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मध्यप्रदेश: कांग्रेस के नेताओं के बीच लगी है चुनावी वादे और घोषणाएं करने की होड़

कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र आने से पहले ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जनता से लुभावने वादे कर रहे हैं जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया सोशल मीडिया के जरिए शिवराज सरकार को घेर रहे हैं

Dinesh Gupta

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश के किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया है. इसका लाभ उठाकर कांग्रेस के बड़े नेता जनता के सामने चुनावी वादों की बौछार लगा कर अपने आपको मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने में लग गए हैं.

कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र आने से पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जनता से लुभावने वादे कर रहे हैं. जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सोशल मीडिया के जरिए राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार को घेरने में आगे चल रहे हैं.


चुनावी घोषणा पत्र नहीं वचन पत्र जारी करेगी कांग्रेस

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस घोषणा पत्र के स्थान पर वचन पत्र जारी करेगी. कमलनाथ कहते हैं कि हम सरकार में आने पर जनता के लिए जो बेहतर कर सकते हैं,उनका वचन दिया जाएगा. कमलनाथ ने कहा कि वादे तो कई किए जा सकते हैं, लेकिन हमारा यकीन करने में है. इस कारण चुनाव घोषणा पत्र को वचन पत्र का नाम दिया गया है.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य में कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है. समिति के संयोजक पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहाटा हैं. समिति में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन भी हैं.

चुनाव घोषणा पत्र समिति ने अभी मुद्दों को अंतिम रूप नहीं दिया है. लेकिन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने उन मुद्दों को सार्वजनिक कर दिया है, जिन्हें लेकर वह चुनाव मैदान में जा रही है. चुनाव की विधिवत घोषणा के पहले ही कमलनाथ ने घोषणा की है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आने पर पेट्रोल प्रति लीटर पांच रुपए और डीजल तीन रुपए प्रति लीटर तक सस्ता किया जाएगा. कमलनाथ ने कहा कि इसके लिए वैट की दरों में कमी लाई जाएगी.

व्यापमं राज्य का सबसे चर्चित परीक्षा घोटाला रहा है. कमलनाथ ने व्यापमं की परीक्षाओं में जमा हुई फीस परीक्षार्थियों को वापस करने का एलान भी किया है. व्यापमं ने कई विभागों के लिए रिक्तियों का विज्ञापन करने के बाद भी परीक्षा आयोजित नहीं की थीं. परीक्षा की फीस भी व्यापमं ने नहीं लौटाई.

कांग्रेस का नारा-कर्ज माफ बिजली हाफ और बीजेपी साफ

किसी दौर में मध्यप्रदेश कांग्रेस का मजबूत राज्य माना जाता था. पिछले पंद्रह साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है. विधानसभा के आम चुनाव के लिए सौ दिन से भी कम का समय बचा हुआ है. कांग्रेस अब तक कोई ऐसा मुद्दा तलाश नहीं कर पाई जिसके सहारे वह पंद्रह साल का अपना वनवास समाप्त कर सके.

जनता की जुवां पर चढ़ने वाला एक नारा भी पार्टी नहीं दे पाई है. अब तक जो नारे कांग्रेस ने दिए हैं, उनमें प्रमुख है 'विकास की डोर, मध्यप्रदेश की ओर.' यह नारा ज्यादा चल नहीं रहा है. अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का नया नारा है 'कर्जा माफ, बिजली हाफ और बीजेपी साफ.' किसानों के कर्ज माफी की घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो माह पूर्व मंदसौर में की थी. कमलनाथ ने इसमें बिजली को और जोड़ दिया है.

राज्य में महंगी बिजली के मुद्दे की हवा निकालने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक किलोवाट के बिजली कनेक्शन पर दो सौ रुपए प्रतिमाह के फिक्स चार्ज पर अनलिमिटेड बिजली की योजना शुरू की है. बिजली हाफ के नारे के जरिए कमलनाथ प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को सौ रुपए प्रतिमाह के फिक्स चार्ज पर अनलिमिटेड बिजली देने का वादा कर रहे हैं. एक किलो वाट से अधिक भार का उपयोग करने वाले कंज्यूमर्स के लिए भी बिजली की दरें आधी करने का वचन दिया जा रहा है.

दिग्विजय का वादा-बेरोजगारों को चार हजार रुपए प्रतिमाह का बेरोजगारी भत्ता

कांग्रेस को लग रहा है कि किसान के अलावा बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा उसके लिए संजीवनी बन सकता है. युवाओं को लुभाने के लिए कांग्रेस बेरोजगारी भत्ता देने का बड़ा दांव खेल रही है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने कार्यक्रमों में कह रहे हैं कि राज्य में यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो रोजगार न दे पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा.

दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ में कहा कि बेरोजगारों को हर माह चार हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिग्विजय सिंह को राज्य में गुटबाजी को समाप्त करने के लिए कांग्रेस के नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी है.

दिग्विजय सिंह जमीनी स्तर पर कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं के बीच समन्वय बनाने के लिए लगातार विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह जहां भी जा रहे हैं वहां टिकट के दावेदार समन्वय बैठक में ही एक-दूसरे से भिड रहे हैं. दिग्विजय सिंह अपने कार्यक्रमों में यह भी एलान कर रहे हैं कि किसानों ने डिफाल्टर होने के डर से यदि बैंक के कर्ज की किश्त जमा भी कर दी है तो कांग्रेस की सरकार उसे भी किसानों को वापस लौटा देगी.

सोशल मीडिया के जरिए शिवराज सरकार को घेरने में लगे हैं सिंधिया

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदसौर की किसान सभा में सिर्फ दो नामों पर अपना भरोसा जताया था. कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया. कांग्रेस के महासचिव और मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया भी कह रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर कमलनाथ या सिंधिया में से कोई मुख्यमंत्री होगा.

राज्य में मुख्यमंत्री पद के और भी दावेदार हैं. इनमें प्रमुख हैं प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी. सुरेश पचौरी को पार्टी ने चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार करने का काम दिया है. पचौरी,कमलनाथ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने अपने आपको बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की 61 विधानसभा सीटों तक सीमित कर रखा है. अजय सिंह ने छह चरणों की अपनी यात्रा में इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं कर ली हैं. दूसरी और ज्योतिरादित्य सिंधिया लगभग एक दर्जन जिलों का दौरा कर रैलियां कर चुके हैं.

सिंधिया को पार्टी ने प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. सिंधिया सोशल मीडिया के जरिए लगातार सरकार पर हमले बोल रहे हैं. 'शिवराज हटाओ,एमपी बचाओ' और शिवराज बेनकाब के हैश टैग के साथ विकास पर सवाल खड़े कर रहे हैं. राज्य की मैदानी राजनीति में सिंधिया की प्रभावी उपस्थिति का अभी भी इंतजार किया जा रहा है.