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सीएम के पैतृक गांव में 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे: सुरजेवाला

चौहान सरकार आदिवासियों के विकास के बजट पर भी कुठाराघात कर रही है. मध्यप्रदेश में 21 प्रतिशत आदिवासी हैं, जिसमें उनके बजट की हिस्सेदारी को 21 प्रतिशत से घटाकर वित्तीय वर्ष 2016-17 में मात्र 14 प्रतिशत कर दिया गया

Bhasha

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को दावा किया कि मध्य प्रदेश सरकार के ‘समग्र पोर्टल’ के रिकॉर्ड के अनुसार ‘मामा’ नाम से लोकप्रिय प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पैतृक गांव जैत में 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं.

इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-2017 के मुताबिक 2006 से 2016 तक मध्य प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में 27 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.


सुरजेवाला ने कहा, ‘शिवराज सिंह चौहान ने षड्यंत्र कर सबसे पहले ‘मामा’ के नाम का मुखौटा लगाया. फिर खुद को ‘किसान पुत्र’ बताया. फिर बने घोषणावीर. फिर आदिवासियों के भाई और टैक्स के सैकड़ों करोड़ खर्च कर कोरी प्रसिद्धि कमाई. लेकिन मामा ने जिस-जिस नाम से प्रसिद्धि कमाई, उन्हीं को धोखा दिया और उनकी लुटिया डुबाई.’

उन्होंने कहा, ‘मामा आए दिन ‘स्वर्णिम से समृद्ध’ मध्यप्रदेश का झूठा ढोल पीट रहे हैं. जानिए, करोड़पति मामा के दीए तले कितनी गरीबी का अंधेरा फैला है. करोड़पति मामा जिस जैत गांव (बुधनी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत) से आते हैं, वहीं गांव के 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रह रहे हैं.’

सुरजेवाला ने कहा, ‘यह मैं नहीं कह रहा हूं. यह मध्यप्रदेश के ‘समग्र पोर्टल’ पर बताया गया है कि जैत गांव में कुल 327 परिवार हैं, जिनमें से 258 परिवार बीपीएल नीला कार्डधारी व 36 परिवार अंत्योदय अर्थात पीला बीपीएल कार्डधारी हैं. कुल मिलाकर जैत गांव में 327 परिवारों में से 294 परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं.’

उन्होंने कहा कि यहां तक कि मामा की बुधनी विधानसभा का ‘बकतरा सेक्टर’, जिसमें जैत गांव भी आता है, की 32 में से 31 आंगनवाड़ियों में अभी भी बिजली नहीं है एवं 17 आंगनवाड़ियों में खाना पकाने के बर्तन नहीं हैं. यदि मामा के गांव व विधानसभा में ही बदहाली का यह आलम है, तो कल्पना कीजिए कि राज्य की स्थिति क्या होगी?

क्या कहती है आरबीआई की स्टैटिकल हैंडबुक-2017 की रिपोर्ट?

कांग्रेस पार्टी की 28 नवंबर को होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘15 साल से चल रही ऐसी बीजेपी सरकार को एक सेकेन्ड सत्ता में रहने की आवश्यकता नहीं है.’ सुरजेवाला ने बताया कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) की स्टैटिकल हैंडबुक-2017 की रिपोर्ट कहती है कि मध्य प्रदेश में 2.34 करोड़ लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, जो प्रदेश की जनसंख्या का एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत है.

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ पर निशाना साधते हुए सुरजेवाला ने कहा, ‘चौहान ने ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ के माध्यम से बेटियों का मामा बन खूब ढोल पीटा. यह कहा कि हर बेटी, जो 12वीं कक्षा में जाएगी व 18 वर्ष की आयु तक शादी नहीं करेगी, उसे 1,18,000 रूपए का नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) मिलेगा. मगर उनकी निगाह लाडलियों की एनएससी में जमा लक्ष्मी पर पड़ गयी. उन्होंने (चौहान ने) 24 दिसंबर 2014 को अपनी कैबिनेट में यह षड्यंत्र किया कि अब एनएससी सर्टिफिकेट की बजाय ‘कागजी प्रमाण पत्र’ जारी किया जायेगा.’

उन्होंने आरोप लगाया कि चौहान सरकार आदिवासियों के विकास के बजट पर भी कुठाराघात कर रही है. मध्यप्रदेश में 21 प्रतिशत आदिवासी हैं, जिसमें उनके बजट की हिस्सेदारी को 21 प्रतिशत से घटाकर वित्तीय वर्ष 2016-17 में मात्र 14 प्रतिशत कर दिया गया.

सुरजेवाला ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान पूरे प्रदेश के एकमात्र ऐसे तथाकथित किसान पुत्र हैं, जो कभी फसल बेचने के लिए मंडी की कतारों में नहीं देखे गए. वहीं, मध्यप्रदेश में विशेषरूप से मंदसौर में हजारों किसान अपनी प्याज एवं लहसुन को 50 पैसे प्रति किलो में बेचने के लिए मजबूर हैं.