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नरेंद्र मोदी ने गरीबों के लिए चमत्कार किया है, मेघालय को भी जरूरत है: अल्फोंस कन्ननथानम

मेघालय में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रमुख अल्फोंस कन्ननथनम से फ़र्स्टपोस्ट की खास बातचीत

Simantik Dowerah

मेघालय की खासी, गारो और जैंतिया की पहाड़ियों में वसंत के उतर आने और मार्च में फिर से हरियाली से भर जाने से पहले राज्य में नई विधानसभा चुनने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मतदान 27 फरवरी को होगा और नतीजे 3 मार्च को घोषित हो जाएंगे. राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है और राजनीतिक दल महीने की थका देने वाली चुनावी प्रचार की तैयारियों में लगे हुए हैं.

मुख्यमंत्री मुकुल संगमा को अपनी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों का सामना करते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार चलाने के लिए एक और कार्यकाल हासिल करने की चुनौती है, जबकि बीजेपी इस राज्य को अपने झंडे तले लाने के लिए विकास के एजेंडे, राज्य की बहुसंख्यक ईसाई आबादी से रणनीतिक मेल-मिलाप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर निर्भर रहेगी.


बीते साल अल्फोंस कन्ननथानम को 3 सितंबर को केंद्र में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री बनाए जाने के फौरन बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें मेघालय का चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिया था. सभी हलकों में इस कदम को राज्य की बहुसंख्यक ईसाई आबादी के साथ करीबी रिश्ते बनाने की कवायद के तौर पर देखा गया. उनकी पार्टी अब कांग्रेस के साथ एक और चुनावी युद्ध में भिड़ने जा रही है. इस उत्तर-पूर्वी राज्य में बीजेपी की संभावनाओं के बारे में अल्फोंस से फर्स्ट पोस्ट ने खास बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के अंशः

बीजेपी की विचारधारा उत्तर पूर्व में, खासकर मेघालय में किस तरह लागू होगी, जबकि यहां चर्च का गहरा असर है? और दूसरी बात यह कि बीजेपी की विचारधारा उस संस्कृति से कैसे तालमेल बिठाएगी, जहां बीफ खाना उसकी पहचान से जुड़ा है?

मैं समझता हूं कि मुद्दा यह है कि- क्या मेघालय के लोग एक सम्मानित जीवन चाहते हैं? यह बुनियादी मुद्दा है. एक के बाद एक सरकारों ने जनता को लूटा और उनका पैसा बर्बाद किया- स्कूल नहीं हैं, हेल्थकेयर नहीं है, मेघालय में नौकरियां नहीं हैं. बड़ी संख्या में लोग यहां भूखों मर रहे हैं. यहां हर चीज बर्बाद हालत में है. यह समय है कि मेघालय के लोग खुद से कहें कि वो सम्मान का जीवन चाहते हैं. और यही समय है कि लोग सबसे भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने का निर्णय लें. असल में यह एक मौका है.

और बीजेपी की विचारधारा क्या है? यह बहुत सरल है. हमारी विचारधारा यह है कि हम हर एक के लिए सम्मान का जीवन चाहते हैं. हम चाहते हैं कि लोग अपने लिए चीजें खुद तय करें. हम चाहते हैं कि हर मेज पर खाना हो; हम चाहते हैं कि हर बच्चा स्कूल जाए; हम हर एक के लिए एक घर और टॉयलेट चाहते हैं. हम चाहते हैं कि हर किसी के पास जॉब हो. यही बीजेपी का बुनियादी मकसद है.

हमने हिंदू वोट बैंक को एकजुट करने के लिए योगी आदित्यनाथ को केरल में और फिर कर्नाटक में चुनाव प्रचार करते देखा, क्या मेघालय में प्रभारी के तौर पर आपकी नियुक्ति इसी सोच के लिए हुई है, जहां आपका काम ईसाई आबादी की आशंकाओं को दूर करना है?

प्रधानमंत्री ने बिल्कुल साफ कहा है कि यह देश हर किसी का है. उन्होंने संसद में कहा कि यह देश हर किसी का है. आप जिस धर्म को मानना चाहते हैं, उस धर्म को मानें. प्रधानमंत्री या बीजेपी के रुख को लेकर कोई संदेह नहीं है. यह बिल्कुल स्पष्ट है.

