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संसद का बजट सत्र ठप: 23 दिन की सैलरी नहीं लेंगे NDA के एमपी

सैलरी न लेने का फैसला एनडीए की कैबिनेट बैठक में एकसुर में लिया गया

FP Staff

संसद का बजट सत्र समाप्ति की ओर है. सत्र का यह दूसरा चरण लगभग बिना किसी कामकाज के संपन्न होने से विपक्षी दलों ने सरकार को कोसना शुरू कर दिया है. उधर केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने निशाना साधा है कि विपक्ष के हंगामे के कारण संसद में कोई काम नहीं हो सका. इस बीच संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने ऐलान किया है कि बीजेपी या एनडीए का कोई एमपी उन 23 दिनों की सैलरी नहीं लेंगे जिनमें कोई कामकाज नहीं हुआ है.

एनडीए के दो मंत्रियों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सैलरी न लेने का फैसला कैबिनेट की बैठक में एक सुर में लिया गया ताकि लोगों के बीच यह संदेश जाए कि विपक्ष ने किस प्रकार संसद का सत्र जाया किया है. सूत्रों ने यह भी बताया कि इसके खिलाफ शुक्रवार को एनडीए के मंत्री संसद परिसर में एक धरना प्रदर्शन भी करेंगे.


संसद में काम न होने के पीछे कांग्रेस को दोषी ठहराते हुए केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने ट्वीट किया, चूंकि संसद में कोई काम न हो सका इसलिए बीजेपी-एनडीए के एमपी ने 23 दिनों की सैलरी और भत्ते न लेने का फैसला किया है. सैलरी तभी ली जाएगी जब अपने कार्यों से लोगों की सेवा की जाएगी. कांग्रेस की अलोकतांत्रिक राजनीति ने लोकसभा और राज्यसभा में काम नहीं होने दिया जबकि हम इस मुद्दे पर उनसे चर्चा करना चाहते थे.

अनंत कुमार ने पत्रकारों को बताया कि आयकर दाताओं के पैसे खर्च करने के बाद भी कोई बिल पास न होना 'आपराधिक बरबादी' है. उन्होंने कहा, इस बारे में हमने प्रधानमंत्री, बीजेपी अध्यक्ष और एनडीए घटक दलों से बात की. हमें लोगों की सेवा करने के लिए पैसे दिए जाते हैं. चूंकि सत्र में लोगों की भलाई के लिए कोई चर्चा नहीं हुई और कोई विधायी कार्य नहीं हुए इसलिए पैसा हम लोगों को लौटा रहे हैं.

इस बारे में केंद्रीय खाद्य मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा, सैलरी ने लेने का फैसला एकजुट होकर लिया गया. विपक्षी ने संसद नहीं चलने दी जिससे लोक कल्याण से जुड़े कई बिल लटक गए. पिछले महीने दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने अपील की थी कि अगर संसद में काम न हो तो इसका पेमेंट भी नहीं होना चाहिए.