दिल्ली एमसीडी चुनाव पर फर्स्टपोस्ट की रिपोर्टर दीक्षा उपाध्याय की महरौली से रिपोर्ट
17:42 (IST)दिल्ली नगर निगम चुनाव का मतदान शाम साढ़े पांच बजे खत्म हुआ.
एशिया की सबसे बड़ी अनियमित कॉलोनी संगम विहार से देवब्रत की रिपोर्ट –
संगम विहार को एशिया की सबसे बड़ी अनियमित कॉलोनी माना जाता है जो कि स्लम इलाकों से जुड़ी हुई है.
यही वजह है कि तमाम राजनीतिक दलों के लिये संगम विहार लांच पैड की तरह इस्तेमाल होता आया है क्योंकि यहां बुनियादी मुद्दों की भरमार है तो वोटर्स की तादाद भी ज्यादा है. आम आदमी पार्टी ने भी संगम विहार से अपनी राजनीति की धमाकेदार शुरुआत की थी और उसके उम्मीदवार प्रकाश जरवाल ने कांग्रेस विधायक अरविंदर सिंह लवली को हराया था. हालांकि अब अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं. आम आदमी पार्टी सत्ता में है लेकिन संगम विहार के हालात जस के तस बने हुए हैं. संगम विहार तक पहुंचने के लिये आप पॉश सैनिक फॉर्म और अभिजात्य लोगों के बंगलों के सामने से गुजरते हुए बढ़ते हैं. इन फार्महाउस की कीमत 5 करोड़ से कम नहीं है. लेकिन जब आप संगम विहार पहुंचते हैं तो सड़कों पर खुले हुए गटर, सीवर का बहता हुआ पानी, संकरे रास्ते, बहते हुए नाले, मक्खी-मच्छरों की भरमार आपका स्वागत करती है. एमसीडी और दिल्ली सरकार की अनदेखी और उदासीनता का सबसे बड़ा गवाह है संगम विहार. एक एक बुनियादी जरुरतों का मोहताज है ये इलाका. लेकिन सबसे बड़ी यहां पानी की कमी कचोटती है. दिल्ली सरकार के 20 हजार लीटर फ्री पानी देने के बावजूद यहां के बाशिंदों को सप्ताह में एक बार पानी खरीदना पड़ता है.यहां के लोगों के लिये पानी फ्री नहीं है. सफाईकर्मी कभी यहां आते नहीं हैं. खासबात ये है कि यहां एक भी मोहल्ला क्लीनिक नहीं है. एमसीडी स्कूलों की हालत भी जर्जर और खस्ता है. संगम विहार की उपेक्षा के बावजूद राजनीतिक फायदा लेने वाली पार्टियां हमेशा यहां पर बाहर का उम्मीदवार थोपती आई हैं. यही वजह है कि यहां का एक भी उम्मीदवार न होने की वजह से इलाके की समस्याओं का कभी निपटारा नहीं हो सका और न ही कभी कोई विकास का काम हुआ. चुनाव जीतने के बाद यहां का विजेता नेता कभी मुड़कर नहीं देखता है. ये खुद कहना है कि संगम विहार में गली नंबर 13 में रहने वाली गृहणी जीवंती बिश्ट का. सवाल ये है कि आखिर कब संगम विहार की सूरत बदलेगी. आखिर कबतक बदहाली में रहने वाला ये इलाका राजनीतिक पार्टियों के लिये एक मोहरे की तरह इस्तेमाल होता रहेगा.
PHOTO : Debobrat Ghose
शाम 4 बजे तक एमसीडी चुनाव में 39 फीसदी मतदान हुआ.
दोपहर 2 बजे तक 31.13 प्रतिशत मतदान
दोपहर 2 बजे तक 31.13 प्रतिशत मतदान
'80 प्रतिशत से ज्यादा आप के उम्मीदवारों की जमानत होगी जब्त'- अशोक अग्रवाल, पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, आप
आम आदमी पार्टी के पूर्व कार्यकारिणी सदस्य अशोक अग्रवाल ने दावा किया है कि इस बार एमसीडी चुनाव में आप के 80 प्रतिशत से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत जब्त होगी.
