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एलजी का इस्तीफा: क्या अब दिल्ली में 'जंग' नहीं होगी ?

मोदी सरकार के साथ जंग का समीकरण भी ठीक रहा

Amitesh

दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफे ने दिल्ली के सियासी गलियारे में सनसनी फैला दी है.

नजीब जंग के कार्यकाल में लगभग डेढ़ साल का वक्त था लेकिन, उसके पहले ही अपनी कुर्सी को अलविदा कह उन्होंने एक बार फिर से कई सवाल खड़े कर दिए हैं.


दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर  2013 में नजीब जंग की नियुक्ति हुई थी. उस वक्त केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी. लेकिन, 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद भी जंग की कुर्सी बरकरार रही.

सबसे चौंकाने वाली बात तो यह थी कि मोदी सरकार बनने के बाद पिछली सरकार के वक्त नियुक्त कई प्रदेशों में राज्यपालों को बदला जा रहा था, तो उस वक्त भी दिल्ली में नजीब जंग की कुर्सी बरकरार रही.

लेकिन, मोदी सरकार की तरफ से जंग के साथ की गई यह मेहरबानी कई मायनों में अहम रही. दिल्ली में लगभग एक साल तक राष्ट्रपति शासन के दौरान भी जंग ने ही राज्य की सरकार चलाई.

मोदी सरकार के साथ जंग का समीकरण भी ठीक रहा. लेकिन, इस दौरान दिल्ली में आप की सरकार के साथ उनकी खींचतान खुलकर सामने आती रही. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी तनातनी तो सरेआम होती रही.

दरअसल, यह कहानी थी दिल्ली के बॉस बनने को लेकर. आखिरकार दिल्ली का बॉस कौन होगा और दिल्ली में किसकी चलेगी इसकी लड़ाई जारी थी.

केंद्र की बीजेपी सरकार भले ही इसे दिल्ली का मामला बताती रही हो, लेकिन उसे दोनों की यह खींचतान खूब भाती भी रही. फिलहाल केंद्र सरकार के नुमाइंदे नजीब ने इस जंग में लगातार केजरीवाल को पटखनी दी.

तिलमिलाए केजरीवाल ने कई बार केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पर भी सीधे वार किए थे.

जंग को जाना क्यों पड़ा?

हालाकि, कहा यही जा रहा है कि है कि नजीब जंग दोबारा शिक्षण के काम में जाना चाहते हैं इसलिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल बनने से पहले वो जामिया मिलिया इस्लामिया में कुलपति भी थे. उनकी छवि भी एक शिक्षाविद की रही है.

लेकिन, इस्तीफे के सवाल पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. सवाल यही खड़ा हो रहा है, आखिर जंग को जाना क्यों पड़ा. क्या केंद्र की तरफ से कोई दबाव था या फिर जंग अपनी मर्जी के मुताबिक पद छोड़ गए.

यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि जब जंग के इस्तीफे के बाद गृह सचिव से इस बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि एक दिन पहले ही उन्होंने बुधवार को हमसे मुलाकात की थी, लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं मिला.

हमें इस बाबत कोई जानकारी भी नहीं थी.हो सकता है कि अब वो एकेडमिक में वापस जाना चाह रहे हों.

गृह-मंत्रालय के अधिकारियों के साथ नजीब जंग की मुलाकात शुक्रवार को होने वाली थी. लेकिन उसके एक दिन पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

गृह-मंत्रालय के आला अधिकारियों की तरफ से साफ कर दिया गया कि इस्तीफे के लिए उनसे नहीं कहा गया था.

तो क्या दिल्ली में जंग के बदले किसी और को लाने की तैयारी हो रही थी, जिसकी भनक गृह मंत्रालय तक को नहीं लग पाई.

क्या केजरीवाल सरकार के साथ सीधे टकराव के बजाए किसी ऐसे व्यक्ति को उपराज्यपाल के पद पर मोदी सरकार बैठाना चाहती है जो बेहतर कोआर्डिनेशन में काम कर सके.

या फिर मोदी सरकार का जंग से अब मोह भंग हो गया था, जिसके बाद उन्हें चलता कर दिया गया.

यह चंद सवाल हैं जिनका उत्तर आना बाकी है. दिल्ली का नया उपराज्यपाल कौन बनेगा इसका फैसला जल्द हो जाएगा. लेकिन इस बदलाव से क्या दिल्ली की जंग अब रुक पाएगी, ये अब अहम सवाल होगा.

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