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काश योगी आदित्यनाथ पहले ही ताज को लेकर बेरुखी ना दिखाते!

यूपी सरकार की पर्यटन सूची से ताजमहल को बाहर करने का फैसला किसी अजूबे से कम नहीं था

Amitesh

मेरठ के सरधना से बीजेपी विधायक संगीत सोम ने तो बस उस चिंगारी को हवा भर दे दी जो पहले से ही सुलगाई जा रही थी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने खुद इस चिंगारी को सुलगाया था जब सरकार ने दुनिया के अजूबे में शामिल ताजमहल को पर्यटन स्थल की सूची से ही बाहर कर दिया था.

जब प्रदेश की अपनी ही पार्टी की सरकार इस कदर ताज को लेकर अपनी बेरूखी दिखाने पर उतारु है तो फिर विधायकों की क्या बिसात, उन्हें तो बस एक बहाना मिल गया. और वो भी तब जब विधायक संगीत सोम जैसे हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ाने वाले हैं तो फिर क्या कहना.


यूपी सरकार की पर्यटन सूची से ताजमहल को बाहर करने का फैसला किसी अजूबे से कम नहीं था. दुनिया के अजूबों में शुमार प्रेम के प्रतीक ताजमहल का दीदार करने देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं. भारत आने वाले हर शासनाध्यक्ष की भी ख्वाहिश होती है  एक बार बस ताज का दीदार हो जाए. लेकिन, उत्तर प्रदेश  की योगी सरकार ने ताज को इस लायक भी नहीं समझा कि उसे पर्यटन स्थल की सूची में शामिल किया जाए.

संगीत सोम के बयान से सरकार बैकफुट पर

अब जबकि संगीत सोम ने गुलामी का प्रतीक बताकर ताजमहल को भारतीय संस्कृति पर कलंक बता दिया तो इस पर बवाल शुरू हो गया. विरोध चौतरफा हुआ लेकिन, आजम खान से लेकर असद्दुदीन ओवैसी ने तो संगीत सोम के बयान के बहाने लालकिला से लेकर संसद भवन और राष्ट्रपति भवन पर भी सवाल खड़ा कर दिया.

आज भी प्रधानमंत्री मुगलकाल में बनाए गए लालकिले की प्राचीर से ही स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगा फहराते हैं. लेकिन, बीजेपी विधायक के बयान ने विरोधियों को सीधे बीजेपी और प्रधानमंत्री को निशाना बनाने का मौका दे दिया.

लेकिन, अब जबकि बीजेपी अपने ही विधायक के बयान से बैकफुट पर खडी है तो फिर सीधे प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को सफाई देनी पड़ रही है.

योगी की मंशा भी संदेह के घेरे में

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि  ‘इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसे किसने और किसके लिए बनाया. ताज महल को भारतीय मजदूरों ने खून-पसीना बहाकर बनाया है. यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है, खासतौर पर पर्यटन के लिहाज से. अब हमारी प्राथमिकता है कि हम वहां पर्यटकों को सुविधाएं और सुरक्षा दें.'

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से ताजमहल को लेकर आया बयान उस विवाद को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है जो संगीत सोम के बयान के बाद सामने आया है. लेकिन, सवाल है कि अगर योगी ताज को लेकर इतने ही संजीदा थे तो उनकी सरकार की तरफ से पर्यटन स्थल की सूची से ताज को बाहर क्यों कर दिया गया. अगर ऐसा ना होता तो शायद संगीत सोम जैसे बीजेपी के लोगों को ताज महल को लेकर इस तरह के बयान देने का मौका ही नहीं मिल पाता.

सवाल योगी की मंशा पर भी खड़े हो रहे हैं जो इस विवाद के बढ़ने पर सफाई देने सामने आ रहे हैं. अब योगी 26 अक्टूबर को ताजनगरी पहुंचेंगे तो शायद उस दिन भूल-सुधार की कोशिश करते दिखेंगे. लेकिन, मुगल बादशाह शाहजहां की तरफ से बेगम मुमताज महल की याद में बने ताजमहल के इतिहास को बदलकर उसे तेजोमहालय या शिव का मंदिर बताने वालों को भगवाधारी योगी का ताजमहल का दौरा रास नहीं आएगा.