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मंदसौर: कांग्रेस और बीजेपी के 'बिचौलियों' से त्रस्त है मृतकों का परिवार

किसानों का अंतिम संस्कार तो हो गया है किंतु गोलीकांड के कारण गरमाई राजनीति के चलते मृतकों के अन्य संस्कारों में गतिरोध बना हुआ है

Dinesh Gupta

मंदसौर में पुलिस फायरिंग की दहशत को हर गांव में महसूस किया जा सकता है. पिपल्या मंडी की घटना में पुलिस की गोली से छह किसान मरे थे. ये किसान अलग-अलग गांव के थे.

किसानों का अंतिम संस्कार तो हो गया है लेकिन गोलीकांड के कारण गरमाई राजनीति के चलते मृतकों के अन्य संस्कारों में गतिरोध बना हुआ है. मृतकों के परिजनों को कभी भाजपा के नेताओं से मिलाया जा रहा है तो कहीं कांग्रेस के नेताओं से भेंट कराई जा रही है.


मृतकों के परिजनों को नेताओं से मिलाने में दो व्यक्तियों की अहम भूमिका है. एक हैं गुणवंत पाटीदार और दूसरे हैं प्रफुल्ल पाटीदार. दोनों रिश्ते में सगे भाई हैं. गुणवंत पाटीदार जिला पंचायत मंदसौर के उपाध्यक्ष हैं. भोपाल में शांति बहाली के लिए उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मृतकों के परिजनों की मुलाकात गुणवंत पाटीदार ने ही कराई थी.

जबकि उनके भाई प्रफुल्ल पटेल ने पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के माध्यम से मृतकों के परिजनों की मुलाकात कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से कराई थी. गुणवंत के बारे में बताया गया है कि उन पर डोडा चूरा की तस्करी के आरोप हैं. इन्हीं आरोपों के कारण उन्हें हर माह के पहले रविवार को मंदसौर जिले के यशोधर्मन नगर थाने में हाजिरी देनी पड़ती है.

किसान आंदोलन में साजिश के तार

गुणवंत के भाई प्रफुल्ल पटेल, किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में शामिल थे. प्रफुल्ल पटेल पर आरोप है कि भीड़ ने बूढ़ा की पुलिस चौकी में आग उनके उकसावे पर ही लगाई थी. मंदसौर के भाजपा विधायक यशपाल सिसोदिया स्वीकार करते हैं कि प्रफुल्ल ने राहुल गांधी से और गुणवंत ने मुख्यमंत्री से मृतकों के परिजनों की मुलाकात कराई थी.

यशपाल सिसोदिया राजनीति में आने से पहले पत्रकार थे. वे गुणवंत के संबंध तस्करों से होने की जानकारी से इंकार करते हैं.

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि एक मृतक पर तस्करी के चार मामले थे

पुलिस फायरिंग के बाद से ही सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि उपद्रव में ड्रग माफिया का हाथ है. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिश ने सार्वजनिक रूप से एक बयान भी इस बारे में दिया था.

गोलीकांड की न्यायिक जांच की घोषणा घटना के दिन ही हो गई थी. घोषणा के पांच दिन बाद भी सरकार ने जांच आयोग का गठन कर दिया है. घटना की जांच स्थानीय पुलिस कर रही है. विभिन्न वीडियो क्लीपिंग को जब्त कर पुलिस ने उपद्रवियों की पहचान शुरू कर धरपकड़ तेज कर दी है.

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मंदसौर के नए एसपी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि घटना में मारे गए दो मृतक कन्हैया लाल पाटीदार और घनश्याम धाकड़ पर पुलिस थानों में मामले दर्ज हैं. कन्हैया लाल के खिलाफ तस्करी के चार मामले दर्ज हैं. मंदसौर के विधायक यशपाल सिसोदिया अपनी जानकारी के आधार पर कहते हैं कि तीन मामलों में वह बरी हो गया था, वे कहते हैं, 'शायद एक मामला अदालत में चल रहा था.'

