नगालैंड में एक नाटकीय घटनाक्रम में मंगलवार को बीजेपी 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के सर्वदलीय घोषणा से पीछे हट गई और उसने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा.
बीजेपी ने अपने कार्यकारी परिषद सदस्य खेतो संपार्ती को भी निलंबित कर दिया था जिन्होंने सोमवार को इस संयुक्त घोषणा पर दस्तखत किए थे.
नगा पीपुल्स फ्रंट, बीजेपी, कांग्रेस समेत 11 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने पहले नगा राजनीतिक समस्या का समाधान करने की जनजातीय संगठनों और सभ्य नागिरक समाजों की मांग से राजी होते हुए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का सोमवार को निर्णय लिया था.
प्रदेश पार्टी अध्यक्ष विसासोली लोंगू ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘हमने दो पार्टी नेताओं को बैठक में शामिल होने के लिए अधिकृत किया था लेकिन उनसे यह भी कहा था कि यदि चुनाव के संबंध में कोई बात हो तो पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से बातचीत की जानी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि खेतो ने केंद्रीय नेताओं से संपर्क किए बगैर ही दस्तखत कर दिए अतएव उन्हें निलंबित कर दिया गया है.’
हालांकि उनका कहना था कि बीजेपी नगा राजनीतिक समस्या के शीघ्र समाधान के पक्ष में है लेकिन विधानसभा चुनाव भिन्न मुद्दा है. पार्टी की प्रदेश इकाई को केंद्रीय नेतृत्व से इस संबंध में निर्देश का इंतजार है.
सोमवार को हुई सर्वदलीय बैठक में क्षेत्रीय दलों समेत बीजेपी और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों ने भी 27 फरवरी को होने वाले नगालैंड विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की थी. बैठक में हुए फैसले में ‘समाधान नहीं तो चुनाव नहीं’ पर सभी दलों ने सहमति जताई. राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव से पहले नगा समस्या के समाधान की मांग की है.
इससे पहले नगालैंड में सत्तारूढ़ एनपीएफ सहित प्रमुख राजनीतिक दलों ने नगालैंड के शीर्ष आदिवासी संगठन नगा होहो की इस मांग का समर्थन किया था कि राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नगा समस्या का समाधान किया जाए.