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तो क्या शरद यादव को विदा करने का मन बना चुके हैं नीतीश कुमार?

नीतीश के तेवर से साफ लग रहा है कि पार्टी के भीतर किसी तरह की नाफरमानी बर्दाश्त नहीं होगी

Amitesh

बिहार में सियासी उठापटक और बीजेपी के पाले में आने के बाद नीतीश कुमार दिल्ली में नरेंद्र मोदी से मिले. यूं तो यह मुलाकात बिहार के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के बीच थी लेकिन सियासी गलियारे में इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है.

नीतीश कुमार अब बीजेपी के साथ हो चुके हैं. अब वो मोदी विरोधी नहीं, मोदी के दोस्त बन चुके हैं. अब इस नई दोस्ती से बिहार को भी नई उम्मीदें जगी हैं. क्योंकि अब ना तो नीतीश और ना ही मोदी किसी तरह का कोई बहाना बना सकते हैं. अब तो बस बिहार का विकास करके दिखाना होगा. क्योंकि दिल्ली और पटना दोनों जगहों पर अपनी सरकार है.


लेकिन, इसे महज संयोग ही कहेंगे कि जब जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दरबार में दस्तक दे रहे हैं तो दूसरी तरफ, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव दिल्ली छोड़ बिहार की खाक छान रहे हैं.

शरद यादव अभी भी जेडीयू में हैं लेकिन उनके तेवर अपने ही अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ तल्ख होते जा रहे हैं. अब तक शरद यादव दिल्ली में जेडीयू  की आवाज हुआ करते थे. पार्टी के संसदीय दल के नेता के नाते शरद यादव संसद से लेकर सड़क तक लगातार पार्टी के चेहरे के तौर पर अपनी बात को मुखरता से रखते आ रहे थे.

शरद को नीतीश की मोदी से करीबी से ज्यादा अपनी उपेक्षा की टीस

लेकिन, इस कदर नीतीश का मोदी प्रेम उनको नागवार गुजर गया. इस करीबी के खिलाफ शायद शरद भी ना होते, लेकिन, अपनी उपेक्षा से वो इस कदर तिलमिला गए कि अब जेडीयू के भीतर उन्हें घुटन सी महसूस होने लगी है.

शरद यादव लगातार पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. महागठबंधन से अलग होने को शरद यादव बिहार की जनता के साथ धोखा बता रहे हैं. लेकिन, अब लगता है शरद यादव का यह बड़बोलापन उनपर भारी पड़ सकता है.

शरद यादव की तरफ से दिए जा रहे बयानों से जेडीयू असहज महसूस कर रही है. जेडीयू नेताओं को लगने लगा है कि अब शरद शायद अलग राह अपनाने की सोंच रहे हैं. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तो शरद यादव की लालू के साथ दोस्ती पर तंज कसते हुए कहा लगता है  शरद जी की नजर लालू यादव की बेनामी संपत्ति पर है.

जेडीयू के नेताओं की तरफ से शरद यादव पर सीधे निशाना साधा जा रहा है. इसके संकेत तो नीतीश कुमार दे चुके हैं. नीतीश कुमार ने कहा है कि शरद यादव जेडीयू में रहें या ना रहें, वो फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

नीतीश कुमार के तेवर से साफ है कि शरद यादव अगर  इसी तरह से पार्टी विरोधी रुख पर कायम रहें तो फिर जेडीयू से उनकी विदाई जल्द ही हो सकती है.

अली अनवर के बाद अगला नंबर शरद का!

हालांकि जेडीयू की तरफ से लगातार शरद यादव के खिलाफ कारवाई की मांग उठ रही है. सूत्रों के मुताबिक जेडीयू के सांसदों ने शरद यादव को पार्टी संसदीय दल के नेता के पद से हटाने की मांग की है. सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के सामने इस बात की गुहार लगाई है. फिलहाल संसद में जेडीयू के 12 सांसद हैं. इनमें राज्यसभा में 10 और लोकसभा में 2 सांसद हैं.

नीतीश कुमार के तेवर से साफ लग रहा है कि पार्टी के भीतर किसी तरह की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जेडीयू की तरफ से पार्टी के फैसले पर सवाल उठाने वाले राज्यसभा सांसद अली अनवर पर कारवाई के बाद साफ हो गया है कि शरद पर भी जल्द कारवाई की जा सकती है.

अब देखना है कि नीतीश कुमार शरद यादव के खिलाफ जल्द फैसला लेते हैं या फिर 19 अगस्त की पटना की नेशनल एक्जक्युटिव की मीटिंग तक इंतजार करते हैं.