एक अन्य मृतक धाकड़ पर दलौदा में रेल की पटरी उखाड़ने का आरोप था. क्या सरकार इन मृतकों को भी एक-एक करोड़ रूपए का मुआवजा देगी, इस सवाल पर मंदसौर से लेकर भोपाल तक मंत्री अधिकारी सभी चुप्पी साध लेते हैं.

जगदीश पाटीदार ने कहा मेरे भाई कन्हैया के पास सात बीघा जमीन

पुलिस फायरिंग में मारे गए कन्हैया लाल के परिजनों को मुख्यमंत्री द्वारा घोषित एक करोड़ रूपए की मुआवजा राशि अब तक नहीं मिली है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उन्होंने यह बात भोपाल में बताई थी.

जगदीश पाटीदार ने फ़र्स्टपोस्ट से फोन पर बातचीत में बताया कि अब तक कोई भी अधिकारी अथवा मीडिया का व्यक्ति हमसे बात करने के लिए नहीं आया है. पाटीदार कहते हैं कि उनका भाई सात बीघा जमीन का मालिक था. वह खेती-किसानी करता था. वह अपने आपराधिक मामलों में सजा पहले ही काट चुका था.

जगदीश पाटीदार ने बताया कि घर की महिलाओं का तो रो-रोकर बुरा हाल है. कन्हैया लाल की अंत्येष्टि तो दूसरे दिन ही हो गई थी. अस्थि विसर्जन आदि के संस्कार अभी नहीं हुए हैं. नेताओं का लगातार आना-जाना लगा हुआ है. अन्य मृतकों के यहां भी ऐसी स्थिति है. एक नेता मिलकर जाता है, दूसरा आ जाता है.

राहुल गांधी आए तो प्रफुल्ल पाटीदार और घनश्याम पाटीदार मेरे भांजे को मिलाने ले गए. जगदीश पाटीदार ग्राम चिलदौल पिपल्या में रहते हैं.

बड़वन गांव के तीन किसान अभी भी लापता

दलौदा में रेल की पटरी उखाड़ने के आरोपी घनश्याम धाकड़ की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है. मुख्यमंत्री से मुलाकात में मृतकों के परिजनों ने पिपल्या मंडी के थाना प्रभारी पर माहौल बिगाड़ने का आरोप भी लगाया था. सरकार ने पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर का तबादला तो कर दिया, लेकिन थाना प्रभारी को नहीं हटाया है.

घनश्याम धाकड़ ग्राम बड़वन की निवासी था. इस गांव के तीन किसान अभी भी लापता हैं. इनमें एक एक ग्राम लसूड़ावन का है. इनके बारे में पुलिस कोई जानकारी भी नहीं दे पा रही है. बूढ़े पिता की बेबसी शब्दों का रूप नहीं ले पा रही है और पत्नी की आंखें भी पथरा गई हैं.

आंदोलन के दौरान ग्राम बड़वन के कुल सात किसान लापता हो गए थे. पर पुलिस ने 5 लोगों के जेल में होने की जानकारी परिजनों को दी है. किसान आंदोलन के बाद अब कई किसान राजनीति में पिस रहे हैं. सबसे ज्यादा वे प्रताड़ित हो रहे हैं जो दूर खड़े होकर देख रहे थे या वहां से गुजर रहे थे. क्योंकि हुड़दंग मचाने वाले तो मौके से गायब हो गए थे.

किंतु, कई किसान पुलिस के डंडे की चपेट में आ गए और कुछ जेल भी पहुंच गए है. जो किसान लापता है वे सभी घनश्याम धाकड़ के साथ थे. ये ग्राम बड़वन के गणेश मालवीय, शिवनारायण पिता बालूराम मालवीय और ग्राम लसूड़ावन के गोपाल धनगर हैं. एसपी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जिन 11 लापता लोगों की सूची ग्रामीणों ने पुलिस को सौंपी थी उन सभी की जानकारी परिजनों को दे दी है कि कौन, कहां पर है.