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बिहार: क्या सीट बंटवारे पर नीतीश कुमार ने RLSP की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है

बुधवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बात हुई

Vivek Anand

बिहार की पूरी सियासत इनदिनों एनडीए में सीट शेयरिंग मुद्दे के इर्द-गिर्द घूम रही है. ये एनडीए के भीतर बड़ा भारी मसला बन गया है. कयासों के बवंडर के बीच बुधवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की. मीडिया में मुलाकात की खबर आते ही मामला एक बार से सरगर्म हो गया. दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बात हुई. कयास यही लगाए गए कि इस दौरान सीट बंटवारे के मसले पर चर्चा हुई. इस दौरान बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव भी साथ थे.

पिछले दिनों नीतीश कुमार ने राज्य कार्यकारिणी की बैठक में ऐलान भी कर दिया था कि सीट बंटवारे का मसला सुलझ गया है. फिलहाल बीजेपी इस मुद्दे पर चुप रहने को कह रही है, इसलिए इसका खुलासा नहीं किया जा रहा है. उन्होंने इस बारे में पैनिक न क्रिएट करने की बात कही थी. फिलहाल जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक जेडीयू के साथ करीब 15 सीटों का मामला फाइनल हो चुका है. एक सीट पर बात अटक रही है, जिसकी चर्चा दिल्ली में हुई है.


सूत्रों के हवाले से जो खबर दी जा रही है, उसके मुताबिक जिस सम्मानजनक समझौते की राह बनी है, उसमें बीजेपी और जेडीयू 16-16 सीटों पर लड़ेगी. जबकि रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी को 4 से 5 सीटें, आरएलएसपी को 2 और 1 सीट अरुण कुमार के गुट को दी जा रही है. पिछले दिनों एलजेपी के चिराग पासवान ने भी कहा था कि सीट शेयरिंग को लेकर उनकी बीजेपी से बात चल रही है. इस बारे में सिर्फ एनडीए की साझीदार पार्टी आरएलएसपी अपने पत्ते नहीं खोल रही है.

कुछ दिनों पहले तक आरएलएसपी ने सीट बंटवारे में समझौते की किसी भी स्थिति आने से पहले खूब प्रेशर पॉलिटिक्स की थी. आरएलएसपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के कुछ बयान काफी चर्चा में रहे थे. पहले उन्होंने आरएलएसपी को जेडीयू से बड़ी पार्टी बताकर जेडीयू से ज्यादा सीटों की मांग रख दी. फिर एक कदम आगे बढ़ते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीएम उम्मीदवार के चेहरे से पीछे हटने की सलाह दे डाली. फिर यादवों के दूध और कुशवाहों के चावल से बने स्वादिष्ट खीर के बयान के जरिए एक नए जातीय समीकरण बनाए जाने को लेकर चर्चा में बने रहे. लेकिन अब वो चुप हैं. सवाल है कि क्या एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रहा बवाल खत्म हो चुका है? नए फॉर्मूले पर क्या सबकी सहमति है?

RLSP अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा

दरअसल एनडीए के भीतर जेडीयू-बीजेपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर मीडिया में आए फॉर्मूले को आरएलएसपी मानने से ही इनकार करती है. आरएलएसपी नेताओं का कहना है कि बिहार एनडीए में अभी तक घटक दलों की बैठक नहीं हुई है. इसलिए ऐसे किसी फॉर्मूले के बारे में बात करना बेकार है. बुधवार की नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात को भी आरएलएसपी ज्यादा तवज्जो देने को तैयार नहीं दिखती है.

आरएलएसपी का कहना है कि कुछ बातें मीडिया में प्लांट की जा रही है. जिसकी ज्यादा परवाह करना ठीक नहीं है. आरएलएसपी के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुबोध कुमार कहते हैं कि हमें तो उम्मीद है बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर अमित शाह से मुलाकात की होगी. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. इसलिए हम ये कह सकते हैं कि वो इसी सिलसिले में अमित शाह से मुलाकात किए होंगे.

आरएलएसपी का कहना है कि बीजेपी वन टू वन बात कर रही है ये ठीक बात है लेकिन सीट बंटवारे का मसला सभी साझीदारों के साथ बैठकर ही हो सकता है. डॉ सुबोध कुमार कहते हैं कि बीजेपी सीटों को लेकर कोई हवा में फैसले तो लेगी नहीं. बीजेपी हर सीट के लिए अपना सर्वे करवाती है. इसलिए हमें उम्मीद है कि उन्होंने आरएलएसपी के विस्तार के बारे में जानकारी हासिल की होगी. 2014 की तुलना में हमारी पार्टी ने काफी विस्तार किया है, जिसे देखकर और जानकारी हासिल करके ही सीटों के बंटवारे का फैसला लिया जाएगा.

आरएलएसपी का कहना है वो एनडीए की साझीदार पार्टी है और अगर पार्टी का विस्तार होता है तो इसका फायदा बीजेपी को ही मिलने वाला है. 2019 में बीजेपी की आकांक्षा ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है. और इस दिशा में पार्टी ने लोगों के बीच पैठ बनाई है जिसे ध्यान में रखे जाने की जरूरत है.

आरएलएसपी कहती है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंग को लेकर जो एकतरफा ऐलान किया है, वो किसी भी गठबंधन के लिए ठीक नहीं है. एनडीए की कॉर्डिनेशन टीम की अभी तक कोई बैठक नहीं हुई है इसलिए ऐसे ऐलान नहीं किए जाने चाहिए. नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए डॉ सुबोध कुमार कहते हैं कि एनडीए में बिना बैठक के अगर सीट बंटवारे को लेकर फैसला ले लिया गया है तो इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं. पहला है- एरोगेंस ऑफ पावर यानी ताकत का घमंड. और दूसरा ये हो सकता है कि वो हमारी पार्टी के विस्तार को देखकर व्याकुलता में ये बयान दे रहे हों.

एक बात साफ है कि सीट बंटवारे की पूरी सरगर्मी के बीच आरएलएसपी 2 सीटों पर राजी होती नहीं दिखती है. इसलिए 2 सीटों वाले फॉर्मूले के सामने आने से पहले ही उपेन्द्र कुशवाहा प्रेशर पॉलिटिक्स में जुट गए थे. हालांकि उनके बयानों पर उस वक्त नीतीश कुमार और जेडीयू ने चुप्पी साध रखी थी. और अब जब नीतीश कुमार ने ये ऐलान कर दिया है कि सीट शेयरिंग को लेकर मामला सुलझ गया है तो उपेन्द्र कुशवाहा चुप लगा गए हैं.

एक बात ये भी कही जा रही है कि संतोषजनक सीट न मिलने की स्थिति में उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन का दामन थाम सकते हैं. 2014 में अपने एक पॉलिटिकल मूव से मजबूत राजनीतिक जमीन हासिल करने वाले उपेन्द्र कुशवाहा की इस बार की राजनीतिक कलाबाजी देखना दिलचस्प होगा.