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बीएसपी के लिए मुख्तार अंसारी कहीं 'सफेद हाथी' तो नहीं ?

फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि मुख्तार अंसारी के साथ आने से मुस्लिम वोट सीधे बीएसपी की तरफ ट्रांसफर हो रहा है

Amitesh

चढ़ गुंडन की छाती पर, मुहर लगेगा हाथी पर. बीएसपी के कार्यकर्ता इसी नारे के सहारे यूपी की कानून-व्यवस्था और मायावती के सख्त प्रशासन का हवाला देते नहीं थकती थे. खुद मायावती भी विरोधियों पर हमले करने और अपनी बेहतर छवि पेश करने के लिए इसे जोर-शोर से उठाती रही हैं.


लेकिन, यूपी चुनाव से पहले जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और उनके भाई और बेटे को हाथी पर बैठा कर मायावती ने अपने ही नारे की हवा निकाल दी. अब  विरोधी मायावती पर नए नारे के साथ तंज कस रहे हैं. उनकी तरफ से कहा जाने लगा है, गुंडे चढ़ गए हाथी पर गोली मारेंगे छाती पर.

दरअसल यूपी की कानून-व्यवस्था पर लगातार चोट करने वाली मायावती ने बाहुबली अंसारी बंधुओं को अपने साथ जोड़कर मुस्लिम वोटरों को खींचने की पूरी कोशिश की है.

उनकी बेचैनी का अंदाजा इसी बात से भी दिख जाता है कि अखिलेश यादव ने जिस मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल को सिरे खारिज कर दिया, उसी अंसारी को दलित-मुस्लिम गठजोड़ के नए समीकरण के तहत मायावती ने सरआंखों पर बैठा लिया.

विधायक मुख्तार अंसारी कई मुकदमों में इस वक्त सलाखों के पीछे हैं. जिसमें गाजीपुर की मोहम्मदाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़े मामले में भी आरोपी हैं.

बीएसपी ने मुख्तार अंसारी को मउ सदर से जबकि उनके बेटे को मउ जिले की ही घोसी सीट से उम्मीदवार बनाया है. उनके भाई मौजूदा विधायक सिगबतुल्लाह अंसारी भी गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं.

PTI Photo

पूर्वांचल के कई इलाकों में मुस्लिम वोटरों की तादात काफी ज्यादा है.  मायावती को लगता है कि इस बार मुख्तार अंसारी के साथ आने से फायदा उन्हें ही होगा.

मउ सदर और बाकी क्षेत्रों का दौरा करने के बाद लगा कि उन इलाकों में मुस्लिम अंसारी  बंधुओं के साथ खड़े हैं जहां मुख्तार अंसारी और उनके भाई बेटे चुनाव मैदान में हैं. इन इलाकों में दलित वोट बैंक के साथ आने के बाद बीएसपी जीत की उम्मीद कर रही है.

मायावती की पार्टी बीएसपी इस बार सत्ता में लौटने की जी

अंसारी के एक समर्थक ने कहा कि यहां कोई लड़ाई नहीं है, मुख्तार अंसारी जीतने वाले हैं. इसके पहले देवरिया में फल का कारोबार करने वाले मोहम्मदाबाद गाजीपुर के नदीम रैनी ने कहा कि 'हम तो बीएसपी को ही वोट करेंगे और इसके लिए चुनाव के दिन हम मोहम्मदाबाद जाएंगे जहां मुख्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्ला अंसारी चुनाव मैदान में हैं.'

मोहम्मदाबाद से बीजेपी उम्मीदवार कृष्णानंद राय की पत्नी अल्का राय और सिगबतुल्ला अंसारी के बीच मुकाबला है.

लेकिन मउ जिले की मधुबन विधानसभा के मर्यादपुर में कपड़े की दुकान चलाने वाले गुफरान ने तो साफ कर दिया कि 'यहां से उनके परिवार का कोई चुनाव मैदान में नहीं है. हम तो अखिलेश के साथ ही रहेंगे, अखिलेश ने विकास किया है.'

