आरजेडी प्रमुख लालू यादव, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा वापस ली जा सकती है. केंद्र सरकार वीआईपी सूची में कटौती करने पर विचार करने जा रही है. इसके तहत कई लोगों को दिया गया वीआईपी का दर्जा वापस लिया जाएगा.
इनकी सुरक्षा कम किए जाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि ये नेता ज्यादातर समय अपने राज्य में ही रहते हैं और देश के बाकी हिस्सों में काफी कम जाते हैं. इसलिए उनसे एनएसजी और अर्धसैनिक बलों का सुरक्षा घेरा वापस लिया जा सकता है. इन सभी नेताओं को सर्वोच्च सुरक्षा घेरा जेड प्लस दिया गया है. जेड प्लस में 35 से 40 सुरक्षाकर्मी होते हैं.
मोदी सरकार में 475 वीआईपी
वर्तमान में केंद्र सरकार की ओर से 475 लोगों को 'अति महत्वपूर्ण व्यक्ति' का दर्जा दिया गया है. जबकि यूपीए के दूसरे कार्यकाल में 350 लोगों को वीआईपी दर्जा मिला हुआ था.
इन लोगों को एक्स, वाई, जेड और जेड प्लस सुरक्षा दी गई है. एक्स सुरक्षा घेरे वालों को दो से पांच सुरक्षाकर्मी मिलते हैं. वाई कैटेगरी में 11 और जेड में 30 सुरक्षाकर्मी होते हैं.
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को एसपीजी सुरक्षा देती है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वीआईपी सूची में बढ़ोत्तरी हुई है.
वीआईपी दर्जा मिलने पर एनएसजी और अर्धसैनिक बलों के जवान सुरक्षा देते हैं. साथ ही राज्यों की पुलिस भी इसमें शामिल होती है. खबर है कि केंद्र सरकार कुछ राजनेताओं से एनएसजी और अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा वापस लेने की सोच रही है.
इन नेताओं को मिल रही है जेड प्लस सुरक्षा
इस समय 50 लोगों को जेड प्लस सुरक्षा मिल रही है. खतरे की आशंका को देखते हुए सुरक्षा दी जाती है. वर्तमान वीआईपी सूची के अनुसार उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक लोग इसमें शामिल हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और उनके विधायक बेटे पंकज सिंह, राम जन्मभूमि बोर्ड के चेयरमैन महंत नृत्यगोपाल दास, भाजपा सांसद साक्षी महाराज के नाम इस सूची में शामिल हैं.
कम से कम 15 राजनेताओं के बच्चों को वर्तमान में एनएसजी का सुरक्षा घेरा मिला हुआ है. साथ ही कई धार्मिक गुरुओं को भी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है. इनमें बाबा रामदेव, माता अमृतानंदमयी शामिल हैं. हालांकि नेताओं की सुरक्षा में कटौती करना आसान काम नहीं होगा.
(साभार- न्यूज 18)