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मायावती पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सनसनीखेज आरोप: 10 बातों में जानें

पार्टी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन की प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिसमें उन्होंने मायावती को खूब खरी-खोटी सुनाई

FP Staff

बीएसपी से निकाले गए नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी ने कहा कि पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मेरे और मेरे बेटे पर झूठ और फरेब का सहारा लेकर आरोप लगाया गया है.


अाखिर कहां बिगड़ी बात?

चुनाव के बाद मायावती ने मुझे बुलाया मेरे साथ मेरा बेटा अफजल भी था. मायावती ने मुझसे पूछा कि मुसलमानों ने बीएसपी को वोट क्यों नहीं दिया? मैंने कहा, 'ऐसा नहीं है. कांग्रेस और एसपी का गठबंधन होने के बाद हमारे साथ जो मुसलमान थे वे बंट गए. मायावती ने कहा कि हमने 1993 में एसपी से गठबंधन किया और 1996 में कांग्रेस से गठबंधन किया तब भी हमें मुसलमानों ने वोट नहीं दिया.'

मुसलमानों पर शक क्यों?

सिद्दीकी ने बताया, 'मायावती ने मुसलमानों को गद्दार कहा.' मायावती ने कहा था, 'मुझसे दाढ़ी वाले मौलाना मिलने आते थे लेकिन उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया. मुसलमानों ने हमें धोखा दिया.'

मायावती ने कहा कि दलित समुदायों की कई जातियों ने बीएसपी को वोट नहीं किया. सिद्दीकी ने कहा, 'मायावती उन्हें बुरा-भला कहने लगीं. मायावती ने 19 अप्रैल को बिना मेरा नाम लिए हुए कहा कि एक बड़े नेता ने कहा है कि गठबंधन के कारण हमारी यह स्थिति हुई. मैंने इसे नहीं मानता हूं.'

कांशीराम को भी नीचा दिखाया

मायावती ने कांशीराम जी को भी नीचा दिखाया है. सिद्दीकी ने बतया, 'मायावती ने कहा था कि 1996 में कांशीराम पंजाब चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाए. जबकि मैंने यूपी में 100 से अधिक सीटें जीतीं.'

क्यों बिगड़ी बात?

नसीमुद्दीन ने कहा कि सतीश चंद्र मिश्रा और उनके दामाद मायावती से जब मिलने आते थे तो उनकी कोई तलाशी नहीं होती है. मैंने कहा कि जब तलाशी होती है तो सबकी होनी चाहिए. यह बात मायावती को नागवार गुजरी.

मायावती ने मांगे पैसे?

मायावती ने मुझसे पार्टी के लिए 50 करोड़ रुपए मांगे. मैंने कहा, 'मैं 50 करोड़ रुपए कहां से लाऊं. अगर मैं अपनी पूरी प्रॉपर्टी बेच भी दूंगा तो भी मेरे पास 50 करोड़ रुपए नहीं होंगे. और नोटबंदी के बाद इतना बड़ा कैश देना संभव नहीं है. मैंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी पैसे मांगे.' मायावती ने मुझसे पूरे प्रदेश के सदस्यों की लिस्ट बनाने और उनसे पैसे मांगने को कहा.

मैंने कुछ पैसे का इंतजाम जरूर किया लेकिन मायावती ने कहा, 'आपको पूरे पैसे देने होंगे.' मैंने मायावती से कहा कि मैंने पार्टी को 34 साल दिए हैं. पार्टी के लिए बहुत त्याग किया है.

पार्टी के चक्कर में बेटी का मय्यत में भी नहीं जा सका

जब मायावती चुनाव लड़ रही थी तो उस वक्त मेरी 8 साल की बेटी बीमार थी. मैं चुनाव के बीच में मायावती को छोड़कर नहीं गया. मेरी बेटी मर गयी लेकिन मैं उसे दफनाने भी नहीं गया. जिस पार्टी के लिए मैंने अपनी बच्ची को कुर्बान कर दिया उस पार्टी को मैं नहीं छोडूंगा. लेकिन मुझे पता था कि मुझे पार्टी से निकाला जाएगा.

क्या मायावती बीएसपी को खत्म करना चाहती हैं?

