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अब मध्य प्रदेश में दिखेगा राहुल गांधी का 'शिव भक्त' अवतार

मध्यप्रदेश के चुनाव में कांग्रेस पार्टी राम और गाय के बाद अब राहुल गांधी के शिव-भक्त अवतार से सत्ता में वापसी का मार्ग खोज रही है

Dinesh Gupta

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को भोपाल से मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव प्रचार के अभियान की शुरूआत करेंगे. मध्यप्रदेश के चुनाव प्रचार में राहुल गांधी को शिव भक्त के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है. गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी के हिंदू होने को लेकर काफी राजनीतिक बयानबाजी हुई थी. कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू बताया था. कर्नाटक के चुनाव में राहुल गांधी की मानसरोवर यात्रा का ऐलान हुआ था. मध्य प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस पार्टी राम और गाय के बाद अब राहुल गांधी के शिव-भक्त अवतार से सत्ता में वापसी का मार्ग खोज रही है.

कांग्रेस के पोस्टर-बैनर में राहुल गांधी हैं शिव भक्त


कैलाश मानसरोवर की यात्रा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार भोपाल में पार्टी के कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करेंगे. राज्य में दो माह बाद विधानसभा के आम चुनाव के लिए मतदान होगा. चुनाव के लिहाज से राहुल गांधी के कार्यकर्त्ताओं से संवाद के इस कार्यक्रम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कार्यकर्त्ता सम्मेलन से पहले भोपाल की सड़कों पर राहुल गांधी का लंबा रोड शो भी रखा गया है. कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं की ओर से भोपाल की सड़कों पर स्वागत के लिए जो बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं उनमें राहुल गांधी को शिव-भक्त कहा गया है.

भोपाल का राजनीतिक मिजाज धर्म के आधार पर वोट डालने का रहा है. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस आखिरी बार भोपाल संसदीय सीट पर जीती थी. भोपाल जिले की छह विधानसभा सीटों में से केवल एक सीट ही कांग्रेस पार्टी के पास वर्तमान में है. यह सीट मुस्लिम बाहुल्य उत्तर भोपाल की सीट है. कांग्रेस की राजनीति में अल्पसंख्यक राजनीति का दबदबा देखा जाता रहा है. कांग्रेस को चुनाव में नुकसान भी अल्पसंख्यक प्रेम के कारण ही उठाना पड़ता है.

इस बार होने वाले विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी उन मुद्दों पर ज्यादा फोकस करती नजर आ रही है, जो कि भारतीय जनता पार्टी की बड़ी ताकत माने जाते हैं. इनमें राम मंदिर और गो संरक्षण का मुद्दा भी शामिल है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ राम और गाय को अपनाने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं. कांग्रेस की सरकार बनने पर राज्य के विंध्य क्षेत्र में राम वन गमन पथ के निर्माण कराए जाने का ऐलान कमलनाथ ने किया है. पंचायत स्तर पर गोशालाएं बनाने की घोषणा भी की गई है. अब राहुल गांधी के शिव भक्त अवतार ने भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस से हिंदुत्व पर बहस और सवाल करने का अवसर दे दिया है.

शिव-भक्त अवतार से क्या सवर्ण नाराजगी दूर होगी?

राहुल गांधी ऐसे समय में चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत करने आ रहे हैं जब राज्य में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सवर्ण वर्ग नाराज है और नेताओं को काले झंडे दिखाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा है. सवर्णों की इस नाराजगी के कारण शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य चुपचाप घरों में बैठे हुए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी जन आशीर्वाद यात्र में रथ के स्थान पर हेलीकॉप्टर का उपयोग करना शुरू कर दिया है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी लगातार करणी सेना के पदाधिकारियों से टकराव भी हो रहा है. दिग्विजय सिंह प्रदेश कांग्रेस की समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं. उनका आरोप है कि आंदोलन के पीछे बीजेपी के नेता हैं. दिग्विजय सिंह सपाक्स अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी के बीजेपी से चुनाव लड़ने की संभावना भी प्रकट कर चुके हैं. एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ 6 सितंबर को सवर्णों का भारत बंद मध्यप्रदेश में पूरी तरह सफल रहा था. जबकि पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लकर कांग्रेस द्वारा बुलाए गए बंद का असर कम देखा गया था.

राहुल गांधी के रोड शो के दौरान भी करणी सेना के लोग काले झंडे दिखाने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि पुलिस ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए हैं. राहुल के शिव-भक्त अवतार को सवर्णों की नाराजगी से भी जोड़कर देखा जा रहा है. कांग्रेस की कोशिश है कि चर्चा एट्रोसिटी एक्ट पर होने के बजाए राहुल गांधी के नए अवतार पर केंद्रित रहे. जैसे कि गुजरात चुनाव में सोमनाथ मंदिर के दर्शन के बाद हुई थी. सोमनाथ मंदिर के दर्शनार्थी रजिस्ट्रर में राहुल गांधी का धर्म नहीं लिखा था. बीजेपी द्वारा उनके धर्म पर सवाल खड़े किए जाने के बाद कांग्रेस ने राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू बताया था. कर्नाटक चुनाव के ठीक पहले अप्रैल माह में राहुल गांधी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने का एलान किया था. राहुल गांधी चीन के रास्ते मानसरोवर की यात्रा कर आए हैं.

राहुल गांधी के सामने होगा कांग्रेस के नेताओं का शक्ति प्रदर्शन

कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर किसी नेता के चेहरे को आगे नहीं किया है. राज्य कांग्रेस की कमान संभाल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ मुख्यमंत्री पद का स्वभाविक चेहरा माने जा रहे हैं. उन्होंने छिंदवाड़ा के विकास मॉडल के आधार पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. राज्य में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सबसे मजबूत दावेदार माना जाता है. कांग्रेस के अंदर अभी भी चेहरे को लेकर खींचतान लगातार चल रही है. सिंधिया को चेहरा घोषित करने की मांग अभी भी विभिन्न मंचों पर सुनाई दे जाती है.

राहुल गांधी की सभा में ज्यादा से ज्याद समर्थक जुटाने की कोशिश कांग्रेस के सभी बड़े नेता कर रहे हैं. टिकट के दावेदारों को भी कार्यकर्त्ता लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं. सिंधिया अकेले ही राज्य में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. कमलनाथ ने अपने साथ प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को जोड़ रखा है. सिंधिया और कमलनाथ अपने-अपने समर्थकों द्वारा आयोजित रैलियों में ही हिस्सा ले रहे हैं. जिला कांग्रेस कमेटी भी नेताओं के बीच बंटी हुईं हैं.