view all

सियासत के गेमचेंजर थे करुणानिधि, सीट न होने के बावजूद बनवा दिए थे 3 प्रधानमंत्री

1989 और 1991 में एम करुणानिधि की पार्टी डीएमके को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली थी बावजूद इसके करुणानिधि ने केंद्र की सत्ता में दखल देते हुए तीन लोगों को पीएम बनवाने में खासा अहम रोल निभाया था

FP Staff

क्या आप भरोसा करेंगे कि 1989 और 1991 में एम करुणानिधि की पार्टी डीएमके को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली थी बावजूद इसके करुणानिधि ने केंद्र की सत्ता में दखल देते हुए तीन लोगों को पीएम बनवाने में खासा अहम रोल निभाया था. चेन्नई के वरिष्ठ पत्रकार आर नूर उल्लाह ने न्यूज18 हिन्दी से बातचीत करते हुए बताया कि करुणानिधि पूरे समय सियासत के एक बड़े गेमचेंजर रहे हैं. 1989 में उनके हाथ लोकसभा की एक भी सीट नहीं थी. लेकिन इसके बाद भी चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर वीपी सिंह को पीएम बनवाने में अहम रोल निभाया.

राजीव गांधी की हत्या का आरोप लगा तो हार गए चुनाव


नूर उल्लाह याद करते हुए बताते हैं कि बात 1991 की है. राजीव गांधी की मौत के बाद हत्या का आरोप डीएमके नेता करुणानिधि पर लगा था. ये आरोप किसी और नहीं बल्कि केन्द्र सरकार में मंत्री रहते हुए अर्जुन सिंह ने लगाया था. जिसका नतीजा ये निकला कि डीएमके को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली और उसकी सियासी ताकत भी काफी कमजोर पड़ी थी.

अचानक से सियासत ने फिर पलटा खाया और 1996 में डीएमके 17 सीट और उसके सहयोगी दल तमिल मनीला कांग्रेस को लोकसभा में 20 सीट मिलीं. और आखिरकार करुणानिधि की सिफारिश पर एचडी देवेगौड़ा को पीएम बनाया गया.

और फिर आईके गुजराल को बनवाया पीएम

नूर उल्लाह का कहना है कि कांग्रेस ने एचडी देवेगौड़ा सरकार से समर्थन वापस ले लिया. जिसके बाद देवेगौड़ा की सरकार गिर गई. लेकिन इस बीच करुणानिधि कांग्रेस के अंदर अपने संबंधों को खासा मजबूत कर चुके थे. कांग्रेस के कई दिग्गजों से उनके अच्छे संबंध थे. ये ही वजह थी कि देवेगौड़ा के पीएम पद से हटने के बाद करुणानिधि आईके गुजराल को पीएम बनवाने में कामयाब रहे थे.

(न्यूज18 के लिए नासिर हुसैन की रिपोर्ट)