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शिवभक्त-रामभक्त के बाद पंडित बने राहुल, धर्म के सहारे राजसत्ता तक पहुंचने की कोशिश

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संतों की संगत से मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के सियासी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

Dinesh Gupta

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संतों की संगत से मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के सियासी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं. पहले शिव भक्त और अब राम भक्त के साथ वे पंडित राहुल गांधी भी हो गए हैं. राज्य में विंध्य के वोटों का गणित ऐसा है कि कांग्रेस पंडित को साथ लिए बगैर चुनाव नहीं जीत सकती है.

कामतनाथ मंदिर जाने से क्या सत्ता में वापसी होगी


राहुल गांधी ने विंध्य क्षेत्र की अपनी दो दिवसीय यात्रा चित्रकूट के कामतनाथ मंदिर के दर्शन कर शुरू की. चित्रकूट मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है. कामदगिरि का एक भाग उत्तरप्रदेश में भी आता है. माना यह जाता है कि भगवान श्री राम ने चौदह वर्ष के अपने वनवास के दौरान ग्यारह साल चित्रकूट में काटे थे. यहां रामघाट भी है. चित्रकूट का उल्लेख तुलसी रामायण में चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करें रघुवीर. चौपाई के जरिए भी मिलता है.

राहुल गांधी, मध्यप्रदेश में कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म कराने के प्रयास में कामतनाथ के मंदिर गए. उसके बाद राहुल गांधी ने वहां संतों से भी मुलाकात की और बातचीत की. राहुल गांधी उत्त प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान भी चित्रकूट आए थे. उस वक्त उन्होंने विजिटर बुक में लिखा था- भगवान कामतनाथ उन पर कृपा करें. कामतनाथ के मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती है.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के जीत के मंसूबे पूरे नहीं हो सके थे. जबकि अखिलेश यादव से समझौता भी किया था. कामतनाथ मंदिर की विजिटर बुक में राहुल गांधी ने सिर्फ अपने दस्तखत किए कुछ कामना लिखी नहीं. मंदिर के महंत गोपालदास के अनुसार राहुल गांधी ने भगवान श्री राम और चित्रकूट के महत्व के बारे में दी गई जानकारी को पूरी गंभीरता से सुना. चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र से विधायक कांग्रेस पार्टी का है. चित्रकूट में राहुल गांधी के स्वागत के लिए लगाए पोस्टर-बैनर में उन्हें राम भक्त पंडित राहुल गांधी लिखा गया.

चित्रकूट की विधायक नीलांशु चतुर्वेदी की फोटो भी बैनर पर लगी हुई थी. कांग्रेस ने गुजरात के विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी को जनेऊधारी पंडित बताया था. मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने उनके नाम के आगे पंडित जोड़ दिया. गांधी परिवार में जवाहरलाल नेहरू के अलावा किसी ने भी अपने नाम के आगे पंडित नहीं लगाया. राहुल गांधी के नाम के आगे पंडित लगाए जाने पर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि राहुल गांधी को बताना चाहिए कि वे इटली में अपना धर्म क्या बताते हैं?

दूसरी और प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा सवाल करती हैं कि यदि कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी के नाम के आगे पंडित लिख दिया तो भाजपा के पेट में दर्द क्यों हैं? राहुल गांधी शुक्रवार को रीवा में रीवा राजघराने के महामृत्युजंय मंदिर में दर्शन करने के लिए भी जाएंगे. राज परिवार से भी उनकी मुलाकात संभव है. रीवा राज परिवार के सदस्य दिव्यराज सिंह बीजेपी से विधायक हैं. जबकि पुष्पराज सिंह बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वे सपा में भी रहे.

विंध्य जीतने के लिए पंडितों का साथ जरूरी है

मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के सात जिलों में विधानसभा की कुल तीस सीटें हैं. रीवा-सतना जिले में ब्राह्मण वोट निर्णायक माने जाते हैं. पंडितों के अलावा ठाकुरों का दबदबा भी इस क्षेत्र में है. वर्षों तक ठाकुर राजनीति का नेतृत्व अर्जुन सिंह और ब्राह्मण राजनीति का नेतृत्व श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी करते रहे हैं. दोनों ही नेताओं का निधन हो गया है. दोनों के ही पुत्र कांग्रेस के विधायक हैं. अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह हैं. वे विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं.

श्रीनिवास तिवारी के पुत्र सुंदरलाल तिवारी पहले सांसद भी रह चुके हैं. वर्तमान वे गुढ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. कांग्रेस की वर्तमान राजनीति में अजय सिंह ज्यादा प्रभावशाली हैं. वे मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार भी माने जाते हैं लेकिन, कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ पर दांव लगाए हुए हैं. अजय सिंह को साधने की कोशिश भी राहुल गांधी लगातार करते रहते हैं.

विंध्य दौरे की पूरी जिम्मेदारी अजय सिंह को दी गई थी. अजय सिंह के नाम पर पंडित वोटर अभी भी कांग्रेस से दूरी बना लेते हैं. पंडितों को कांग्रेस से वापस जोड़ने के लिए ही यहां पहली बार राहुल गांधी के नाम के आगे पंडित शब्द का उपयोग किया गया. क्षेत्र की तीस सीटों में से नौ सीट पर वर्तमान में विधायक ब्राह्मण हैं. लगभग आधा दर्जन सीटों पर ठाकुर विधायक हैं.

अखिलेश यादव को गोंडवाना का साथ पसंद है?

विंध्य क्षेत्र का बड़ा हिस्सा उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे होने के कारण बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का भी कुछ असर यहां देखने को मिलता है. बसपा पूरी तरह अनुसूचित जाति के वोटों पर राजनीति करती है. कभी उसके उम्मीदवारों को ठाकुरों का साथ मिलता है तो कभी ब्राह्मण मदद कर देते हैं. पिछले तीन चुनाव से बसपा को बड़ी सफलता इस क्षेत्र में नहीं मिल पा रही है.

इस बार कांग्रेस ने बसपा के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. लेकिन, मायावती ने उम्मीदवारों के नामों की पहली सूची जारी कर समझौते की अटकलों को खारिज कर दिया. जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अभी भी समझौते की आशा रखे हुए हैं. मायावती ने क्षेत्र के नौ विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवार घोषित किए हैं. घोषित उम्मीदवारों में कोई भी ब्राह्मण नहीं हैं. राहुल गांधी का विंध्य का दौरा समाप्त होते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव शहडोल पहुंच जाएंगे.

अखिलेश यादव का झुकाव कांग्रेस से ज्यादा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तरफ दिखाई दे रहा है. अखिलेश यादव 29 सिंतबर को पहले शहडोल जाएंगे फिर बालाघाट. उनके दौरे में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम भी साथ रहेंगे. शहडोल में सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच समझौते का एलान भी हो सकता है. सपा को इसका लाभ महाकौशल में मिल सकता है.