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बोहरा समुदाय के बीच PM मोदी: सामाजिक समीकरण की गांठें कसने की सियासत

अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की तरफ से विकास की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने के अलावा अपने सामाजिक समीकरण को भी दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है.

Amitesh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर में दाऊदी बोहरा समुदाय के बीच पहुंचे थे. मौका दाऊदी बोहरा समाज के हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में आयोजित ‘अशर-ए-मुबारका’ कार्यक्रम का था. इंदौर की सैफी मस्जिद में हुए इस कार्यक्रम में पीएम ने दाऊदी बोहरा समुदाय के साथ अपने रिश्ते को बताते हुए कहा, ‘मैं आपके बीच अपनापन महसूस कर रहा हूं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा से खुद को आपके करीब महसूस करता हूं. आपका स्नेह मुझ पर हमेशा बरकरार रहा है. मेरे दरवाजे भी इस परिवार के लिए हमेशा खुले हुए हैं.’

दरअसल, दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगों की तादाद भारत में करीब 15 लाख है. दाऊदी बोहरा समुदाय शिया समुदाय का उपसमुदाय है और इस समुदाय के लोगों में हिंदूओं की कई प्रथाओं और रहन-सहन भी देखा जा सकता है. इस समुदाय के लोगों की आबादी गुजरात में सूरत, अहमदाबाद, दाहोद, राजकोट और  जामनगर  में है.


इसके अलावा महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, नागपुर और मध्यप्रदेश के उज्जैन, इंदौर, शाजापुर में दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग बसे हुए हैं. राजस्थान में उदयपुर में इस समुदाय के लोगों की आबादी है. इसके अलावा कोलकाता और चेन्नई में भी इस समुदाय के लोग अपने कारोबार में लगे हुए दिख जाएंगे.

प्रधानमंत्री ने भी इस समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘गुजरात में शायद ही कोई ऐसा गांव होगा, जहां बोहरा समाज का व्यापारी प्रतिनिधि न मिलें.’ गुजरात में इस समुदाय के लोगों के कारोबार करने और वहां राज्य के विकास में योगदान को ही देखते हुए प्रधानमंत्री ने इनके साथ अपने पारिवारिक रिश्ते का जिक्र उनके बीच जाकर किया.

पीएम के बोहरा समुदाय के प्रति लगाव और उनके साथ रिश्ते का अंदाजा उनकी उस बात से लगाया जा सकता है, जब उन्होंने बोहरा समाज को संबोधित करते हुए कहा, ‘यहां मुझे आमंत्रित करने के लिए यहां मौजूद मेरे परिवारजनों को मैं शुक्रिया अदा करता हूं.’ इस बात पर वहां मौजूद लोगों ने काफी जोरदार ढंग से अपनी खुशी का इजहार किया.

दाऊदी बोहरा समुदाय शांतिप्रिय समुदाय माना जाता है, जिसने सामाजिक स्तर से लेकर पर्यावरण के स्तर पर कई बेहतरीन काम किए हैं.

प्रधानमंत्री ने भी सैफी मस्जिद में अपने संबोधन के दौरान कहा कि ‘यहां आना उनके लिए प्रेरणादायी है. ये वो लोग हैं जिन्होंने इमाम हुसैन के संदेशों को अपने जीवन में उतारा है. आपने दुनिया में अमन का पैगाम दिया है. आप दुनिया के बाकी लोगों से अलग है. आपने पूरी दुनिया में भारत की ताकत को दिखाया है.'

दरअसल बोहरा समुदाय पोषण, स्वास्थ्य और कम्युनिटी किचेन के जरिए लोगों को काफी मदद कर रहा है. प्रधानमंत्री ने भी उनके काम की तारीफ की.

पीएम ने बोहरा समुदाय को बधाई देते हुए कहा, ‘मुझे बताया गया है कि आपके प्रयासों से हजारों लोगों को अपना घर मिल चुका है. इसके अलावा शिक्षा और स्किल्ड क्षेत्रों में आपके प्रयास सरकार की मदद कर रहे हैं.’

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के मुद्दे पर भी बोहरा समुदाय से सहयोग की अपील की. पीएम ने कहा, ‘इंदौर तो स्वच्छता का सिरमौर बन चुका है. मैं यहां की राज्य सरकार और सीएम को, जनता को, विभिन्न कॉरपोरेशन को बधाई देता हूं. मुझे बताया गया है कि अशरा मुबारक के इस प्रोग्राम को पर्यावरण मित्र बनाने की कोशिश की गई है. यहां प्लास्टिक बैग बैन किया गया है. यहां वेस्ट मटीरियल से फर्टिलाइजर बनाए जा रहे हैं.’

गौरतलब है कि 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक देश भर में स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम शुरू होने वाला है. प्रधानमंत्री इस मौके पर 15 सितंबर को समाज के कई लोगों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग भी करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने बोहरा समाज से भी  इस कार्यक्रम के लिए साथ देने की अपील की है.

मध्यप्रदेश में बोहरा समुदाय की तादाद काफी अच्छी है. कार्यक्रम मध्यप्रदेश के शहर इंदौर में था तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कार्यक्रम में पहुंचे थे. उन्होंने बोहरा समाज की शांतिप्रयता और तरक्की की तारीफ की. उन्होंने सफाई अभियान में बोहरा समाज के योगदान की तारीफ की.

दरअसल, बोहरा समुदाय का झुकाव पहले से ही बीजेपी के साथ रहा है. अब जबकि विधानसभा का चुनाव मध्यप्रदेश में होना है तो इस समुदाय को साधने की कवायद की जा रही है. बोहरा समुदाय शिया समुदाय का ही उपसमुदाय माना जाता है. शिया समुदाय भी पहले से बीजेपी के प्रति नरम रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के सैफी मस्जिद जाने को उस समुदाय के साथ अपने और पार्टी के रिश्ते को भी बरकरार रखने की कोशिश माना जा रहा है.

बोहरा समुदाय की आबादी और उसका प्रभाव महाराष्ट्र और राजस्थान में भी है. राजस्थान में भी विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में इस समुदाय की अपील का फायदा बीजेपी को राजस्थान में भी हो सकता है. साथ ही अगले साल लोकसभा के चुनाव में भी बीजेपी बोहरा समुदाय को पहले की तरह साधने में सफल हो सकती है.

मुस्लिम समुदाय में बीजेपी अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए पहले से ही कई तरह से प्रयास करती रही है. पार्टी की एंटी माइनॉरिटी इमेज को बेहतर करने के लिहाज से सबका साथ सबका विकास की बात कही जाती रही है. लेकिन, तीन तलाक बिल को सामने लाकर बीजेपी ने मुस्लिम समाज की महिलाओं को अपनी तरफ खींचने की पूरी कोशिश की है.

बीजेपी को लगता है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय में शिया समुदाय और बोहरा समुदाय को साथ लेने के अलावा अगर मुस्लिम महिलाओं की आवाज बुलंद कर उनको साधा जा सके तो फिर पार्टी को बेहतर परिणाम मिल सकता है.

अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर उसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की तरफ से विकास की योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने के अलावा अपने सामाजिक समीकरण को भी दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री का बोहरा समुदाय के बीच जाना इसी बात का संकेत दे रहा है.