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किसान आंदोलन: राहुल की सभा में नहीं जुट रहे किसान, शिवराज की ये रणनीति है वजह?

मंदसौर में शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों से की गई मार्मिक अपील के कारण पूरे आंदोलन में कांग्रेस अलग-थलग पड़ती नजर आ रही है

Dinesh Gupta

किसान आंदोलन के जरिए मध्यप्रदेश में कांग्रेस की वापसी की संभावना तलाश रहे राहुल गांधी की सभा में भीड़ जुटाना राज्य के नेताओं के लिए चुनौती भरा काम हो गया है. यह स्थिति किसान संगठनों की रणनीति में बदलाव के कारण बन रही है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ का आरोप है कि सरकार आमसभा को असफल करना चाहती है. 6 जून को राहुल गांधी की सभा के कारण किसान संगठनों ने अपने कार्यक्रम में बदलाव किया है. किसान आंदोलन के तहत अगले तीन दिन मंदसौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधियों का जमावड़ा लगने वाला है. यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और प्रवीण तोगडिया एक साथ किसानों के मंच पर होंगे.

मंदसौर में पता चलेगा किसानों का मूड


पिछले साल मंदसौर में हुए किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि किसान हितैषी मुख्यमंत्री की रही है. पुलिस फायरिंग की घटना ने उनकी किसान हितैषी छवि को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है. मुख्य विपक्षी दल कांंग्रेस मंदसैार फायरिंग की घटना के बाद लगातार किसानों की समस्या को चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश में लगा हुआ है.

राज्य में साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. कांंग्रेस पिछले 15 सालों से सत्ता से बाहर है. इस बार कांग्रेस किसानों को मुद्दा बनाकर सत्ता में वापसी का प्रयास कर रही है. मंदसौर में पुलिस फायरिंग का एक साल पूरा होने के मौके का उपयोग इसके लिए किया जा रहा है. एक जून से किसानों का 10 दिन का आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन के दौरान ही मंदसौर में कांग्रेस की सभा रखी गई है. 6 जून को राहुल गांधी की सभा है. पहले किसान संगठनों ने 6 जून को शहादत दिवस मनाने की घोषणा की थी. राहुल गांधी का कार्यक्रम इस घोषणा के बाद बना.

अब किसान संगठन आठ जून को धिक्कार दिवस के दिन मृत किसानों को श्रद्धांजलि देंगे. राहुल गांधी की सभा मंदसौर शहर से आठ किलोमीटर दूर पिपलिया मंडी में रखी गई है. मृत किसानों के परिजनों को सभा में लाने की कांग्रेस की कोशिश अब तक सफल नहीं हो सकी है. कांग्रेस ने मृतकों के परिजनों से राहुल गांधी की मुलाकात कराने का कार्यक्रम जरूर तय किया है. कार्यक्रम को किसान सम्मान सभा का नाम दिया गया है. पिछले साल आंदोलन के दौरान हुई फायरिंग के कारण प्रशासन काफी सर्तकता बरत रहा है. किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में पूरी तरह से शांति है. मंडी में आवक पर असर जरूर पड़ा है. किसान अपना ज्यादा समय गांव की चौपाल में ही गुजार रहे हैं. चौपाल पर चर्चा किसानों की स्थिति पर ही हो रही है. गुराम सूठोंद के किसान राहुल गांधी को सुनने की इच्छा रखते हैं. किसान आंदोलन शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदसौर गए थे. वहां उन्होंने एक सभा को भी संबोधित किया था. मुख्यमंत्री ने अपनी इस यात्रा में मृत किसानों के परिजनों से मुलाकात नहीं की, अब कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है.

मुख्यमंत्री की रणनीति के कारण अलग-थलग पड़ी कांग्रेस

मंदसौर में शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों से की गई मार्मिक अपील के कारण पूरे आंदोलन में कांग्रेस अलग-थलग पड़ती नजर आ रही है. मुख्यमंत्री ने किसानों से कहा था कि मेरे शांति के टापू को बचा लो, कांग्रेस प्रदेश में अराजकता और खून-खराब फैलाना चाहती है. मुख्यमंत्री की इस अपील के बाद कांग्रेस के नेता किसान आंदोलन के पीछे अपना हाथ होने से इंकार कर रहे हैं.

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि राज्य में कुछ गलत होता है तो मुख्यमंत्री कांग्रेस पर आरोप लगाने लगते हैं. गोली शिवराज सिंह चौहान की पुलिस चलाती है. कमलनाथ ने कहा कि बांड तो शिवराज सिंह चौहान से भरवाना चाहिए, किसानों से नहीं. मंदसौर सहित पूरे प्रदेश में किसानों और कांग्रेस के नेताओं से बांड भरवाने की सरकार की रणनीति काफी हद तक सफल दिखाई दे रही है. किसान न तो प्रदर्शन कर रहे हैंं और न ही धरना दे रहे हैं. प्रशासन की रणनीति के कारण भारतीय राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है. महासंघ अपने आपको कांग्रेस से अलग दिखाना चाहता है. पहले महासंघ ने मंदसौर में जो छह जून को श्रद्धांजलि सभा तय की थी,उसे करने की मंजूरी प्रशासन ने नहीं दी. महांसघ आठ जून को मंदसौर में धिक्कार दिवस मना रहा है. पिछले साल आठ जून को पुलिस की पिटाई से किसानों की मौत हुई थी. घटना दलौदा थाने की थी. महासंघ ने अपना कार्यक्रम भी इसी थाना क्षेत्र में रखा है.

8 जून को मोदी विरोधियों का जमावड़ा

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ, राहुल गांधी और कांग्रेस से भले ही दूरी बनाने में सफल रहा है. लेकिन पूरे आंदोलन को बीजेपी विरोधी राजनीति से दूर नहीं कर पाया है. आठ जून के धिक्कार दिवस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा शामिल होंगे. शॉटगन के नाम से मशहूर बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने स्वीकार किया कि छह जून को प्रशासन ने कार्यक्रम करने की मंजूरी नहीं दी. शर्मा ने बताया कि आठ जून का कार्यक्रम कुछ नेताओं की सुविधा को ध्यान में रखकर तय किया गया है.

आठ जून के कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया भी मौजूद रहेंगे. यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और प्रवीण तोगडिया को प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोधी माना जाता है. किसान आंदोलन के जरिए ये नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना निशाना लगाना चाहते है. यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा इससे पहले भी मध्यप्रदेश के ही नरसिंहपुर के किसान आंदोलन में आए थे. यशवंत सिन्हा धरने पर भी बैठे थे. गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल भी 6 जून से मध्यप्रदेश में ही रहेंगे. पटेल, राहुल गांधी की सभा में हिस्सा नहीं लेंगे. 10 जून को किसान आंदोलन समाप्त हो जाने के बाद हार्दिक पटेल 11 जून को मंदसौर जाएंगे.

हार्दिक पटेल की एक सभा सात जून को जबलपुर के पनागर में तय की गई थी. प्रशासन ने इस सभा की मंजूरी नहीं दी है. प्रशासन के निर्णय के खिलाफ आयोजक हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं. सतना जिला प्रशासन ने भी हार्दिक पटेल को सभा करने की मंजूरी नहीं दी है. राज्य के पुलिस महानिदेशक ऋषिकुमार शुक्ला ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सभा की अनुमति न देने का फैसला जिला कलेक्टर द्वारा लिया गया है. उन्होंने कहा कि हार्दिक पटेल को राज्य का दौरा करने से नहीं रोका गया है.