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शशिकला.. सस्पेंस में लिपटी भावी मुख्यमंत्री!

चिनम्मा से अम्मा बनने जा रहीं शशिकला का सफर जितना ऊपर से दिखता है उससे ज्यादा अंदर से रहस्यों से भरा है

Manish Kumar

4 दिसंबर, 2016 की तारीख याद कीजिए, ये वो समय था जब देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक तमिलनाडु की 'अम्मा' अस्पताल में मृत्यु शैय्या पर पड़ी थीं. उस वक्त आईसीयू में उनकी 'बहन' सरीखी शशिकला वहां मौजूद रहकर सबकुछ मैनेज कर रही थीं. किसे जयललिता के कमरे में जाना है से लेकर मंत्रियों और एआईडीएमके विधायकों के अपोलो अस्पताल आने-जाने तक सबकुछ शशिकला की मर्जी से हो रहा था.

अगले दिन, जयललिता के असमय निधन के बाद शशिकला के राज्य की बागडोर संभालने को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे. लेकिन शशिकला ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई.


उन्होंने सबसे पहले पार्टी महासचिव का पद हासिल कर एआईएडीएमके पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई. पार्टी में जो उनका विरोध कर सकते थे उन सबको कंट्रोल किया.

शशिकला जीवन भर जयललिता की सबसे करीबी बनकर रहीं

फिर जब उन्हें लगा कि वो तमिलनाडु की सत्ता की सबसे ऊंची कुर्सी पर काबिज हो सकती हैं तो ही उन्होंने मुख्यमंत्री के पद की बाजी खेली.

पन्नीरसेल्वम की जगह बनेंगी मुख्यमंत्री

एआईएडीएमके से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने पार्टी के विधायकों के साथ बैठक में शशिकला का नाम प्रस्तावित किया और सबने एक राय से शशिकला को तमिलनाडु का अगला सीएम चुनने का फैसला किया.

शशिकला ने भी विधायकों को संबोधित करते हुए दलील दी कि पन्नीरसेल्वम ने उनसे सरकार का नेतृत्व करने की अपील की है.

लेकिन ये उतना सीधा नहीं है जितना की दिखता है. कहा जाता है कि जयललिता के निधन के बाद से ही पन्नीरसेल्वम और शशिकला के बीच रिश्ते सामान्य नहीं थे. पिछले दिनों एक कार्यक्रम में शशिकला को जब मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने अभिवादन किया तो शशिकला ने उसका जवाब तक देने की जहमत नहीं उठाई. तभी से ये माना जाने लगा था कि अम्मा को अपने 'वश' में कर रखने वाली चिनम्मा का वार पन्नीरसेल्वम को भारी पड़ेगा.

जयललिता के निधन के बाद ओ. पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने थे

स्वभाव से महत्वाकांक्षी महिला

थेवर समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शशिकला स्वभाव से बहुत महत्वाकांक्षी महिला रही हैं. जयललिता की सबसे करीबी बनने के बाद उन्होंने सत्ता को हमेशा 'बैकसीट' पर बैठकर ही देखा. लेकिन फिर जब उन्हें महसूस हुआ कि सत्ता को सामने आकर और भी ज्यादा इन्जवॉय किया जा सकता है तो वो छलांग मारकर 'फ्रंटसीट' पर आ गईं.

वैसे तो शशिकला राजनीति में बिल्कुल नई हैं. वो न तो कभी पार्टी के किसी पद पर रहीं और न ही सरकार में. शशिकला ने अपने जीवन में कभी पार्षद तक का चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि, पर्दे के पीछे रहकर रिमोट कंट्रोल से 'सरकार' चलाने की कला वो बखूबी जानती हैं.

शशिकला की जयललिता से मुलाकात अपने आप में रोचक है. शशिकला सबसे पहली बार जयललिता के संपर्क में तब आईं जब वो एमजी रामचंद्रन के मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी की प्रचार सचिव थीं. तमिलनाडु के 'अमर सिंह' कहे जाने वाले शशिकला के पति एन नटराजन, जो कि सरकार में पीआरओ थे उन्होंने आईएएस अधिकारी चंद्रलेखा की मदद से शशिकला को जयललिता से मिलवाया.

शशिकला पर हमेशा जयललिता के पीठ पीछे राजनीति करने के आरोप लगते रहे

सबसे करीबी होती चली गईं

कहते हैं कि एमजीआर की मौत के बाद जब जयललिता को पार्टी से दूर कर दिया गया था, इस कठिन घड़ी में शशिकला उनके पास आईं और फिर सबसे करीबी होती चली गईं.

जयललिता ने सियासत में एन नटराजन की सक्रियता और शातिरपने को देखते हुए उन्हें अपने से दूर कर रखा था. लेकिन अब जबकि जयललिता इस दुनिया से जा चुकी हैं शशिकला के तेज-तर्रार पति फिर सक्रिय हो गए हैं. न सिर्फ शशिकला नटराजन और उनके पति बल्कि उनके परिवार के डेढ़ दर्जन लोग मैदान में उतर आए हैं.

चिनम्मा से अम्मा बनने जा रहीं शशिकला का ये सफर जितना ऊपर से दिखता है उससे ज्यादा अंदर से रहस्यों से भरा है. जयललिता अपने अंतिम वक्त तक शशिकला के तिलिस्म और रहस्यों के मायाजाल को नहीं समझ सकीं. उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री बनने के मुहाने पर खड़ी शशिकला के रहस्यमयी संसार का साया तमिलनाडु की जनता पर न पड़े.