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चुनावी गुजरात में बड़ा संदेश लेकर आई है मोदी की वडनगर यात्रा

आने वाला गुजरात विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के आभा मंडल का चुनाव होगा

Sanjay Singh

नरेंद्र मोदी का अपनी बुलेट प्रूफ रेंज रोवर एसयूवी से नीचे उतरना, वडनगर में बचपन के स्कूल के गेट तक चलकर जाना, झुककर जमीन से मिट्टी उठाना और और स्कूल को प्रणाम करना. इस पूरे वाकये की तस्वीरें उनके गृह नगर के लोगों की याद्दाश्त में लंबे वक्त तक बनी रहेंगी.

वो वडनगर में अपने घर नहीं जा सके, जहां उनका जन्म और लालन-पालन हुआ. उनके घर का आधा हिस्सा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. आधे हिस्से में तीन मंजिला इमारत है. इस घर में वो परिवार रहता है, जिसने इस जमीन को खरीदा है. जब इस लेखक ने वडनगर का दौरा किया तो वहां कुछ ऐसी परिस्थितियां थीं. मोदी के पैतृक घर तक पहुंचने के लिए किसी को भी संकरी गलियों से गुजरना होगा. प्रधानमंत्री के लिए भी वहां तक पहुंचना शायद आसान नहीं था.


वो कुछ पल के लिए ही अपने स्कूल आए थे. ये काम अपनी स्मृतियों को ताजा करने के लिए सबसे अच्छी चीज थी. लेकिन गुजरात में ये वक्त चुनाव का है. अपने गृहनगर की यात्रा को महज पुरानी यादें ताजा करने की उनकी इच्छा से जोड़कर नहीं देखा जा सकता. यह पहली बार था जब मोदी वहां भारत के प्रधानमंत्री के रूप में गए थे.

गुजरात के एक कार्यक्रम में पीएम मोदी. फोटो सोर्स- पीआईबी

इस यात्रा में छिपे हैं कई संदेश

लेकिन इस प्रतीकात्मकता को भुला पाना मुश्किल है. यह दुनिया को संदेश देने का मोदी का अपना तरीका हो सकता है. शायद मोदी ये जताना चाहते थे कि वो जहां भी चले जाएं, कुछ भी बन जाएं या हासिल कर लें, वो अपनी जड़ों से नहीं कट सकते. उनका दिल वहीं रहता है और वो अपने राज्य के विकास और समृद्धि के लिए जी-जान लगा देंगे. बीते शनिवार और रविवार समेत राज्य की उनकी सभी हालिया यात्राएं, आधिकारिक कार्यक्रमों से भरी पड़ी थीं. इनमें नई स्कीमों की घोषणाएं और कई तरह के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन शामिल था.

मोदी ने यात्रा को लेकर ट्वीट भी किए.

वडनगर के लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'अपने गृहनगर में वापस आना और गर्मजोशी से स्वागत होना खास है. मैं आज जो कुछ भी हूं, वो इस धरती से मिले मूल्य हैं, जो मैंने आप सबके बीच सीखें हैं'

'मैं आपका आशीर्वाद लेकर वापस जा रहा हूं और आपको ये भरोसा दिलाता हूं कि मैं देश के विकास के लिए और कड़ी मेहनत करूंगा.'

पिछले 16 साल में राज्य का यह पहला चुनाव होगा, जिसमें वो राज्य के मुख्यमंत्री नहीं होंगे. इसमें कोई दो राय नहीं कि आगामी चुनाव का महत्व नेता के रूप में मोदी के आभामंडल से जुड़ा है.

16 साल पहले छह अक्टूबर को ही मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे. वो 13 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने लोकसभा चुनाव बड़े बहुमत से जीता. उन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते किए गए विकास कार्यों के बल पर संसदीय चुनाव जीता. उन्होंने विकास आधारित राजनीति को प्रचार के केंद्र में रखा. इस आधार पर वो बाकी भारतीय नेताओं से अलग हैं.

पिछले विधानसभा चुनाव में भी जुड़ी थी प्रतिष्ठा

2012 का विधानसभा चुनाव उनके मुख्यमंत्री रहते हुए लड़ा गया. उस वक्त भी राज्य में ये चर्चा जोरों पर थी कि उनके लिए वोट सिर्फ राज्य की सत्ता में उनकी फिर से वापसी के लिए नहीं बल्कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखने के लिए अगला कदम है. इस चुनाव में मोदी वहां मुख्यमंत्री के रूप में नहीं होंगे. लेकिन यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है. इसलिए बीजेपी इस चुनाव को गुजरात की अस्मिता से जोड़ने की कोशिश करेगी.

इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि मोदी ने चीन और जापान के राष्ट्राध्यक्षों के दौरों को गुजरात के लिए बड़ा समारोह बना दिया. उन्होंने अपने गृह राज्य के विकास को उनके सामने रखा. बाकी देश के लिए उन्होंने ये दलील रखी कि भारत जैसे विविधता भरे देश में विदेशी मेहमानों के सभी आधिकारिक कार्यक्रम सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में क्यों आयोजित किए जाएं.

गुजरात के एक बीजेपी नेता ने कहा, 'नरेंद्र भाई हमारी प्रतिष्ठा से जुड़े हैं. वो राज्य के गौरव हैं. महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मोदी गुजरात के तीन आइकॉन हैं. वो हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं और हम इसे चर्चा का विषय बनाएंगे. वो विकास आधारित राजनीति के सूत्रधार हैं. उनकी राजनीतिक यात्रा शानदार और उल्लेखनीय है. राजनीति में तीन चीजें अहम हैं– नेता कौन, नीति कैसी और नीयत कैसी. नरेंद्र मोदी का नाम सकारात्मक रूप से इन तीनों से जुड़ता है.

गुजरात में बीजेपी के प्रचार की थीम स्थिरता और शक्ति होगी- 'अदिखम गुजरात'. राहुल गांधी की उधार ली हुई पंचलाइन विकास पागल हो गया है के जवाब में बीजेपी ने गुजरात गौरव यात्रा के दौरान 'मुझो गुजरात, मुझो विकास' (हम गुजरात हैं, हम विकास हैं) का नारा दिया. राहुल गांधी की चुनाव प्रचार की शुरुआत के लिए बार-बार राज्य की यात्रा को लेकर बीजेपी के नेता अपनी नींद खराब नहीं कर रहे हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा, 'वास्तव में, हमारे लिए चुनाव और रोचक हो गया है और इससे हमें चुनाव की तैयारियों के लिए ढेर सारे मौके मिल रहे हैं.'

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ मोदी 17 अक्टूबर को गुजरात कैंपेन के समापन अवसर पर फिर अहमदाबाद में होंगे. दोनों नेता इस दिन पन्ना प्रमुखों (मतदाता सूची के एक पेज का प्रमुख) की बड़ी रैली को संबोधित करेंगे. बीजेपी नेताओं के अनुमान के मुताबिक रैली में बडी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे. रैली में रिकॉर्ड सात लाख लोगों के हिस्सा लेने की उम्मीद है. यहां मोदी और शाह के भाषणों से ही 2017 के गुजरात चुनाव की दशा और दिशा तय होगी.