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NRC में नाम नहीं तो जरूरी नहीं सभी घुसपैठिए हैं: ममता बनर्जी

ममता ने कहा कि बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल सिर्फ बॉर्डर ही साझा नहीं करते बल्कि हमारी संस्कृति और भाषा भी साझा करते हैं

FP Staff

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार क्यों सिर्फ बांग्लादेश से आए लोगों पर कार्रवाई कर रही है. उनका कहना है कि भारत में लगभग उतनी ही आबादी नेपाली लोगों की भी रहती है. ममता ने कहा 'बंटवारे के बाद कई लोग पाकिस्तान से भी आए थे, नेपाल भी पड़ोसी है. हमें यह याद रखना चाहिए. बॉर्डर राज्यों का मुद्दा नहीं है लेकिन केंद्रों का है.' उन्होंने कहा 'इसलिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र का काम है.'

दरअसल असम का एनआरसी मुद्दा विपक्ष के लिए एक अहम मुद्दा बन गया है. पिछले तीन दिनों में कांग्रेस और बंगाल की तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में उठा रहे हैं. साथ ही ममता बनर्जी ने बुधवार को कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात भी की. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी से भी मुलाकात की.


40 लाख लोग घुसपैठिए नहीं हैं

विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों के बहाने से मुस्लिमों पर निशाना साथ रही है. साथ ही उनका मानना है कि यह कदम पड़ोसी देशों से भारत के संबंधों पर बुरा असर डाल सकता है. उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को जारी एनआरसी के अंतिम मसौदा में जिन 40 लाख लोगों के नाम उपलब्ध नहीं हैं. उनमें सिर्फ एक प्रतिशत ही घुसपैठिए हो सकते हैं. लेकिन बीजेपी इसे ऐसे पेश कर रही है मानो सभी घुसपैठिए हों.

एनडीटीवी के मुताबिक ममता ने कहा कि बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल सिर्फ बॉर्डर ही साझा नहीं करते बल्कि हमारी संस्कृति और भाषा भी साझा करते हैं. उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया था कि लोगों को बांटने के राजनीतिक मकसद से असम में एनआरसी कवायद की गई और उन्होंने चेताया कि इससे खूनखराबा होगा और देश में गृह युद्ध छिड़ जाएगा.