाव में मोदी के बदले कोई दूसरा नेता नहीं है देश के पास. विपक्ष में मोदी का मुकाबला करने के लिए कोई नेता नहीं है. क्योंकि देश के पास ईमानदार और मजबूत विपक्ष है ही नहीं.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में आप नेता ने कहा कि बीजेपी जुमलों और चालबाजियों के सहारे राजनीति कर रही है. मुझे नहीं लगता कि इस वक्त देश की महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार किया जा रहा है. लोग उसपर बात नहीं कर रहे हैं. पूरी स्थिति बहुत ही चिंतनीय है.
मजबूत विपक्ष का गणित तो है, लेकिन नेता नहीं
मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश में फिलहाल विश्वसनीय विपक्ष नहीं है. यह हो भी नहीं सकता. क्योंकि एक मजबूत विपक्ष गणित के आधार पर तो दिख सकता है, लेकिन राजनीति गणित के आधार पर चलती नहीं.
एक मजबूत विपक्ष की परिकल्पना तो की जा सकती है. जहां पांच महत्वपूर्ण नेता विभिन्न विचारों को लेकर एक साथ बैठें. लेकिन मुश्किल यह है कि उन सभी को पीएम या सीएम बनना है. ऐसे में कहां से मजबूत विपक्ष के बारे में सोचा जा सकता है.
पूरी बहस को गाय की तरफ मोड़ दिया है मोदी ने
भ्रष्टाचार मुक्त देश, विकसित भारत का कॉन्सेप्ट एक मजबूत विपक्ष बना सकता है. लेकिन इसके लिए काम करेगा कौन? कौन इसको आधार बनाकर चुनाव लड़ेगा? बीजेपी इन मुद्दों पर बात ही नहीं करने दे रही है.
विपक्ष को शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली पर जोरदार आवाज उठानी चाहिए. उसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहिए. लेकिन बहुत चालाकी के साथ बीजेपी ने इस पूरी बहस को गाय की तरफ मोड़ दिया.
इस बहस की बुरी बात यह है कि विपक्ष भी अगर इसका विरोध करती है, तो वह भी वही बात कर रही होती है. वह भी गाय के बारे में ही बात करती है. फार्मूला सेट है. मोदी सरकार लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार पर बात करने ही नहीं दे रही.