फर्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा कि चुनाव में मतदान की धीमी रफ्तार से साफ है कि लोगों का आम आदमी पार्टी से भरोसा उठ चुका है. साढ़े 12 बजे तक दिल्ली में कुल 12 प्रतिशत ही मतदान हो सका है.
अग्रवाल का कहना है कि “ सिर्फ पारंपरिक वोटर्स ही वोट डालने घरों से बाहर निकले हैं. ये वोटर्स खासतौर से बीजेपी और कांग्रेस का वोट बेस हैं जबकि आम आदमी पार्टी के वोटर्स गैर पारंपरिक माने जाते हैं.
15:32 (IST)Himanshi Pant, Intern, PRAJA Foundation
खजूरी खास के वार्ड नंबर 64 में इन तस्वीरों के जरिये वहां के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है. खुले हुए सीवर, कूड़े का ढेर और सड़कों पर बेतरतीब फैली गंदगी दिल्ली की अलग कहानी बयां कर रही है.
Himanshi Pant, Intern, PRAJA Foundation
खजूरी खास के वार्ड नंबर 64 में इन तस्वीरों के जरिये वहां के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है. खुले हुए सीवर, कूड़े का ढेर और सड़कों पर बेतरतीब फैली गंदगी दिल्ली की अलग कहानी बयां कर रही है.
बीजेपी के नेता श्याम जाजू वसंत कुंज में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए
बीजेपी के नेता श्याम जाजू वसंत कुंज में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए
दिल्ली के शकूरपुर में कूड़े का ढेर. इलाके में कूड़ेदान नहीं होने के कारण लोग रोड़ पर ही कूड़ा डालते हैं जिसमें पॉलीथीन भी हैं.
(तस्वीर-पुनीत सैनी)
गर्मी की वजह से कई जगह बूथ खाली पड़े हुए हैं.
(तस्वीर - अंकिता विरमानी)
दिल्ली को लेकर कांग्रेस के दिल में क्या है ? माकन मजबूरी हैं या बलि का बकरा ?
एक वक्त था कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली में कांग्रेस का विकास का चेहरा हुआ करती थीं. शीला दीक्षित का ही जादू था कि तकरीबन डेढ़ दशक तक उन्होंने दिल्ली की कमान संभाली. यहां तक कि यूपी चुनाव के लिये भी उन्हें ही शुरुआत में चेहरा बनाया गया. लेकिन वक्त ऐसा बदला कि अपनी ही दिल्ली में बहादुर शाह ज़फर की तरह शीला दीक्षित खुद को बेगाना महसूस कर रही हैं. नए अध्यक्ष अजय माकन के शीला विरोध का ही नतीजा रहा कि दिल्ली के स्टार प्रचारकों में भी इस स्टार को जगह नहीं मिली. शीला समर्थकों के टिकट भी जमकर काटे गए.
अरविंदर सिंह लवली का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस आलाकमान के लिये बड़ा संदेश था. अरविंद सिंह लवली पार्टी के फैसलों में अपनी अनदेखी के चलते नाराज थे. जाहिर तौर पर उन्होंने अपनी व्यथा ऊपर तक पहुंचाने की कोशिश की होगी. लेकिन जब उन्हें भी आलाकमान से कोई जवाब नहीं मिला तब पार्टी छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने के अलावा दूसरा चारा भी नहीं था. अमित मलिक, अमरीश गौतम ने भी टिकट बंटवारे पर बगावत करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. तो संदीप दीक्षित, एके वालिया, परवेज हाशमी और हारून युसूफ जैसे कांग्रेस के बड़े नेताओं की नाराजगी भी जगजाहिर है.
यूपी चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद से कांग्रेस के नेताओं का पार्टी छोड़ कर बीजेपी में जाने का सिलसिला सा चल निकला है. पार्टी छोड़कर जाने वालों की शिकायत है कि माकन ने पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर कब्जा जमा लिया है. लेकिन तमाम आरोपों के बावजूद माकन बार बार दोहरा रहे हैं कि वो पार्टी में सबको साथ लेकर चल रहे हैं.