नसीमुद्दीन ने कहा, मायावती भी चाहती हैं कि बीएसपी समाप्त हो जाए क्योंकि उन्हें जो बनाना था वो बन चुकी हैं. वो नहीं चाहती हैं कि दलित समाज का कोई और व्यक्ति उनकी ऊंचाई तक पहुंचे.

सतीश चंद्र मिश्रा ने मुझपर आरोप लगाए कि मेरे अवैध बूचड़खाने हैं. वो एक का भी नाम बता दें. मैंने किस उद्योगपति या कैंडिडेट से पैसे मांगे एक का भी नाम बता दें.

सिद्दीकी ने कहा, 'मुझे मध्यप्रदेश का प्रभार मिला था लेकिन मैं वहां नहीं गया क्योंकि मायावती ने कहा था कि जब तक यूपी में शहरी निकाय के चुनाव खत्म ना हो जाएं, मैं कहीं नहीं जाऊं.

सबकी पोल खोलने का दावा

सीबीआई ने अपनी जांच के बाद कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी की संपत्ति में कोई गड़बड़ी नहीं पायी गयी है. जबकि मायावती की संपत्ति के बारे में सीबीआई ने कहा कि गड़बड़ी हुई है. इस मामले में आज भी सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. मैं प्रमाण के साथ अगर मायावती, सतीश चंद्र और आनंद कुमार की पोल खोल सकता हूं. मैं अगर यह बात खोल दूं तो भूचाल आ जाएगा.

मायावती के पास गुंडों की फौज

मायावती के पास गुंडों का ऐसा गिरोह है जो उनके खिलाफ बोलने वालों को धमकाता, मारता और पीटता है. मायावती सतीश चंद्र मिश्रा और आनंद कुमार के साथ मिलकर कांशीराम और बाबा साहेब अंबेडकर के सपने को बर्बाद और तबाह करने पर तुले हैं.

सतीश चंद्र मिश्रा और कंपनी ने मायावती को अपने चंगुल में ले लिया है और मायावती उनके इशारे पर चल रही हैं.

नसीमुद्दीन ने मायावती से बात का टेप जारी किया

नसीमुद्दीन ने मायावती से उस बातचीत का टेप जारी किया है जिसमें बीएसपी सुप्रीमो पैसे मांग रही हैं. नसीमुद्दीन ने बातचीत की यह रिकॉर्डिंग प्रेस कॉन्फ्रेंस में लोगों को सौंपी.

इस टेप में मायावती से नसीमुद्दीन कह रहे हैं कि उन्होंने पार्टी से एक पैसा भी नहीं लिया है. वह कह रहे हैं, 'आपका जो भी आदेश होगा उसे पूरा करूंगा.' नसीमुद्दीन ने कहा, 'मायावती ने चार मंडल के प्रमुखों से मेंबरशिप बुक मंगाई. रिकॉर्डिंग में मायावती ने 9 मई 2017 की शाम 4 बजे सबको मेंबरशिप बुक के साथ मंगाया था.'

मायावती ने नसीमुद्दीन ने कहा था, आपको जो भी जिम्मेदारी और काम दिया गया है उसमें में देरी हो रही है. टेप में मायावती से नसीमुद्दीन कह रहे हैं कि सतीश चंद्र और आनंद कुमार ने मुझे बहुत टॉर्चर किया है.

टेप में नसीमुद्दीन मायावती से कह रहे हैं कि उन्हें इस बैठक में आने में डर लगा रहा है. लेकिन मायावती ने उन्हें आने के लिए मजबूर किया.

दिलचस्प है कि 9 मई 2017 को यह बैठक होने वाली थी. लेकिन नसीमुद्दीन इस बैठक में नहीं गए. मुमकिन है कि इस बैठक में शामिल न होने के कारण ही नसीमुद्दीन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था.

क्या होगा पार्टी का हश्र?

चुनावों में मायावती के खराब प्रदर्शन और एक के बाद एक दिग्गज नेताओं के अलग होने से पार्टी की हालत बद से बदतर होती जा रही है. नसीमुद्दीन ने भी मायावती पर यह आरोप लगाया है कि वे बीएसपी खत्म कर देना चाहती हैं. मायावती की मंशा का पता नहीं लेकिन पार्टी के बड़े नाम ऐसे ही पार्टी छोड़ते रहे तो जल्द ही बीएसपी का नामोनिशान मिट भी सकता है.