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संविधान की व्याख्या पर फिर से हो विचार: केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह

उन्हें अपने संस्थान, धार्मिक संस्था चलाने का अधिकार है, लेकिन बहुसंख्यकों को यह हासिल नहीं है

Bhasha

केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा है कि अल्पसंख्यकों को कई अधिकार मिले हुए हैं जो कि बहुसंख्यकों को नहीं है. उन्होंने पिछले कुछ दशकों में संविधान की जिस तरह व्याख्या की गई उसपर फिर से विचार करने की हिमायत की.

यह उल्लेख करते हुए कानून के समक्ष सब समान है, केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने कहा, ‘पिछले दो दशकों में जिस तरह संविधान की व्याख्या की गई और कानून को परिभाषित किया गया, इस पर फिर से विचार की जरूरत है. हमें उनपर फिर से विचार करना चाहिए.’


वह संविधान निर्माता की 127 वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘कानून का शासन और राष्ट्र निर्माण में बी आर आंबेडकर की भूमिका’ विषय पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘संविधान में अल्पसंख्यकों को जिस तरह का अधिकार दिया गया, अभी भी वे इस बारे में ठगा हुआ महसूस करते हैं. उन्हें अपने संस्थान, धार्मिक संस्था चलाने का अधिकार है, लेकिन बहुसंख्यकों को यह हासिल नहीं है. कानून सबके लिए समान है.’

कानून को अभी तक सही से लागू नहीं किया जा सका है 

उन्होंने कहा संविधान लागू हुए करीब 70 साल होने को है लेकिन हम लोग इसे अपने अंदर समाहित नहीं कर पाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘कानून के शासन का मतलब है कि कानून हर किसी के लिए समान है. हालांकि, एक व्यक्ति जो सौ रूपया चोरी करता है, दूसरा जो सौ करोड़ रूपए चोरी करता है, उसे एक ही सजा मिलती है. क्या इससे समाज को न्याय मिलता है? मैं कहता हूं यह नहीं होता. इसलिए कानून संशोधित करने की जरूरत है.’ साथ ही कहा कि बीते वक्त में कानून का शासन लागू नहीं हुआ और इससे बहुत भेदभाव हुआ.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘आप एक मजबूत लोकतांत्रिक देश चाहते हैं जहां हर किसी को शिक्षा मिले. हमारे यहां शिक्षा का अधिकार (कानून) है लेकिन पिछले आठ साल में क्या हम इसे लागू कर पाए? अभी भी लाखों बच्चे स्कूल नहीं जाते क्योंकि कानून धारदार नहीं है.’