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मोदी ने सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा बनवाई, लेकिन राम मंदिर के लिए साहस नहीं दिखाया: शिवसेना

सामना के संपादकीय में कहा गया कि मोदी सरकार ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की भव्य प्रतिमा बनाई है लेकिन राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सरदार’ वाला साहस नहीं दिखाया

Bhasha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि उसे इस बात पर ताज्जुब है कि अगर बीजेपी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब होगा.

पार्टी ने कहा कि अगर राम मंदिर का निर्माण 2019 चुनावों से पहले नहीं हुआ तो यह देश के लोगों को धोखा देने जैसा होगा जिसके लिए बीजेपी और आरएसएस को उनसे माफी मांगनी होगी.


केंद्र और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना ने हालिया इंटरव्यू में मोदी की टिप्पणी के लिए उनपर हमला बोला है. मोदी ने कहा था कि मंदिर निर्माण पर सरकार कोई भी कदम न्यायिक प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही उठाएगी. इस इंटरव्यू को कई टीवी चैनलों ने प्रसारित किया था.

बहुमत वाली सरकार में मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब होगा

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा, 'वह (मोदी) राम के नाम पर सत्ता में आए थे हालांकि उनके मुताबिक भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं. अब सवाल यह है कि अगर बहुमत वाली सरकार में मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब बनेगा.’

संपादकीय में कहा गया कि मोदी सरकार ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की भव्य प्रतिमा बनाई है लेकिन राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सरदार’ वाला साहस नहीं दिखाया. साथ ही कहा कि यह इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा. इसमें बताया गया कि राम मंदिर के लिए आंदोलन 1991-92 में शुरू हुआ था और सैकड़ों ‘कारसेवकों’ ने अपनी जान गंवाई थी.

हिंदुओं के नरसंहार के लिए बीजेपी से माफी की मांग करते हैं

इसमें पूछा गया, 'किसने यह नरसंहार किया और क्यों? एक ओर सैकड़ो हिंदू कारसेवक मारे गए, साथ ही मुंबई बम धमाकों में दोनों पक्ष (हिंदू एवं मुस्लिम समुदाय) के सैकड़ों लोग मारे गए. अगर फैसला सुप्रीम कोर्ट को ही करना था तो यह नरसंहार एवं खूनखराबा क्यों?' उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने आगे पूछा कि क्या बीजेपी- आरएसएस इन हत्याओं और खूनखराबे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है.

संपादकीय में कहा गया, ‘सिखों के नरसंहार (1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद) के लिए जिस तरह से कांग्रेस को माफी मांगनी पड़ी उसी प्रकार हमें भी उन लोगों की भावनाओं को समझना होगा जो हिंदुओं के नरसंहार के लिए (बीजेपी से) माफी की मांग करते हैं.’