विडंबना ये है कि कांग्रेस अपनी पुरानी खोई जमीन हासिल करने के लिये उन इमारतों को खंडहर समझ रही है जो कभी उसकी पहचान हुआ करती थीं.
देशभर में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अपने फैसलों की वजह से दुर्गति हुई है. ऐसे में दिल्ली के दंगल में उसका दांव भी उल्टा पड़ सकता है. कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी शायद अंजाम तक खामोशी अख्तियार करने की रणनीति अपनाए हुए है. ताकि अगर एमसीडी चुनाव भी हाथ से निकल जाएं तो सारा ठीकरा अजय माकन पर फोड़ा जा सके. अगर किसी तरह ‘अच्छे दिन’ आ गए तो पंजाब का हवाला देते हुए ये कहा जा सके कि कांग्रेस वापसी की शुरुआत कर चुकी है.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन कांग्रेस आलाकमान की मजबूरी बेहद संजीदगी से समझते हैं. वो ये जानते हैं कि एमसीडी चुनाव में पिछले दस साल के इतिहास को देखते हुए कांग्रेस एक बार फिर राहुल को दांव पर नहीं लगाएगी. वो ये भी जानते हैं कि हाल के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस दिल्ली में कुछ नया वादा या दावा करने की हालत में नहीं है. साथ ही माकन ये भी जानते हैं कि उनके पास खोने को अब कुछ नहीं है और अगर जीत उनके हिस्से में आ गई तो वो दिल्ली में कांग्रेस के लिये तुरुप का इक्का बन जाएंगे. आलाकमान ने भी चुप्पी अपना कर एक तरह से उन्हें दिल्ली का स्वतंत्र प्रभार दे रखा है और पार्टी छोड़कर जाने वाले पुराने वफादारों को लेकर उनसे कोई सवाल नहीं हो रहा है.
एक तरफ माकन को लेकर कांग्रेस की मजबूरी साफ दिखाई दे रही है तो वहीं माकन का अतिउत्साह उनके भविष्य पर मंडराते सवालिया निशान की तरह नजर आ रहा है. लेकिन फिलहाल कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस हासिल करने की नहीं बल्कि बची खुची जमीन बचाने की कवायद में ज्यादा नजर आ रही है.
14:05 (IST)सुबह की तुलना में मतदान प्रतिशत में काफी गिरावट आ गई है. नार्थ दिल्ली में वोटिंग काफी धीमे रफ़्तार से हो रही है.
12:40 (IST)इस बार के एमसीडी चुनाव प्रचार में पुरुष उम्मीदवारों की तुलना में महिला उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह मिल रही है. महिला उम्मीदवार पुरुष उम्मीदवारों से ज्यादा भीड़ जुटाने में भी कामयाब दिखाई दे रही हैं.
इन चुनावों में कई ऐसी महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं, जिन्होंने पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा है और जिनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा है.
दिल्ली के तीनों नगर निगम मिलाकर 138 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. एक तरफ तो महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिल रहा है तो दूसरी तरफ कई राजनीतिक दलों ने अनारक्षित सीटों पर भी महिला उम्मीदवारों को उतार कर महिलाओं को पुरुष उम्मीदवारों पर प्राथमिकता दी है.
पूरा पढ़ें : एमसीडी चुनाव: सभी पार्टियों के लिए तुरूप का इक्का साबित होंगी महिला कैंडिडेट
12:38 (IST)इस बार के एमसीडी चुनाव प्रचार में पुरुष उम्मीदवारों की तुलना में महिला उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह मिल रही है. महिला उम्मीदवार पुरुष उम्मीदवारों से ज्यादा भीड़ जुटाने में भी कामयाब दिखाई दे रही हैं.
इन चुनावों में कई ऐसी महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं, जिन्होंने पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा है और जिनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा है.
दिल्ली के तीनों नगर निगम मिलाकर 138 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. एक तरफ तो महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिल रहा है तो दूसरी तरफ कई राजनीतिक दलों ने अनारक्षित सीटों पर भी महिला उम्मीदवारों को उतार कर महिलाओं को पुरुष उम्मीदवारों पर प्राथमिकता दी है.
