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बिहार: इस फॉर्मूले से सुलझाया जा रहा है सीट शेयरिंग का मसला

बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर राजनीतिक गहमागहमी बनी हुई है

Kanhaiya Bhelari

2019 लोकसभा चुनाव में कौन कितने सीटों पर लड़ेगा इस सवाल पर सीएम नीतीश कुमार ने जुलाई 18 के लोक संवाद की बैठक के बाद पत्रकारों को मुस्कुराते हुए अपने अंदाज में बताया था कि ‘अरे भाई हो जाएगी सीट की शेयरिंग, आप लोग इंतजार कीजिए. बीजेपी नेताओं के साथ वन टू वन बात होगी. तीन से चार सप्ताह में बीजेपी की तरफ से प्रस्ताव आएगा और ये मसला हल कर लिया जाएगा’.

लगभग पांच सप्ताह बीत गए लेकिन बीजेपी की तरफ से अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है. इस बात को लेकर एनडीए के चारों घटक दल- बीजेपी, जनतादल यू, एलजेपी और आरएलएसपी के नेता कुछ-कुछ बेचैन हैं. सबसे ज्यादा बेचैनी एनडीए के लोकसभा के सीटिंग सदस्यों के बीच है जिनकी संख्या 32 है. अभी बीजेपी के 22, एलजेपी के 6 और जेडीयू और आरएलएसपी के क्रमशः 2-2 सदस्य हैं.


इसी बीच अगस्त 20 को पटना से प्रकाशित एक दैनिक अखबार में प्रमुखता से खबर छपी है कि बीजेपी अपने आधा दर्जन सीटिंग लोकसभा सदस्यों के टिकट काट सकती है. पत्र का कहना है कि बीजेपी ने जो अंदरूनी सर्वे कराया है, उसमें इन सदस्यों की परफॉरमेंस अपने क्षेत्रों में संतोष जनक नहीं है. इन सदस्यों के खिलाफ वोटरों में बहुत आक्रोश है. टिकट से वंचित कर दिए जाने वाले संभावित सदस्यों का नाम भी पत्र ने छापा है.

बहरहाल, खबर में नामित एक लोकसभा सदस्य का कहना है कि परफॉरमेंस की आड़ में हमलोगों को टिकट से वंचित करने की कवायद इसलिए की जा रही है ताकि सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को 15 सीट दिया जा सके. वैसे भी ये चर्चा जोरों पर है कि सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ जुलाई 12-13 को जो वन टू वन वार्तालाप की थी, उसमें अपने मन की बात प्रकट कर दी थी.

भरोसा करने वाले सूत्र बताते हैं कि सीएम ने अमित शाह से अनुरोध किया था कि उन्हें कम से कम लोकसभा की 15 सीटें लड़ने के लिए दी जाए. हांलाकि सीएम नीतीश कुमार ने जुलाई 18 को ही स्पष्ट रूप से पत्रकारों से कहा था कि ‘भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मेरी औपचारिक मुलाकात थी. सिर्फ नाश्ता और रात का भोजन हुआ और इस मुलाकात में ऐसी कोई बात नहीं हुई जिसे आपलोगों से शेयर किया जा सके’. अमित शाह ने भी कहा था कि ‘सीट के सवाल पर एनडीए में कोई झगड़ा नहीं है. हम सब एक साथ हैं’.

बीजेपी गलियारे में चल रही बतकही पर विश्वास करें तो सीट की साझेदारी पर पेंच केवल जनता दल यू के साथ ही फंसा है. बीजेपी चाहती है कि नीतीश कुमार मात्र 9 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ें. वर्ष 2020 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में 2010 की तर्ज पर सीटों का बंटवारा कर लिया जाएगा. सूत्रों की माने तो इस पर सीएम तैयार नहीं हैं. जबकि केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान 5 सीट पर लड़ने को तैयार हो गए हैं.

पिछली बार पासवान 7 सीट पर लड़े थे. माना जा रहा है कि केन्द्रीय राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा भी पिछले बार की तरह इस बार 3 सीट लेकर संतुष्ट रहेंगे. बची हुई एक सीट जहानाबाद से लोकसभा सदस्य अरूण कुमार को दी जा सकती है. अरूण कुमार पिछली बार आरएलएसपी के उम्मीदवार थे. दो साल पहले अरुण कुमार कुशवाहा से अलग होकर अपनी खुद की राजनतीक पार्टी बना ली है.

बीजेपी गलियारे में इस बात की भी चर्चा करने वालों की कमी नहीं है कि शीर्ष नेतृत्व नीतीश कुमार की बात को मानकर एक कदम पीछे हट सकती है. बीजेपी के नेता बताते हैं कि राष्ट्रीय नेतृत्व की चाहत है कि किसी भी स्थिति में अगले महाभारत में बिहार में 2014 चुनाव परिणाम को रिपीट ही नहीं बल्कि बीट करना है. तब एनडीए ने नीतीश कुमार के विरोध के बाद भी 31 सीटों पर फतह हासिल की थी. ‘इस निर्धारित लक्ष्य को हासिल करना तभी संभव है जब एनडीए एकजुटता के साथ राजनीतिक दुश्मन पर अटैक करेगा'. ऐसा कहना है बीजेपी के एक कद्दावर नेता का.