view all

पीड़ित और हीरो एक साथ बनकर कांग्रेस को घेर रहे हैं नरेंद्र मोदी

इस रैली से बीजेपी ने औपाचारिक रूप से गुजरात चुनाव के लिए प्रचार का शंखनाद कर दिया है

Sanjay Singh

भारत में यह बीजेपी के कार्यकर्ताओं की अब तक की सबसे बड़ी रैली थी. गांधीनगर में आयोजित यह कार्यक्रम न सिर्फ कार्यकर्ताओं की भीड़ के मामले में बीजेपी की उम्मीदों पर खतरा उतरा, बल्कि पार्टी के सुप्रीम नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात चुनाव के लिए पार्टी के सिपाहियों को जो संदेश देना चाहते थे, उसमें भी वो सफल रहे.

इस रैली से बीजेपी ने औपाचारिक रूप से गुजरात चुनाव के लिए प्रचार का शंखनाद कर दिया है. मोदी ने पिछले कुछ दिनों में राज्य के कई दौरे किए हैं. लेकिन वो सब सरकारी कार्यक्रम थे. पहली बार उन्होंने पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में गुजरात में “राजनीतिक” रैली की. वो तैयारी के साथ आए और इसका पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर जबरदस्त असर हुआ. अपने असरदार भाषण में उन्होंने गुजरात की अस्मिता और गुजराती उपराष्ट्रवाद को बार-बार जगाया.


मोदी की विकास आधारित राजनीति के खिलाफ राहुल गांधी ने सोशल मीडिया से उधार पंचलाइन-`विकास पागल हो गया है’ के जरिए हमला बोला था. इसका जवाब उन्होंने गुजराती भाषा के नारे- “हम विकास हैं, हम गुजरात हैं” से दिया. रैली में आखिर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने मोदी के कहे अनुसार इस नारे को जोरदार तरीके से बार-बार दुहराया.

मोदी अपने जमाने के चतुर नेता और सबसे प्रखर सार्वजनिक वक्ता हैं. उन्हें पता था कि लोगों की राय अपने पक्ष में रखने और आगामी चुनाव में वोट बीजेपी को दिलाने के लिए वो गुजरात में सभा कर रहे हैं और उन्हें अपनी मातृभाषा गुजराती में बोलना होगा. लेकिन वो अच्छी तरह जानते थे कि कि पूरा देश उन्हें लाइव देख रहा है और उनका भाषण सुन रहा है. वो उस विधान सभा चुनाव के लिए किस तरह की नेरेटिव का निर्माण कर रहे हैं, जो उनकी निजी छवि के लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है.

व्यापारियों से गुजराती में बोले मोदी

अधिकतर भाषण उन्होंने हिंदी में दिया. लेकिन जब वो राज्य के छोटे मैन्युफेक्चर्रस, व्यापरी और कारोबारियों से सीधा संवाद करना चाहते थे, जीएसटी को लेकर उनकी चिंताएं दूर करना चाहते थे, नोटबंदी को लेकर विपक्षी कांग्रेस और विरोधियों को जवाब देना चाहते थे, तो उन्होंने गुजराती का सहारा लिया.

उन्हें पता था बीजेपी के कट्टर समर्थक एक वर्ग में जीएसटी बड़ा मुद्दा है. इसलिए वो उनकी चिंताएं और डर दूर करना चाहते थे. पिछले दिनों उन्होंने जीएसटी काउंसिल से जीएसटी के मौजूदा ढांचे की समीक्षा कर उसमें बदलाव कराया. गांधीनगर में उन्होंने भरोसा दिलाया कि ऐसे कई उपाय कई जाने वाले हैं.

ऐसा कहकर वो गुजराती समाज के एक रसूखदार वर्ग का दिल जीतने की कोशिश कर रहे थे. दूसरे स्तर पर गुजराती उप-राष्ट्रवाद की बात कर उन्होंने एक बड़े वर्ग से जुड़ने की कोशिश की. उन्होंने बार-बार ये याद दिलाया कि कैसे जवाहर लाल नेहरू के समय से कांग्रेस गुजरात के विकास के खिलाफ है. कांग्रेस और उसके नेता गुजरात विरोधी मानसिकता के हैं.