जनवरी के पहले हफ्ते में आपके मंत्रालय ने 37 चर्चों में बुनियादी ढांचा ठीक करने के लिए 61 करोड़ रुपए मंजूर किए, और 9 करोड़ रुपए इसी तरह के 11 प्रोजेक्ट, जिसमें शिलांग के स्थानीय खासी जैंतिया आदिवासी धार्मिक समूह शामिल हैं, के लिए मंजूर किए. जनता इसे चुनाव से पहले तुष्टिकरण के तौर देख रही है. इस पर आपका क्या कहना है?

ईसाई भी देश का हिस्सा हैं. वह भी भारत के नागरिक हैं. और हम देश के लिए ढेर सारे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे रहे हैं. हमारे पास कृष्णा सर्किट है. हमारे पास रामायण सर्किट है. हमारे पास बुद्धा सर्किट है. हम पिछले कई वर्षों से धार्मिक स्थलों के पास बुनियादी ढांचा बनाने के लिए पैसा मुहैया करा रहे हैं. मेघालय में, जहां कि ईसाइयों की बड़ी आबादी है, यहां ईसाई धार्मिक स्थलों के आसपास बुनियादी ढांचा विकसित करना उपयुक्त होगा. हम बिल्कुल वैसा ही कर रहे हैं, जैसा हम हमेशा करते रहे हैं.

आप जिस तरह की राजनीति करते हैं, उसे देखते हुए यहां तक कि कोनराड संगमा की एनपीपी भी चुनाव से पहले बीजेपी से गठबंधन को लेकर चौकन्नी है. उन्होंने साफ तौर पर 'जमीनी मजबूरियों' की बात कही. इस बारे में आपका क्या कहना है?

यह तो आपको कोनराड संगमा से पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा या ऐसा क्यों किया. हम चुनाव अच्छे से लड़ रहे हैं. हमें चुनाव लड़ने में कोई समस्या नहीं है. यह हमारे लिए ठीक है. कोनराड एक बड़े गठबंधन का हिस्सा हैं. और हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं. हम अपने बूते चुनाव लड़ने में खुश हैं.

मेघालय की सीमा बांग्लादेश से लगती है. क्या आपके चुनाव प्रचार में अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठेगा?

यह उन मुद्दों में से एक है जिनके बारे में मेरा मानना है कि इस पर राज्य फैसला करेगा. राज्य का नेतृत्व तय करेगा कि राज्य के लिए कौन से मुद्दे महत्वपूर्ण हैं. यह मुद्दे दिल्ली से तय नहीं होंगे. एक ही मुद्दा है जिस पर हम सब सहमत हैं: भ्रष्टाचार. हम एक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देंगे. यही एक मुद्दा है जिसके बारे में हम हमेशा चिंतित रहते हैं. अन्य मुद्दे जो स्थानीय हैं, राज्य इकाई द्वारा तय किए जाएंगे.

ऐसी चर्चाएं थीं कि कांग्रेस के मंत्री माजेल अंपारीन लिंगदोह, जिनके खिलाफ सीबीआई ने टीचर भर्ती घोटाले में केस दाखिल किया है, बीजेपी में शामिल होने वाले थे. इस बारे में आपका क्या कहना है?

हर किसी को पता कि है कि मुकुल संगमा की सरकार कैसी सरकार है. हर कोई जानता है कि यह सरकार देश के इतिहास में सबसे भ्रष्ट सरकार है. किसी के भी दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस को उखाड़ फेंकने की जरूरत है. यह चीजें मेघालय के लोगों के सामने बिल्कुल साफ हैं और मुझे यकीन है कि लोग इसी के अनुरूप काम करेंगे. सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि सबसे भ्रष्ट सरकार से छुटकारा पाया जाए. यही सबसे बड़ी प्राथमिकता है.

और नरेंद्र मोदी सरकार के किए कामों पर नजर डालिए. मोदी सरकार ने काम किया है. बीजेपी जहां भी सत्ता में रही है, इसने काम किया है. हमें किसी व्यक्ति या पार्टी का मूल्यांकन उसके द्वारा किए गए काम के आधार पर करना चाहिए. मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर 14 साल और प्रधानमंत्री के तौर पर साढ़े तीन साल के कार्यकाल में देश के गरीब लोगों के जीवन में चमत्कार कर दिया है. यह चमत्कार मेघालय के लोगों के लिए भी जरूरी है.