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महागठबंधन मजबूरी और समझौतों का खेल है: नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा कि जब एक पार्टी को समझ आ जाता है कि वह अकेले किसी को नहीं हरा सकती तब वो गठबंधन करती है. कोई भी गठबंधन में खुशी से नहीं आता, सब मजबूरी में आते हैं

FP Staff

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीजेपी को चुनौती देने के लिए बन रहे विपक्षी दलों के महागठबंधन को मजबूरी में बन रहा गठबंधन करार दिया है. उन्होंने कहा कि गठबंधन से जुड़ना समझौतों, मजबूरियों और सीमाओं का एक खेल है. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए गडकरी ने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी ने उनलोगों को गले मिलने पर मजबूर कर दिया है जो कभी एक दूसरे को देखना तक नहीं चाहते थे.

नितिन गडकरी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़ने के बाद बिहार में महागठबंधन में शामिल हो गए हैं. इसमें कांग्रेस, आरजेडी समेत अन्य दल भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि जब एक पार्टी को समझ आ जाता है कि वह अकेले किसी पार्टी को नहीं हरा सकती तब वो गठबंधन करती है. कोई भी गठबंधन में खुशी से नहीं आता, सब मजबूरी में आते हैं.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीजेपी और मोदी जी की ताकत व्यापक है, इसलिए विपक्ष गठबंधन के बारे में सोच रहा है. जो लोग पहले एक-दूसरे से बचते थे अब वे लोग एक-दूसरे को गले लगा रहे हैं. उनकी दोस्ती के पीछे का कारण हमारी शक्ति है. हम अपनी ताकत के आधार पर उनसे आगे हैं.

बीजेपी नेताओं को मीडिया में कम बोलने की सलाह देने के अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए गडकरी ने कहा कि पार्टी में प्रवक्ता होते हैं जो आधिकारिक तौर पर बोलते हैं. लेकिन कुछ लोग हैं, वे जब भी मीडिया में बोलते हैं तो विवाद पैदा हो जाता है. इससे पार्टी की छवि खराब होती है. किसी को ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे विवाद पैदा हो.