जीएसटी काउंसिल की मीटिंग. फोटो सोर्स: पीटीआई

इसके बाद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एक बयान पर कटाक्ष किया. “इस जवाब का सवाल चाहिए” राहुल ने यह बयान गुजरात दौरों के दौरान दो बार दिया था. मोदी ने कहा कि वो किसी सवाल का जवाब दे सकते हैं, समस्या का समाधान दे सकते हैं लेकिन किसी समाधान के लिए समस्या नहीं दे सकते, किसी जवाब का सवाल नहीं दे सकते.

मोदी ने नेहरू को गुजरात विरोधी और सरदार पटेल विरोधी बताया. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नर्मदा बांध परियोजना की आधारशिला रखी थी. लेकिन इसे कभी पूरा नहीं होने दिया क्योंकि इसकी रूपरेखा सरदार पटेल ने बनाई थी. मोदी ने कहा कि यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि अगर ये प्रोजेक्ट 50 साल पहले पूरा हो जाता तो गुजरात का कितना विकास होता.

मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए जब उन्होंने नर्मदा-सरदार सरोवर परियोजना पर ध्यान देना शुरू किया तो उन्हें काफी दिक्कतें आईं. मोदी के पास नेहरू को लेकर कई और कहानियां थीं. इसके जरिए उन्होंने यह संदेश दिया कि कांग्रेस तब भी जनसंघ और आज भी बीजेपी से डरती है.

उन्होंने कांग्रेस की दूसरी विडंबनाएं गिनाईं. मोदी ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने उत्तर गुजरात को पानी की आपूर्ति रोकने की कोशिश की, जबकि मैंने उन्हें बताया कि जिस पानी का गुजरात उपयोग कर रहा है वो समुद्र में जा रहा है. लेकिन तब राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत नहीं माने. मोदी ने रैली में आए लोगों को बताया कि वही गहलोत आज गुजरात के लिए कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार हैं, जो यह बताता है कि कांग्रेस ने कभी भी राज्य का विकास चाहा.

पीड़ित और हीरो दोनों एक साथ

मोदी जानते हैं कि प्रधानमंत्री (उनके अपने प्रांत का) बनने के कारण राज्य की एक बड़ी आबादी उन पर गर्व करती है. यह समय फिर से वही कार्ड खेलने का है-एक ही वक्त में पीड़ित और हीरो दोनों बनना. उन्होंने कुछ इस तरह खुद को पीड़ित बताया, “जब मैं मुख्यमंत्री था तो वो(कांग्रेस) हर तरह की गंदी चाल चलते थे. वो जानते थे कि अमित शाह को जेल भेजे बिना वो मोदी पर हाथ नहीं डाल सकते… आज की स्थिति देखिए. वो कहां हैं और हम कहां हैं.”

इस चुनाव में राहुल गांधी पहले के मुकाबले ज्यादा हमलावर हैं. जिसका जवाब कल प्रधानमंत्री के भाषण में दिखा

मोदी ने कहा कि जब कांग्रेस बीजेपी पर कोई बड़ा आरोप नहीं लगा पाई तो वो सांप्रदायिक और जातिवादी कार्ड खेलने लग गई, यहां तक कि बुरा बर्ताव करने लगी, इतना कि विकास का नाम लेने लगी. उन्होंने कहा, “विकास के मजबूत आधार पर कांग्रेस कभी हिम्मत नहीं करेगी.कांग्रेस में वो दम नहीं. हम नारा विकासवाद है, उनका वंशवाद.”

सबसे ज्यादा जो चीज कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी, वो है मोदी का ये कहना कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी भ्रष्टाचार (नेशनल हेराल्ड) के आरोप में जमानत पर हैं. उन्होंने कहा, कांग्रेस जमानती पार्टी है, जो सजायाफ्ता (लालू प्रसाद सरीखे) और भ्रष्टाचार के आरोप में जमानत पाए (कनिमोझी सरीखी) नेताओं को गले लगाती है.

भाषण के आखिर में उन्होंने कहा कि वो 22 अक्टूबर को फिर गुजरात का दौरा करेंगे. इस दिन गुजराती नव वर्ष भी है. उस दिन मोदी अपने दिल के सबसे करीब सौराष्ट्र इलाके के लिए एक विकास परियोजना का उद्घटान करेंगे.