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12:34 (IST)दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पूर्वी निजामुद्दीन में डीएवी स्कूल में वोट डाला.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ फ़र्स्टपोस्ट की एक्सक्लूसिव बातचीत
(वीडियो-दीक्षा उपाध्याय)
वोट डालने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह
11 बजे तक एमसीडी में मतदान का प्रतिशत
उत्तरी दिल्ली में 5 फीसदी
पूर्वी दिल्ली में 4 फीसदी
दक्षिणी दिल्ली में 4 फीसदी
11:52 (IST)वोट डालने के बाद दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा, हमें पिछले रिजल्ट से बेहतर परिणाम आएगा. दिल्ली की जनता समझदार है, भाजपा के काम ना करने के कारण लोगों में रोष है. सीएम केजरीवाल को लेकर उन्होंने जनता को धमकी देना गलत है , सीएम की जिम्मेदारी होती है वो अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं. पिछले साल डेंगू की समस्या पर केजरीवाल ने कुछ नहीं किया और जिम्मेदारी दूसरे पर डाल रहे हैं.
11:51 (IST)Report – Ravishankar Singh/Puneet Saini , Mangolpuri
मंगोलपुरी में पानी-बिजली के मुद्दे पर लोगों में भारी असंतोष है. राखी बिड़लान यहां से आम आदमी पार्टी की विधायक हैं. उन्हें पार्टी की जीत का पक्का भरोसा है. वहीं यहां के कई लोगों ने नोटा का बटन दबाया है. पहली बार एमसीडी के चुनाव में नोटा का इस्तेमाल हो रहा है.
11:51 (IST)मंदिर मार्ग में मौजूद बाल्मीकि मंदिर में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पूजा-अर्चना की.
मंदिर मार्ग में मौजूद बाल्मीकि मंदिर में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पूजा-अर्चना की.
लक्ष्मीनगर इलाके के किशनगंज वार्ड में वोटर शब्बीर अहमद की मोबाइल फोन अंदर ले जाने को लेकर पुलिस के साथ बहस हो गई. इनका आरोप है की पहले प्रचार नहीं किया गया. जानकारी नहीं दी गई.
(वीडियो: दीक्षा उपाध्याय)
10:58 (IST)दिल्ली के एमसीडी चुनाव में निर्दलीय और छोटी पार्टियां मिलकर बीजेपी, आप और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती हैं. तीनों नगर निगम मिलाकर लगभग 125 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दलों के मजबूत उम्मीदवारों ने बड़ी पार्टियों को मुश्किल में डाल दिया है.
एमसीडी चुनाव में मजबूत दलों पर निर्दलीय प्रत्याशी भारी पड़ रहे हैं. निगम की सत्ता पाने के दावेदार दलों में रार मचने से चुनाव बहुकोणीय बनता जा रहा है. निर्दलीय उम्मीदवारों के बड़ी संख्या में चुनाव लड़ने के कारण बड़ी पार्टियों को कई सीटों पर हार का भय भी सताने लगा है.
पूरा पढ़ें : एमसीडी चुनाव: बड़ी पार्टियों का सिरदर्द बने बागी और निर्दलीय
10:57 (IST)10:55 (IST)सुबह 10:30 बजे तक एमसीडी चुनाव में 1.16 प्रतिशत वोटिंग
दक्षिणी नगर निगम में 1.16 प्रतिशत वोटिंग
उत्तरी नगरनिगम में 1.47 प्रतिशत वोटिंग
पूर्वी नगर निगम में 0.78 प्रतिशत वोटिंग
इस बार का एमसीडी चुनाव एमसीडी के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा रोचक होने जा रहा है. दिल्ली की तीन प्रमुख पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस, और आप के अलावा स्वराज इंडिया पार्टी भी मैदान में ताल ठोंक कर खड़ी हैं. दिल्ली में नगर निगम का चुनाव साल 1958 से हो रहे हैं.
इससे पहले सभी दिल्ली एमसीडी चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही होता रहा है. जेडीयू जैसी कुछ क्षेत्रिय पार्टियां इस बार मुख्य दलों का खेल बिगाड़ने के लिए तैयार बैठी है.
