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पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा दिलाने की मांग हमारा दायित्वः नीतीश

पटना विश्वविद्यालय को नीतीश ने केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का आग्रह किया था

Bhasha

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग हम करते रहेंगे. इस बारे में केंद्र से बार-बार मांग करना हमारा दायित्व है.

नीतीश ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का बिहार के लोगों के लिए विशेष स्थान है. वह संसद में भी इसकी मांग उठाते रहे. यह कोई नई मांग नहीं है. पहले भी राज्य सरकार ने इस संदर्भ में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था.


गत शनिवार को पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के दौरान राज्य की जनता की पुरानी मांग को फिर से उठाया था.

मोदी ने कहा था केंद्रीय विश्वविद्यालय बीते दिनों की बात हो गई 

उन्होंने कहा कि 1917 में केंद्र के कानून से ही पटना विश्वविद्यालय का गठन हुआ था. इसका निर्णय केंद्र को करना है.

गौरतलब है कि गत 14 अक्तूबर को पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के दौरान नीतीश ने इसको केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का आग्रह किया था.

इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनका मानना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय बीते हुए कल की बात है, वह उसे एक कदम आगे ले जाना चाहते हैं.

राज्यों के विश्वविद्यालयों की खराब स्थिति के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार प्रत्येक वर्ष चार हजार करोड़ रुपए अनुदान विश्वविद्यालयों को उपलब्ध कराती हैं. विश्वविद्यालय राज्य के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं होता है.

नीतीश ने कहा कि मेडिकल और इंजीनियरिंग के शिक्षकों की भी कमी है. इसके समाधान के लिए विचार करने की जरुरत है. यह समस्या सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि पूरे देश की है.

बिहार के स्कूली शिक्षा में हुआ है सुधार 

उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए प्रदेश सरकार ने काफी काम किया है. वर्ष 2005 में 12.50 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर रहते थे, इस वक्त यह आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम हो गया है.

पहले लड़कियों की संख्या स्कूलों में काफी कम थी. बालिका पोशाक योजना, साईकिल योजना चलाई गई, जिसके कारण स्कूलों में छात्राओं की संख्या छात्रों के बराबर हो गई.

गंगा नदी में बन रहे राष्ट्रीय जलमार्ग के संदर्भ मे पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपयोगी व्यवस्था है, इससे असहमत होने की बात नहीं है, लेकिन इसके लिए जल प्रवाह में तीव्रता होनी चाहिए.

गंगा नदी में सिल्ट की समस्या एक बड़ी समस्या है, जिसे कृत्रिम तरीके से ठीक नहीं किया जा सकता है.