बगल में खड़े एक दूसरे  व्यावसायी आफताब ने तो एक कदम आगे बढकर कहा कि 'हम सपा के साथ हैं. जो जेल में रहेगा वो विकास क्या करेगा'?

बलिया, मउ और आजमगढ जिलों के दौरे करने के बाद लगा कि मुस्लिम की पहली पसंद अखिलेश हैं. लेकिन उन इलाकों में मुस्लिम मतदाता बीएसपी के साथ होने की भी बात कर रहे हैं जहां बीएसपी मजबूत हालत में है.

बीजेपी ने बढाई बीएसपी की मुश्किल

पूर्वांचल इलाके में बीएसपी दलित मुस्लिम के साथ अति पिछड़ों के गठबंधन को कारगर करने की कोशिश में लगी हैं. लेकिन बीजेपी ने कभी बीएसपी सांसद रहे नोनिया जाति के दारा सिंह चौहान को अपने पाले में लाकर मायावती के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की है.

बीजेपी ने चौहान को मउ की मधुबन विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में भी उतारा है. यूपी चुनाव के चंद दिन पहले बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को ओबीसी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया है.

दूसरी तरफ, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन कर बीजेपी ने पूर्वांचल इलाके में बड़ा दांव खेला है. देवरिया, बलिया, मउ, आजमगढ गाजीपुर और सलेमपुर इलाके में राजभर जाति का लगभग 40 से 45 सीटों पर बड़ा प्रभाव है.

अमित शाह की फेसबुक वॉल से साभार

बीजेपी इस पूरे इलाके में सवर्ण जाति के साथ गैर यादव पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के साथ मिलकर अपनी रणनीति को धार देने की कोशिश भी कर रही है.

मुस्लिम गठजोड़ के सहारे बीएसपी इस इलाके में लडाई को मजबूत बनाने में लगी है. लेकिन उसे पहले से मिलते रहे अति पिछड़ वोटों की कमी खल सकती है.

यादव-मुस्लिम गठजोड़ में कितनी सेंधमारी कर पाएंगे अंसारी बंधु

अंसारी बंधुओं को साथ रखकर बीएसपी दलित-मुस्लिम गठजोड़ को दुरूस्त करना चाहती है, लेकिन, पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी की कोशिश है यादव-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत करने की.

पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी का दबदबा पहले से रहा है. बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र में चिरईया मोड़ पर किसान नारायण यादव कहते हैं 'हमनी के जात छोड़ के केहू के ना देब सन महाराज, अखिलेश के देब सन. दोसरा केहू के एजी चास बास नईखे.'

यहां बैठे शिक्षक चंद्रदेव यादव ने भी हां में हां मिलाई. लेकिन जैसे ही वहां से आगे बढ़े उसी गांव के नाई का काम करने वाले भरतलाल ठाकुर ने पास आकर कहा कि 'इन लोगों के कहने से क्या होगा, सभी पिछड़ी जाति के लोग वोट बीजेपी को करेंगे. मैं भी करूंगा'.

बलिया से आगे यादव और मुस्लिम बहुल आजमगढ़ इलाके में पिछली बार सपा ने दस में से नौ सीटें जीती थीं. अंसारी बंधुओं के दबदबे और प्रभाव का असली इम्तिहान इन्हीं इलाकों में होगा, जहां यादव-मुस्लिम गठजोड़ के बजाए दलित-मुस्लिम गठजोड़ की पूरी कोशिश की जा रही है.

पूर्वांचल का चुनाव काफी रोचक हो गया है. अखिलेश और मायावती दोनों की नजरें मुस्लिम वोट बैंक पर हैं. दलित मुस्लिम वोट बैंक मायावती को और यादव मुस्लिम वोट बैंक अखिलेश को बढत दिला सकता है. लेकिन इन दोनों की लड़ाई में बीजेपी चुपके से गैर यादव पिछड़ों को साधने की फिराक में है.

फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि मुख्तार अंसारी के साथ आने से मुस्लिम वोट सीधे बीएसपी की तरफ ट्रांसफर हो रहा है.