दिल्ली में पिछले एक महीने का दौर राजनीतिक घटनाक्रमों और उथल-पुथल से लवरेज रहा है. 23 अप्रैल को इसका समापन होने जा रहा है. 26 अप्रैल को परिणाम आने वाले हैं. ऐसे में पिछला एक महीना दिल्ली के राजनीति के हिसाब से कैसा रहा हम आपको बताने जा रहे हैं, कौन सी पार्टी ने किन मुद्दों के साथ मैदान में है और किस पार्टी के नेता बागी हो कर उस पार्टी का खेल बिगाड़ रहे हैं.
कांग्रेस
एमसीडी चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली नगर निगम को वित्तीय रुप से आत्म निर्भर बनाने के लिए कई ठोस कार्ययोजना का एलान किया.
इस बार के एमसीडी चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने तीन घोषणापत्र जारी किया.
कांग्रेस पार्टी प्रतिवर्ष एमसीडी के राजस्व में 5 हजार 200 करोड़ रुपए अतिरिक्त राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है.
आउटडोर विज्ञापन स्थलों से हर साल 1000 करोड़ रुपए राजस्व कमाने की क्षमता है. लेकिन, एमसीडी सिर्फ 70-80 करोड़ रुपए ही कमा पाता है.
कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में टोल टैक्स से 1600 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा है. पार्किंग माफिया पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है.
कांग्रेस पार्टी दिल्ली के स्ट्रीट वेंडर्स को लाइसेंस जारी करेगी और उससे 600 करोड़ रुपए राजस्व उगाही करेगी.
दिल्ली में इस समय पांच लाख से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स हैं, जबकि एमसीडी के आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक सिर्फ 14 हजार वेंडर्स को ही लाइसेंस दिए गए हैं.
एमसीडी के पास काफी बेकार जमीन पड़ी है, जिस पर अक्सर अतिक्रमण हो जाता है. जमीन का अतिक्रमण होने के कारण एमसीडी को राजस्व नहीं के बराबर आता है.
कांग्रेस पार्टी इस बेकार जमीन को पीपीपी मॉडल पर विकास करेगी और दिल्ली को हर साल 1500 करोड़ रुपए का राजस्व दिलाएगी.
पूरे एमसीडी चुनाव में कांग्रेस अपने स्टार प्रचारकों के बगैर ही चुनाव प्रचार करती दिखी. कुछ नेताओं को छोड़ कर अधिकांश नेता चुनाव प्रचार करने से बचते रहे.
कांग्रेस के वे तमाम नेता चुनाव प्रचार से गायब हैं जो पूर्व के चुनावों में कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा हुआ करते थे. अरविंदर सिंह लवली, दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष बरखा सिंह, दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष अमित मलिक, अमरीश गौतम ने तो खुलेआम टिकट बंटवारे से नाराज हो कर बीजेपी का दामन थाम लिया.
ए के वालिया, हारुन युसूफ, परवेज हाशमी, संदीप दीक्षित, योगानंद शास्त्री और मंगतराम सिंधल जैसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो अजय माकन से नाराज हो कर चुनाव प्रचार से दूर हैं.
शीला दीक्षित ने भी ऐसे वक्त में पार्टी से किनारा कर लिया है जब पार्टी को उनकी सख्त जरूरत थी.
बीजेपी
बीजेपी ने अपने सभी वर्तमान पार्षदों का टिकट काट कर 272 नए प्रत्याशी मैदान में उतारे.
एमसीडी में अभी बीजेपी के 139 पार्षद हैं. पिछले 10 सालों से तीनों नगर नगर निगम में बीजेपी का कब्जा है.
दिल्ली बीजेपी ने 41 बिंदुओं वाला संकल्प पत्र जारी किया. दिल्ली नगर निगम के सभी सेवाओं को पूरी तरह से डिजिटल किया जाएगा, जिससे किसी भी आदमी को निगम के ऑफिस में आने की जरूरत न पड़े.
बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमति करने की बात की है. केंद्र सरकार से मिलकर एक साल के भीतर दिल्ली के सभी अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा.
सभी प्रकार के लाइसेंस सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए कम दस्तावेज के आधार पर उपलब्ध कराने को भी संकल्प पत्र में शामिल किया गया है.
