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मध्य प्रदेश: मतदान से पहले वरिष्ठ बीजेपी नेता की गाड़ी से नकदी बरामद, कांग्रेस का चक्का जाम

एसडीओपी मानसिंह परमार ने बताया कि सांवेर विधानसभा क्षेत्र में हतुनिया फाटा पर परिहार की चारपहिया गाड़ी की तलाशी के दौरान उसमें 2.60 लाख रुपए मिले. गाड़ी में चुनाव प्रचार सामग्री भी मिली

Bhasha

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान से एक दिन पहले वरिष्ठ बीजेपी नेता देवराज सिंह परिहार की गाड़ी से मंगलवार को 2.60 लाख रुपए बरामद किए गए. इस बीच, कांग्रेस ने यह आरोप लगाते हुए चक्का जाम किया कि पुलिस ने उन्हें सत्तारूढ़ बीजेपी के दबाव में मौके से भाग जाने दिया. परिहार, राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के निवर्तमान उपाध्यक्ष हैं. उन्हें प्रदेश सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया था.

एसडीओपी मानसिंह परमार ने बताया कि सांवेर विधानसभा क्षेत्र में हतुनिया फाटा पर परिहार की चारपहिया गाड़ी की तलाशी के दौरान उसमें 2.60 लाख रुपए मिले. गाड़ी में चुनाव प्रचार सामग्री भी मिली.


परमार के मुताबिक पुलिस दल मौके पर जांच कर ही रहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने परिहार की गाड़ी को घेर लिया और विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम शुरू कर दिया. इससे सड़क पर दोनों ओर वाहनों की लम्बी कतारें लग गईं. एसडीओपी ने दावा किया कि भीड़ के हंगामे का फायदा उठाते हुए परिहार और उनका ड्राइवर मौके से गायब हो गए.

अभी तक नहीं हो सकी है गिरफ्तारी

उन्होंने बताया कि चुनावी आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन पर दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) और अन्य संबद्ध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.

एसडीओपी ने बताया कि चक्का जाम के जरिए यातायात बाधित करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 141 (विधिविरुद्ध जमाव) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस बीच, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनावों के मतदान से पहले परिहार मतदाताओं को बांटने के लिए नकदी ले जा रहे थे, ताकि उन्हें बीजेपी के पक्ष में अनैतिक रूप से लुभाया जा सके.

शुक्ला ने कहा, 'जिस तरह से परिहार और उनके चालक को मौके से फरार होने दिया गया, उससे साफ है कि पुलिस चुनावों के दौरान भी सत्तारूढ़ बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है.' उन्होंने मांग की कि निर्वाचन आयोग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ फौरन उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो सकें.