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मध्य प्रदेश चुनाव 2018: आर्थिक राजधानी इंदौर में करोड़पतियों के बीच होगा मुकाबला

चुनाव अधिकारी का कहना है कि आयोग इस पर नजर रखे हुए है कि कहीं ये लोग अपने पैसे और प्रभाव का इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने में तो नहीं कर रहे हैं

FP Staff

मध्य प्रदेश में चुनावी सेज सज चुकी है. दोनों मुख्य दल कांग्रेस और बीजेपी ने अपने सभी उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. सभी उम्मीदवारों ने अपने-अपने नामांकन पर्चे भी दाखिल कर दिए हैं. ऐसे में नामांकन के साथ ही घोषित उम्मीदवारों की संपत्ति का लेखा-जोखा भी सामने आने लगा है.

ऐसे में प्रदेश की आर्थिक राजधानी के नाम से मशहूर इंदौर में लगभग सभी सीटों पर दोनों मुख्य राजनीतिक दलों ने करोड़पति उम्मीदवारों को मौका दिया है. यहां दोनों ही पार्टी के करोड़पति उम्मीदवार आमने-सामने हैं. ऐसे में चुनाव में धनबल के इस्तेमाल की पूरी उम्मीद है.


किसके पास कितनी संपत्ति

कांग्रेस की ओर से संजय शुक्ला के पास 103 करोड़, विशाल पटेल के पास 64 करोड़, सुदर्शन गुप्ता के पास सवा 4 करोड़, सत्यनारायण पटेल के पास 45 करोड़, मोहन सेंगर के पास दो करोड़, जीतू पटवारी के पास 18 करोड़, अश्विन जोशी के पास 7 करोड़, सुरजीत चड्ढा के पास 76 करोड़, तुलसी सिलावट के पास 13 करोड़ और अंतर सिंह दरबार के पास 5 करोड़ की संपत्ति है.

इंदौर में करोड़पति उम्मीदवारों की लिस्ट बीजेपी के पास भी काफी लंबी चौड़ी है. बीजेपी की मालिनी गौड़ के पास चार करोड़, महेंद्र हार्डिया के पास 4 करोड़, रमेश मेंदौला के पास साढ़े तीन करोड़, आकाश विजयवर्गीय के पास 4 करोड़, मनोज पटेल के पास 19 करोड़, मधु वर्मा के पास 4 करोड़ और राजेश सोनकर के पास डेढ़ करोड़ रुपए की संपत्ति है. सिर्फ एक उम्मीदवार ही ऐसा है जिसका नाम करोड़पतियों की सूची में नहीं है. बीजेपी की उषा ठाकुर एकलौती उम्मीदवार हैं जो करोड़पति नहीं हैं.

चुनाव आयोग बनाए हुए है नजर

करोड़पति उम्मीदवारों को चुनावी रण में मौका देने के पीछे राजनीतिक दल अपने-अपने तर्क दे रहे हैं. उनका कहना है कि यदि उम्मीदवारों पर भ्रष्टाचार के मामले नहीं है तो टिकट देने में कोई बुराई नहीं हैं. हालांकि राजनीतिक पंडित चुनावों में धनबल के उपयोग के कयास लगा रहे हैं.. वहीं चुनाव अधिकारी निधि निवेदिता का कहना है कि भले ही उम्मीदवार करोड़पति हैं लेकिन चुनाव आयोग इस पर नजर रखे हुए है कि कहीं ये लोग अपने पैसे और प्रभाव का इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने में तो नहीं कर रहे हैं.