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हरियाणाः CM ने चार विधायकों को संसदीय सचिव पद से हटाया

मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा की स्थिति में अंतर है. दोनों जगहों की नियुक्ति को एक तरह से नहीं देखा जाना चाहिए

FP Staff

हरियाणा ने राज्य के चार विधायकों को संसदीय सचिव पद से हटा दिया है. दिल्ली के 21 विधायकों की विधायकी इस बात पर रद्द कर दी गई थी कि वह संसदीय सचिव थे और इसे चुनाव आयोग ने लाभ का पद माना था. बाद में राष्ट्रपति ने भी इसपर अपनी मुहर लगा दी थी.

इसके बाद अन्य राज्यों में भी इस तरह के मामले सामने आने लगे. हरियाणा के वकील जे एस भट्टी ने इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर कर दिया. इसके बाद कोर्ट ने फैसला दिया कि यह कानूनी तौर पर सही नहीं है. फैसला आते ही सीएम मनोहर लाल खट्टर ने चारों विधायकों को पद से हटा दिया.


इसके बाद सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा की स्थिति में अंतर है. दोनों जगहों की नियुक्ति को एक तरह से नहीं देखा जाना चाहिए. हरियाणा में विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त करने का कानून बना हुआ है. लेकिन कोर्ट ने इसे गलत करार दिया है. इसके बाद हमने चार विधायकों को इससे पदमुक्त कर दिया है.'

दो राज्यो में एक जैसे मामलों में अलग कानून कैसे हो सकते हैं 

इस मामले को लेकर याचिका दायर करनेवाले जे एस भट्टी ने कहा कि 'मुख्य संसदीय सचिव का पद पूरी तरह असंवैधानिक है. हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया और इसपर अपना फैसला दिया है. दिल्ली और हरियाणा भारत के ही राज्य हैं, ऐसे में दोनों राज्यों में एक जैसे पद के लिए अलग से कानून कैसे हो सकते हैं.'

इसके साथ ही बीजेपी शासित राजस्थान में फिलहाल 10 संसदीय सचिव हैं. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगुआई में चल रही यहां की सरकार ने संसदीय सचिवों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया.

इतना ही नहीं, साल 2017 में राजस्थान असेंबली में बिल पास कर संसदीय सचिवों को संवैधानिक वैधता दी गई. बाद में मामले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जहां केस अभी पेंडिंग है.