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हेराल्ड केसः कांग्रेस डिफेंसिव होकर अपनी इमेज को ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है

पिछले पांच साल से ज्यादा वक्त से यह मामला बीजेपी को गांधी परिवार को टारगेट करने के लिए जमकर मौका दे रहा है.

Akshaya Mishra

नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार के खिलाफ चल रही जांच पर कांग्रेस क्यों आगे बढ़कर नहीं कहती है कि हम इसके लिए तैयार हैं?

इस मामले में जांच से बचने के लिए वह जितने कानूनी विकल्पों को तलाशेगी उतना ही यह लगेगा कि पार्टी किसी मुश्किल में है और वह इससे बचना चाहती है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जांच से बचाने की छटपटाहट से उसे फायदा कम नुकसान होने की आशंका ज्यादा है.


दिल्ली हाईकोर्ट के यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड में आयकर की जांच को मंजूरी देने पर कांग्रेस की ओर से आई प्रतिक्रिया में कुछ नया नहीं है. इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताने के अलावा पार्टी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की भी बात कही है. कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष 76 फीसदी बहुमत हिस्सेदारी के साथ इस कंपनी में निदेशक हैं.

इस मसले पर रणदीप सुरजेवाला ने फर्स्टपोस्ट से कहा, 'यंग इंडियन ने आयकर अधिकारियों के प्राधिकार को चुनौती देते हुए कुछ मूल न्यायाधिकार के मसलों को उठाया है. माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स अधिकारियों को कोर्ट में दायर याचिका में उठाए गए सभी मसलों पर फैसला करने का निर्देश दिया है.'

इससे संतुष्ट होते हुए यंग इंडियन के एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने खुद याचिका वापस ले ली. यंग इंडियन एक नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी है जो कि केवल नेशनल हेराल्ड पेपर चलाती है जो कि आजादी के आंदोलन की आखिरी निशानी है जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है.

कंपनीज एक्ट के मुताबिक कोई भी इसके प्रॉफिट, सैलरी या डिविडेंड का एक भी रूपया निकाल नहीं सकता है या किसी अन्य तरीके से फायदा उठा सकता है. हमें गर्व है कि हम आजादी के आंदोलन की एक महत्वपूर्ण निशानी को सहेजे हुए हैं और हम हमेशा देश के लोगों का भरोसा बनाए रखेंगे.

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संसद भवन के बाहर सांसदों के साथ राहुल गांधी

बदले की भावना से कार्रवाई

मौजूदा बीजेपी सरकार का बदले की भावना से काम करना या आरोप लगाना हमें देश के लिए अपने कर्तव्यों को निभाने से रोक नहीं सकता है.

यह मामला बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के 2012 में दायर की गई शिकायत का है जिसमें उन्होंने गांधी परिवार पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की खरीदारी में फ्रॉड करने और भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया है.

इसमें यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए अब बंद हो चुके नेशनल हेराल्ड का भी मालिकाना हक मिला है. शिकायत के मुताबिक, यंग इंडियन ने कंपनी की एसेट्स पर अधिग्रहण कर लिया जिसकी वैल्यू करीब 2,000 करोड़ रुपए है ताकि प्रॉफिट कमाया जा सके.

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल समेत छह कांग्रेस नेताओं का नाम इस शिकायत में दिया है. कांग्रेस इस बात पर कायम है कि यंग इंडियन एक नॉन-प्रॉफिट संस्थान है और उसे इस ट्रांजैक्शन से कोई वित्तीय लाभ नहीं हुआ है. पार्टी का कहना है कि इसके अलावा इस सौदे में कोई कानूनी गड़बड़ी नहीं हुई है.

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इस केस को देखकर ऐसा लग रहा है कि गांधी परिवार को निशाना बनाया जा रहा है

गांधी परिवार पर निशाना

पिछले पांच साल से ज्यादा वक्त से यह मामला बीजेपी को गांधी परिवार को टारगेट करने के लिए जमकर मौका दे रहा है. यह भी रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील मामले की तरह है जो कि नियमित अंतराल में मीडिया में बहस का चारा बनता रहता है.

हकीकत यह है कि ये दोनों मामले ऐसे हैं जो कि सीधे गांधी परिवार को टारगेट किया जाता है. बीजेपी के लिए इन मामलों के नतीजे का कोई खास महत्व नहीं है बल्कि उसे इससे लोगों की नजर में गांधी परिवार को गुनाहगार साबित करने और पार्टी को नुकसान पहुंचाने में मदद मिल रही है.

बीजेपी को तब ज्यादा फायदा होगा जबकि डिबेट ज्यादा लंबे वक्त तक चले और कोई फैसला न निकले.

कांग्रेस साफतौर पर इसे बदले की भावना से कार्रवाई का नाम देगी और कहेगी की आयकर विभाग को सरकार ने उसके पीछे लगाया है. आयकर विभाग केंद्र सरकार के तहत काम करता है और इसके निष्पक्ष होने पर सवाल उठाए जा सकते हैं.

हालांकि, पार्टी के सामने इसे स्वीकारने के अलावा तब कोई चारा नहीं बचेगा अगर सुप्रीम कोर्ट भी हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी मुहर लगा देता है.

कांग्रेस के लिए क्या यह सही नहीं रहेगा कि वह स्वामी के आरोपों की चुनौती को स्वीकार करे और जांच के लिए अपनी रजामंदी दे? क्या यह सही नहीं रहेगा कि खुद सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही कहें कि वे इस जांच के लिए तैयार हैं?

इस वक्त, छवि ऐसी बन रही है कि मानो पार्टी जांच से भाग रही है. पार्टी के लिए मुश्किल की चीज एसोसिएटेड जर्नल्स की हरियाणा और मुंबई में संपत्तियों से जुड़े हुए अन्य मामले हैं.

सीबीआई पहले ही हरियाणा के फॉर्मर चीफ मिनिस्टर भूपिंदर सिंह हुड्डा और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है.

इसमें आरोप लगाया गया है कि मुंबई के बांद्रा में एक प्लॉट के आवंटन की प्रक्रिया में तमाम कानूनी खामियां हैं. पार्टी इस मुश्किल से कैसे निकलेगी? पार्टी के पास विकल्प सीमित हैं.