view all

अरविंद केजरीवाल के हाथों में एमसीडी चुनाव की कमान

आप द्वारा बांटे गए 198 टिकटों पर भी दोबारा से विचार किए जा रहे हैं

Ravishankar Singh

दिल्ली नगर निगम चुनाव की कमान सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद संभाल ली है. हाल ही में हुए पंजाब और गोवा विधानसभा चुनावों में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने दिल्ली नगर निगम चुनाव को गंभीरता से लेने का फैसला किया है.

अरविंद केजरीवाल ईवीएम को मुद्दा बना कर बीजेपी पर लगातार हमला कर रहे हैं. गोवा और पंजाब में पार्टी की करारी हार के बाद एमसीडी चुनाव जीतना अरविंद केजरीवाल के लिए नाक का सवाल हो गया है. गोवा और पंजाब में पार्टी की करारी हार के बाद राजनीतिक विश्लेषक आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर सवाल खड़े करने लगे हैं.


आम आदमी पार्टी के लिए अब दिल्ली नगर निगम का चुनाव कितना महत्वपूर्ण बन गया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा रहा है कि आप द्वारा बांटे गए 198 टिकटों पर भी दोबारा से विचार किए जा रहे हैं. आप अपने बचे हुए 74 उम्मीदवारों की लिस्ट भी जल्द ही जारी करने वाली है.

100 से ज्यादा सभाएं करने जा रहे हैं अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी को अनुमान है कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है. आप का मानना है कि वह बीजेपी से सीधी लड़ाई में है.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल नगर निगम चुनाव में 100 से ज्यादा सभाएं करने जा रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव को लेकर एक खास रणनीति बनाई है, जिसमें वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों को जिम्मेदारी बांटी गई है.

कहा ये जा रहा है कि विधायकों और मंत्रियों को नगर निगम चुनाव में किए उनके परफॉर्मेंस के आधार पर ही अगले विधानसभा का टिकट मिलेगा.

हालांकि, पिछले साल दिल्ली नगर निगम के 13 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में आप और कांग्रेस को 5-5 सीट आई थीं. जबकि, बीजेपी को 3 सीट ही हासिल हो पाई थी.

कांग्रेस भी कर सकती है कमाल

राजनीतिक विश्लेषक दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी में लंबे समय तक जनाधार रखने वाली कांग्रेस पार्टी को भी कमजोर नहीं आंक रहे हैं. गोवा और पंजाब में आप की करारी हार के बाद एक और हार पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लगा सकता है.

शायद इस बात का एहसास अरविंद केजरीवाल को भी है. इसी को ध्यान में रख कर अरविंद केजरीवाल मीडिया में लगातार बने हुए हैं. मीडिया में अरविंद केजरीवाल का लगातार बना रहना पार्टी की एक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.