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 10 रुपए में खाना और दिल्ली की जनता पर कोई कर नहीं लगाने का एलान किया है.
स्वराज इंडिया पार्टी
दिल्ली नगर निगम में पहली बार चुनाव लड़ रही स्वराज इंडिया पार्टी ने पर्यावरण को मुख्य मुद्दा बनाया है. पार्टी ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली की साफ-सफाई और कूड़े की समस्या से निजात दिलाने की भी बात की है. देश में यह पहला मौका है जब किसी राजनितिक पार्टी ने पर्यावरण को ही मुख्य मुद्दा बनाया है.
स्वराज इंडिया पार्टी ने अपने घोषणापत्र में देश में पहली बार पर्यावरण को मुख्य मुद्दा बनाया था. पार्टी ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली की साफ-सफाई और कूड़े की समस्या से निजाद दिलाने की भी बात की है.
आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी अपने घोषणापत्र में हाउस टैक्स को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया.
दिल्ली एमसीडी को भ्रष्टाचार मुक्त और दिल्ली में किराये पर रह रहे लोगों को भी सस्ती बिजली और पानी देने का वादा किया है.
सफाई कर्मचारियों को नियमित करने की बात की है.
कुछ अन्य जानकारियां
दिल्ली के एमसीडी चुनाव में निर्दलीय और छोटी पार्टियां मिलकर बीजेपी, आप और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है.
तीनों नगर निगम मिलाकर लगभग 125 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दलों के मजबूत उम्मीदवारों ने बड़ी पार्टियों को मुश्किल में डाल दिया है.
एमसीडी चुनाव में मजबूत दलों पर निर्दलीय प्रत्याशी भारी पड़ रहे हैं. निगम की सत्ता पाने के दावेदार दलों में रार मचने से चुनाव बहुकोणीय बन गया है
इस बार के एमसीडी चुनाव में लगभग 100 सीटों पर दस से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पूर्वी नगर निगम के करावल नगर वार्ड से सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार मैदान में हैं. कुछ ऐसे भी वार्ड हैं जहां पर पांच से कम उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है.
कांग्रेस के लगभग 50 बागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी और आप में बागियों की संख्या 50 के आस-पास देखी जा रही है.
2012 के दिल्ली एमसीडी चुनाव में निर्दलीय और अन्य दलों ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली जेडीयू भी लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
वाम दल, एनसीपी, एसपी, बीएसपी, इनेलो और शिवसेना जैसी पार्टियां भी चुनाव में भाग ले कर बड़े दलों के गणित बिगाड़ने का काम कर रही है.
एमसीडी चुनाव में कई सीट ऐसी है जहां पर बीजेपी, आप और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. पूर्वी नगर निगम के कृष्णा नगर में सिर्फ तीन पार्टियां ही मैदान में हैं. जबकि, आनंद विहार, मुस्तफावाद, नीरु विहार और त्रिलोकपुरी वेस्ट में चार-चार उम्मीदवार मैदान में हैं.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम क महावीर नगर और जनकपुरी दक्षिण सीट पर भी तीन बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला है. जबकि, जनकपुरी वेस्ट और ख्याला में चार-चार उम्मीदवार मैदान में हैं.
पूर्वी एमसीडी के करावल नगर वेस्ट सीट पर 23 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं.
दक्षिणी दिल्ली के अबुल फजल एंक्लेव पर 22 और जैतपुर सीट पर 18 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के विजय विहार सीट पर 21 सीट उम्मीदवार मैदान में हैं.
2012 एमसीडी चुनाव के नतीजे
उत्तर दिल्ली
कुल वार्ड- 104
बीजेपी- 59, कांग्रेस- 29, बीएसपी- 7, अन्य- 9
दक्षिणी दिल्ली दिल्ली
कुल वार्ड- 104
बीजेपी- 44, कांग्रेस- 29, बीएसपी- 5, अन्य- 26
पूर्वी दिल्ली
कुल वार्ड- 64
बीजेपी- 35, कांग्रेस- 19, बीएसपी- 3, अन्य- 7