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'कारसेवकों पर गोलियां चलवाकर भी 105 सीटें जीतीं तो अब 47 ही क्यों'

मुलायम ने कहा, जो लोग पार्टी की जीत सुनिश्चित नहीं कर सकते थे, उन्हें भी समाजवादी पार्टी में बड़े पद दिए गए. ऐसे बहुत से लोग हैं

FP Staff

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मैसेज दिया है कि उनकी पार्टी में सब कुछ ठीक है और अखिलेश यादव पर उनका आर्शीवाद हमेशा रहेगा. मुलायम के 79वें जन्मदिन के मौके पर लंबे समय बाद अखिलेश और मुलायम ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ मंच साझा किया. पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुलायम ने कहा कि अखिलेश नेता होने से पहले उनके बेटे हैं. अखिलेश पर हमेशा मेरा आर्शीवाद रहेगा. देश में ये चर्चा का मुद्दा बन चुका है कि मैंने अखिलेश को आर्शीवाद दिया है. मैं कहना चाहता हूं कि वो मेरा बेटा है और वो राजनीति में भी है.

हालांकि इस मौके पर अखिलेश के चाचा और मुलायम के छोटे भाई शिवपाल यादव नहीं दिखाई दिए. यूपी विधानसभा में सपा के खराब प्रदर्शन को लेकर मुलायम ने पार्टी के सदस्यों को नसीहत दी. उन्होंने कहा, आप सभी को लोहिया जी के बारे में पढ़ना चाहिए. हमारी पार्टी ने हमेशा महिलाओं, जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. समाजवाद का मतलब है समानता और खुशी. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से लोगों से जुड़ने को कहा.


मुलायम ने कहा, जो लोग पार्टी की जीत सुनिश्चित नहीं कर सकते थे, उन्हें भी समाजवादी पार्टी में बड़े पद दिए गए. ऐसे बहुत से लोग हैं. उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि पार्टी के एक नेता को अपने गांव से सिर्फ नौ वोट मिले. जबकि उनके परिवार में ही 51 सदस्य हैं. ये शर्म की बात है कि 2017 के यूपी चुनाव में हमें 403 में से सिर्फ 47 सीटें ही मिली. जब 1993 में विपक्ष ने मुझे हत्यारा बताया था, तब भी सपा ने 100 से ज्यादा सीटें अपने नाम की थी. 1990 में मुख्यमंत्री रहते हुए देश की एकता के लिए हमने कारसेवकों पर गोलियां चलवाईं, जिसमें 28 लोगों की मौत हुई. देश की एकता के लिए और लोगों को मारना होता, तो हमारे सुरक्षाबल और लोगों को मारते. गोलियां चलवाने के बाद भी 1993 के यूपी चुनाव में सपा ने 105 सीटें जीतीं और फिर सरकार भी बनी.

मुलायम ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हमारी चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा था अयोध्या में 56 लोगों मौत हुई थी. लेकिन सच ये था कि 28 लोग मारे ग थे. मृतकों के परिजनों की मैंने खुद चुपचाप मदद की थी.